पंडित लखमीचंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ परफॉर्मिंग एवं विजुअल आर्ट, यानि सुपवा रोहतक में शनिवार को दो दिवसीय फिल्म कार्यशाला का शुभारंभ हुआ । सुपवा, भारतीय चित्र साधना तथा विश्व संवाद केंद्र, हरियाणा के संयुक्त तत्वावधान में इस कार्यशाला का आयोजन हो रहा है । कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो बी के कुठियाला ने कहा कि फिल्में समाज को भिन्न भिन्न स्तर पर प्रभावित करती हैं इसलिए फिल्म बनाते हुए एक राष्ट्र के नागरिक के रूप में राष्ट्रहित,समाज हित को केंद्र में रखना चाहिए ।
इस अवसर पर उपस्थित पंडित लखमीचंद युनिवर्सिटी के कुलपति एवं प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता गजेंद्र चौहान ने कार्यशाला के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए रेखांकित किया कि उत्तर भारत में सुपवा, फिल्म निर्माण शिक्षण में केन्द्रीय भूमिका निभा रहा है । यह कार्यशाला भी प्रतिभागियों के फिल्म क्षेत्र में भविष्य निर्माण के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी । इस अवसर पर एक बडा संदेश देते हुए चौहान ने महाभारत का यह संवाद सुनाया – “कोई पिता, कोई पुत्र, कोई भी परंपरा राष्ट्र से बड़ी नहीं हो सकती” । विश्व संवाद केंद्र, हरियाणा के सचिव राजेश कुमार ने बताया कि इस कार्यशाला के लिए हरियाणा के विभिन्न जिलों सहित पंजाब, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली एवं हिमाचल प्रदेश से करीब सौ से अधिक आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से तय प्रक्रिया से चुने गए 40 प्रतिभागियों को इस कार्यशाला में सम्मिलित होने का अवसर मिला है । कार्यशाला के पहले दिन मुंबई से आए फिल्म लेखक तथा निर्देशक आकाशादित्य लामा ने दो सत्रों में प्रतिभागियों को पटकथा लेखन के लिए महत्वपूर्ण बातें सिखाई । वहीं दो सत्रों में प्रसिद्ध सिने अभिनेता, रंगकर्मी तथा मुबंई विश्वविद्यालय में नाट्य कला अकादमी के निदेशक योगेश सोमन ने प्रतिभागियों को अभिनय के लिए जरूरी योग एवं ध्वनि अभ्यास करवाए । सोमन ने विद्यार्थियों को थिएटर तथा फिल्मों में अभिनय की बारीकियां भी समझाई । पहले दिन के अंतिम सत्र में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक श्याम मलिक ने शिक्षार्थियों को निर्देशन के विषय में आधारभूत जानकारी प्रदान की । कार्यशाला के उद्घाटन सत्र का संचालन कर रहे भारतीय चित्र साधना के सचिव अतुल गंगवार ने जानकारी दी कि भारतीय चित्र साधना तथा विश्व संवाद केंद्र द्वारा विभिन्न स्थानों पर चयनित प्रतिभागियों के साथ कुल फिल्म 12 कार्यशाला होनी हैं जिनमें 4 कार्यशालाएं सम्पन्न हो चुकी हैं । इन कार्यशालाओं में से चुने गए चुनिंदा प्रतिभागियों को मुंबई में पंद्रह दिवसीय कार्यशाला में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा । इस अवसर पर विवि के डीन एकेडमिक्स प्रो. अजय कौशिक, प्रो. उज्जवल, प्रो. विनय, डॉ. बेनुल तोमर तथा सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार, डॉ लक्ष्मीनारायण, विक्रांत कुमार, हरिओम कौशिक, विकास कुमार, विनय विशेष रूप से उपस्थित रहे ।