स्वास्थय से बढ़कर दुनिया में कोई धन नही है. अगर एक बार स्वास्थय खराब होना शुरू हो गया तो दुनिया की कोई शक्ति, धन दौलत उसे वापस नही ला सकती है. हम आपको देश के प्रख्यात योग गुरू श्री सुनील सिंंह द्वारा बताये गए आसनो के बारे में आपको बतायेंगे, जिनको नियमित रुप से कर कर आप अपने स्वास्थय को बेहतर बना सकते हैं.
हलासन
विधि: शवासन की स्थिति में लेट जाएं। पैरों को धीरे-धीरे उठाते हुए पैरों को पीछे की तरफ़ (सिर की ओर) ले जाएं, तथा यह प्रयास करें कि पंजों को ज़मीन से स्पर्श करें। इस स्थिति में “जालंधर बन्ध” अपने आप लग जाता है। दोनों हाथों से ज़मीन को स्पर्श करें। कम-से-कम 20 सेकेंड इसी स्थिति में रुकें, नहीं रोक पाने की अवस्था में धीरे-धीरे वापस आएं। यह इसका एक चक्र पूरा हुआ। इसका एक बार ही अभ्यास करें। अभ्यस्त होने के बाद इस आसन में कम-से-कम 3 मिनट रुकने का प्रयास करें।
लाभ: यह आसन पान संस्थान के सभी लोगों में रामबाण का काम करता है। यौवन प्रदान करता है। रीढ़ की हड्डी एवं कमर को बुढ़ापे तक झुकने नहीं देता है। कब्ज़ और गैस को जड़ से ख़त्म करता है। गर्भाशय को मज़बूत करता है तथा उसे बल प्रदान करता है। छोटी आंत व बडी आंत को क्रियाशील बनाता है।
सावधानियां : साइटिका, स्लिप डिस्क, हॉर्निया तथा उच्च रक्तचाप वाले रोगियों को इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए।