लखनऊ। उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) की प्रदेश कार्यकारिणी की ओर से श्रमिक दिवस (01 मई) के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, लख़नऊ में किया गया। कार्यक्रम में एनयूजे (आई) एवं उपजा की प्रांतीय इकाई ने संयुक्त रूप से प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रेषित एक 14 सूत्रीय मांगपत्र (ज्ञापन) प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को सौंपा।
श्रमिक दिवस के कार्यक्रम में उपजा कार्यालय में कई वर्षों से कार्य कर रहे कर्मचारी राम नरेश को कैबिनेट मंत्री ने सम्मानित करके उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम में एन.यू.जे.(आई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक मलिक चंडीगढ़ से उपस्थित रहे। वहीं अन्य अतिथिगणों के रूप में दादा पी.के. राय (संरक्षक एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष), दिल्ली से मनोज वर्मा (राष्ट्रीय महामंत्री, एनयूजे आई), दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोहर सिंह सहित सभी पदाधिकारीगण एनयूजे (आई), कार्यक्रम में मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व राज्यसभा सांसद राजनाथ सिंह सूर्य ने की। कार्यक्रम का शुभारम्भ मां शारदे के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके तथा पुष्प अर्पित करके किया गया।
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में योगी सरकार की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि यह बड़े ही हर्ष का विषय है कि उपजा संगठन श्रमिक दिवस के अवसर पर इतना भव्य कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। उन्होंने कहा कि मैं एक शिक्षिका भी रह चुकी हूं। 30 साल तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कराया है। ऐसा कोई कार्य नहीं होता जिसके सम्पन्न कराने के लिए कहीं न कहीं पर अवरोधक पैदा न हों। उन्होंने कहा कि जब हम स्वयं अपने बारे में किसी प्रकार की चिंता नहीं करेंगे, तो हम अपने लक्ष्य में भी आगे नहीं आयेंगे। उन्होंने पत्रकारों की कलम की सराहना करते हुए कहा कि न जाने कितने पत्रकार अपनी तीखी कलम के कारण आज तक मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि कलम की स्याही रंग दे जाती है, कलम में बहुत बड़ी ताकत है। आगे उन्होने कहा कि हमें अपने व्यवसाय की गंभीरता की ओर ध्यान देना चाहिए। साथ ही यह भी सोचना चाहिए कि हमारी कलम का उपयोग सार्थक है अथवा नहीं।
प्रदेश सरकार के खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री अनिल गर्ग ने कहा कि आज अगर पत्रकारिता भटक रही है तो इसके जिम्मेदार सम्पादक ही हैं, उन्होंने पत्रकारों की स्थिति की ओर इशारा करते हुए कहा कि पत्रकारों को कांट्रैक्ट पर रखा जा रहा है, वहीं सम्पादक लोग जनरल मैनेजर बन गए हैं। यही कारण है कि आज के दौर में कुछ पत्रकार राजनीति करके ठेकेदारी कर रहे हैं। लेकिन अच्छे पत्रकारों को चाहिए कि वे एकजुट होकर आगे बढ़ें।
समाजवादी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नरेश उत्तम ने कहा कि आज के दौर में समाचार पत्रों के सम्पादक पत्रकारों से कमरतोड़ परिश्रम कराके कार्य तो करा रहे हैं, लेकिन पारिश्रमिक के नाम पर वे उन्हें ऊँट के मुंह में जीरे के समान ही मानदेय दे रहे हैं। जिसके कारण पत्रकारों के सामने आर्थिक समस्यायें दिन-प्रतिदिन उत्पन्न होती जा रही है।
कार्यक्रम में दिल्ली जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष मनोहर सिंह ने कहा कि यह मई दिवस का कार्यक्रम हमारे उत्थान के लिए एक बदलाव जरूर लायेगा। राष्ट्रीय महासचिव मनोज वर्मा ने कहा कि वो भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि वर्तमान समय में श्रमजीवी पत्रकारों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। एनयूजेआई पत्रकारों के हितों के लिए कई स्तर से कार्य कर रही है। एक तरफ जहां हम केंद्र सरकार पर पत्रकारों की सुरक्षा की समुचित व्यवस्था कराने का दवाब बना रहे हैं, वहीँ दूसरी ओर अपनी सभी प्रांतीय इकाइयों से भी अपने-2 प्रदेश की सरकारों पर दवाब बनवा रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष एन यू जे (आई) अशोक मलिक ने कहा कि पत्रकारों को बैज बोर्ड के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा है। मई दिवस श्रम को पारिभाषित करता है। उन्होने कहा कि हरियाण सरकार पत्रकारों को 10 हजार रूप्ए मासिक पेंशन दे रही है। पत्रकार संगठन अब अपना स्वरूप बदलते जा रहे हैं। पत्रकार कल्याण कोष के माध्यम से पत्रकारों का उत्साह बढ़ाया जा रहा है।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार जे.पी.शुक्ला ने कहा कि आज के दौर में पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा है। पहले की पत्रकारिता में एक खबर का असर होता था। लेकिन आज के दौर में एडिटोरियल लिखने वाले संपादक को भी अपना संपादकीय ट्वीट करना पड़ता है। आजकल पोस्ट ट्रुथ का दौर आ गया है। अखबार कुछ कहता है, जबकि पब्लिक का व्यूज कुछ और होता है। उन्होंने कहा कि हमें सिखाया गया था कि न्यूज़ और व्यूज को कभी मिलाना नहीं चाहिए। लेकिन वर्तमान में सभी उलट-पुलट हो रहा है, जो कि बहुत ही दुखद है।
उपजा के पूर्व अध्यक्ष द्वय पी के वर्मा और राकेश द्विवेदी ने कहा कि आज का पत्रकारिता जगत कुछ गलत लोगों के कारण बदनाम हो रहा है। पेड न्यूज ज्यादा खतरनाक है। पत्रकारिता की गरिमा गिरती जा रही है। कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ पत्रकार राजनाथ सिंह सूर्य ने अपने सम्बोधन में कहा कि पत्रकारिता के गिरते स्तर, पेड़ न्यूज़, फेक न्यूज़ की बातें तो इस मंच से बहुत हो गयीं हैं। अब हम सबको मिलकर इन सबके समाधान का रास्ता भी स्वयं खोजना है। इसके लिए पत्रकार संगठनों को भी पहल करनी होगी। पत्रकारों के लिए समय-समय पर वर्कशॉप का आयोजन किया जाए। संपादकों को अपने फील्ड के पत्रकारों के साथ संवाद बढ़ाना चाहिए। उनकी समस्याओं को मालिकों के समक्ष पुरजोर तरीके से रखना चाहिए और उनका यथा संभव निदान भी करवाना चाहिए। इससे धीरे धीरे हम अपने गिरते स्तर को ऊपर उठा सकते हैं।
कार्यक्रम का सञ्चालन सर्वेश कुमार सिंह (राष्ट्रीय संगठन मंत्री, एनयूजे आई) ने किया।
उपजा की प्रांतीय इकाई की ओर से सभी अतिथियों को शाल ओढाकर और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया।
अंत में सभी पत्रकार तथा अन्य अतिथियों ने कार्यक्रम स्थल रायउमानाथ बली प्रेक्षागृह कैसरबाग लखनऊ पर सहभोज किया। कार्यक्रम में मुकेश वत्स (प्रांतीय अध्यक्ष), प्रदीप शर्मा (प्रांतीय महामंत्री), तथा सचिन भारद्वाज (प्रांतीय कोषाध्यक्ष), जी.के.शर्मा (प्रांतीय उपाध्यक्ष), राजकुमार शर्मा , पवन मित्तल (प्रांतीय उपाध्यक्ष), सुनील त्रिवेदी(मंत्री), डी.के. सिन्हा, हरेन्द्र चौधरी, सलिल मिश्र, मार्कंडेय सिंह, श्रीनाथ सहाय, प्रवीण शर्मा, आशीष गुप्ता, आलोक मालपानी, मनोज शर्मा, तेजवीर सिंह चौहान, जहीरउद्दीन नदीम, विष्णुदेव चांडक, के.बी.गुप्ता, सौरभ शंखधार, राशिद अली, जावेद अली, प्रमोद गुप्ता, हाजी एम्. सगीर, चंद्रपाल शर्मा, आई.एम्.खान, रकेश श्रीवास्तव सहित प्रदेश के अनेक जनपदों से आये उपजा के पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित रहे।
उपजा ने सौंपा 14 सूत्रीय मांगपत्र:- पत्रकारों को आर्थिक, भौतिक तथा सामाजिक संरक्षण उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को उपजा संगठन ने एक मांग पत्र सौंपा, ज्ञापन में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अभी तक प्रदेश में मजीठिया आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। मजीठिया आयेाग की सिफारिशों को उपजा संगठन की ओर से अविलम्ब सख्ती से लागू किया जाये।
उपजा भारत सरकार द्वारा फर्जी समाचारपत्रों के विरूद्ध की गयी कार्यवाही का पुरजोर समर्थन करता है तथा प्रदेश सरकार से मांग करता है कि ऐसे फर्जी समाचारपत्रों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाये। उपजा संगठन यह भी मांग करता है कि लघु और मझोले नियमित प्रकाशित पत्रों को सुरक्षा और उचित संरक्षण प्रदान करने की अपेक्षा करता है। उपजा, अखबारी कागज जिस पर कि समाचार पत्रों की छपाई होती है। उस पर जीएसटी लगाये जाने का विरोध करती है। तथा उपजा शासन से मांग करता है कि अखबारी कागज से शीघ्र ही जीएसटी हटाई जाये।
पुलिस और पत्रकारों के बीच समन्वय रखने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाये।
राज्य सरकार के अधीन आने वाले यमुना एक्सप्रेस, आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे तथा अन्य सभी राजमार्गों पर पत्रकारों को टोल टैक्स से मुक्ति प्रदान की जाये।
उत्तर प्रदेश सरकार तहसील स्तर पर भी पत्रकारों को मान्यता प्रदान कर सभी सुविधायें उपलब्ध कराये।
राज्य मुख्यालय के मान्यता प्राप्त पत्रकारों को मिलने वाली विशेष सुविधाओं (चिकित्सा एवं आवास) का लाभ जिला स्तर के पत्रकारों को भी दिया जाये।
प्रदेश में लागू विज्ञापन मान्यता नियमावली को बदला जाये और विभागीय दरों में डीएवीपी के अनुरूप विज्ञापन दरें लागू की जायें ताकि प्रदेश से प्रकाशित समाचार पत्रों को डीएवीपी लेने की आवश्यकता ही न हो। डीएवीपी की बाध्यता समाप्त की जाये।
केवल प्रदेश के सूचना विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त छोटे एवं मझोले समाचार पत्रों को विज्ञापन देने में प्राथमिकता दी जाये।
मान्यता प्राप्त पत्रकारों को सूचना विभाग द्वारा जारी परिचय पत्र पूरे प्रदेश में एक समान बनाये जायें (ऐसा देखा गया है कि कई जनपदों में खराब तरीके के परिचय पत्र बनाये जाते हैं) ताकि भ्रम की स्थिति न बनी रहे।
पत्रकारों को निशुल्क बीमा सुविधा उपलब्ध कराई जाये।
पत्रकारों की मान्यता देने हेतु जो मान्यता समिति का गठन किया गया है उसमें से राजनेताओं को हटाया जाये तथा विज्ञापन समिति को बहाल किया जाये।
पत्रकारों की परिभाषा को सुनिश्चित करते हुए उनकी योग्यता भी निर्धारित की जाये।
प्रदेश के पत्रकारों को अन्य प्रदेशों की तरह ही पेंशन सुविधा उपलब्ध करायी जाये।
पत्रकारों पर हमले की घटनाओं को अतिसंवेदनशील मानते हुए इसके विरूद्ध कार्यवाही करते हुए पत्रकार सुरक्षा कानून का गठन किया जाये।
उपरोक्त मांगपत्र एनयूजेआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रिय महासचिव और उपजा के प्रदेशाध्यक्ष एवम महामंत्री प्रदीप शर्मा की अगुआई में दिया गया।