ग्वालियर। भारतीय चित्र साधना के प्रतिष्ठित ‘चित्र भारती राज्य स्तरीय लघु फिल्म उत्सव-2021 का आयोजन 3और 4 अक्टूबर 2021 को मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक नगरी ग्वालियर में किया जाएग। यह जानकारी आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ केशव पांडेय,चित्र भारती के प्रांत सह संयोजक श्री दिनेश चाकणकर ने पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी ।उन्होंने आयोजन समिति और आयोजन स्थल की घोषणा करते हुए बताया कि फ़िल्म फेस्टिवल का आयोजन भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंध संस्थान के परिसर में होगा।
कार्यक्रम हेतु आयोजन समिति भी बनाई गई है जिसके अध्यक्ष डॉक्टर केशव पाण्डेय उपाध्यक्ष दीपक तोमर। संरक्षक-डॉक्टर आलोक शर्मा निदेशक आईआईटीटीएम, प्रोफेसर साहित्य कुमार नाहर कुलपति राजा मानसिंह तोमर कला एवं संगीत विश्विद्यालय ग्वालियर, श्रीमती किरण भदौरिया शिक्षाविद एवं समाजसेवी, कर्नल महीपत पवार, सुनील सिंह राठौर(वी आई एस एम), कार्यक्रम संयोजक श्री चंद्रप्रताप सिंह सिकरवार तथा उमेश गोहान्जे होंगे। प्रचार प्रसार समिति श्री प्रवीण दुबे रामकृष्ण उपाध्याय,अजय अरोरा एवं राजलखन सिंह।
इस फिल्म समारोह में सहयोगी के नाते राजा मानसिंह तोमर कला एवं संगीत विश्वविद्यालय ग्वालियर, आईआईटीटीएम, ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल, वीआईएसएम एवं उदभव सांस्कृतिक संस्था साथ दे रहीं हैं। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर केशव पाण्डेय ने बताया कि फ़िल्म फेस्टीवल में निर्धारित विषयों की लघु फिल्में प्रविष्टि स्वरूप आमंत्रित की गई हैं।
फ़िल्म के लिए ये रहेंगे निर्धारित दस विषय
1 भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष
2 स्वाधीन भारत के 75 वर्ष
3 अनलॉकडाउन
4 वोकल फ़ॉर लोकल
5 गांव खुशहाल देश खुशहाल
6 भारतीय संस्कृति एवं मूल्य
7 इनोवेशन अर्थात रचनात्मक कार्य
8 परिवार
9 पर्यावरण एवं ऊर्जा
10 शिक्षा एवं कौशल विकास
चित्र भारती के प्रांत सह संयोजक दिनेश चाकणकर ने बताया कि इस फिल्म फेस्टिवल के द्वारा जमीन से जुड़े लोगों की कहानियां भी आसानी से समाज में पहुंच सकेगी।
हमने संस्कृति को भारतीय सिनेमा से जोड़कर खत्म कर दिया है। हमारे हर उत्सव में आजकल सिनेमा के गाने बजाए जाते हैं। कहानियां ही राष्ट्र की संपत्ति बनती हैं। इसलिए ज़मीन और लोगों से जुड़ी कहानियां सिनेमा के माध्यम से समाज में पहुंचे, इसके प्रयास होने चाहिए।
कार्यक्रम संयोजक श्री चंद्रप्रताप सिंह सिकरवार ने कहा कि व्यवस्था के साथ सांस्कृतिक आक्रमण भी हुआ। पहले की फिल्मों में भारत का आम व्यक्ति समस्याओं से लड़ता हुआ और जीतता हुआ दिखाया जाता था। लेकिन अब विदेशों में जाकर प्रेम करते हुए ही दिखाया जाता है। फिल्मों से कॉमनमैन गायब हो गया। आज सिनेमा में झूठ दिखाया जा रहा है। क्योंकि भारतीय सिनेमा में फ़िल्म बनाने वाले लोग भारत की संस्कृति से जुड़े नहीं हैं। इसके साथ ही पिछले कुछ समय में विदेशी कंपनियों का दखल बढ़ गया है। आजकल ज्यादातर फिल्मों का कॉपीराइट विदेशी कंपनियों के पास है। भारतीय चित्र फ़िल्म फेस्टिवल जैसे आयोजनों की आवश्यकता है। ताकि भारत के क्रिएटिव लोगों को अपनी कहानियां बताने का मौका मिल सके। उन्होंने कहा कि इस फ़िल्म फेस्टिवल की थीम बहुत आकर्षक हैं। इस अवसर पर फ़िल्म फेस्टिवल का पोस्टर भी लोकार्पित किया गया।
आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ पांडेय ने कहा कि ग्वालियर में फिल्मों को लेकर काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि यह फिल्मोत्सव आने वाले समय में ग्वालियर अंचल की प्रतिभाओं और महत्वपूर्ण स्थलों आदि के लिए विकास के द्वार खोलेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय चित्र साधना फिल्म क्षेत्र में भारतीय विचार के लिए कार्य करने वाली समर्पित संस्था है। यह संस्था प्रति दो वर्ष में राष्ट्रीय स्तर पर ‘चित्र भारती राष्ट्रीय लघु फिल्मोत्सव’ का आयोजन करती है। इसके अतिरिक्त वर्षभर विविध प्रकार की गतिविधियाँ एवं स्थानीय स्तर पर फिल्म समीक्षा, फिल्म प्रदर्शन, विमर्श, प्रशिक्षण एवं लघु फिल्म फेस्टिवल के आयोजन संस्था की ओर से किये जाते हैं। प्रत्येक दो साल पर होने वाले राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन इस बार मध्यप्रदेश की राजधानी एवं झीलों के शहर भोपाल में 18 से 20 फरवरी, 2022 तक होना तय है। मध्यप्रदेश के लिए महत्वपूर्ण बात है कि सीबीएफएफ छह साल के अंतराल के बाद इस प्रदेश में लौट रहा है। चित्र भारती के इस प्रतिष्ठित फिल्मोत्सव की शुरुआत ही मध्यप्रदेश की भूमि से हुई है। यह पहली बार वर्ष 2016 में राज्य के बहु-सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केंद्र इंदौर में आयोजित किया गया था। वर्ष 2016 में राजपाल यादव, मनोज तिवारी, मधुर भंडारकर, केवी विजयेंद्र प्रसाद जैसी हस्तियों ने प्रतिभागियों और दर्शकों के साथ अपने अनुभव साझा किए थे। उसके बाद दूसरा चित्र भारती फिल्मोत्सव 2018 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित हुआ, इस फिल्मोत्सव में 700 से अधिक प्रविष्टियाँ आयीं थीं। वहीं, सीबीएफएफ-2020 का आयोजन कर्णावती, गुजरात में हुआ, जिसमें अन्य दिग्गजों के साथ सुभाष घई और अब्बास-मस्तान जैसे प्रख्यात फिल्म निर्देशकों की भी मास्टर क्लास थी।
कोरोना महामारी ने फिल्म और टेलीविजन उद्योग सहित समाज जीवन के सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है। परन्तु, कोरोना वायरस भारतीय लोगों की जीवटता को प्रभावित नहीं कर सका। यही कारण है कि हम विश्व में सबसे बेहतर ढंग से महामारी का मुकाबला कर पा रहे हैं। लॉकडाउन अवधि के दौरान फिल्म निर्माण गतिविधि को सक्रिय रखने की आवश्यकता को महसूस करते हुए और कोरोना स्वास्थ्य प्रोटोकॉल पर जागरूकता को बढ़ावा देने के लिहाज़ से भारतीय चित्र साधना ने एक ऑनलाइन कोविड-19 लघु फिल्म समारोह का आयोजन भी किया था। इस आयोजन में लोगों ने 250 से अधिक प्रविष्टियाँ भेजीं थीं। इन फिल्मों के माध्यम से कोरोना के प्रति जन-जागरूकता का सन्देश दिया गया था।
भारतीय चित्र साधना भारत की परंपराओं और विविधता का सम्मान करती है और मनाती है और ऑडियो-विजुअल क्षेत्र में भी इसे संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। सीबीएफएफ का प्रत्येक संस्करण सामाजिक और राष्ट्रीय प्रासंगिकता के विषयों पर प्रविष्टियां आमंत्रित करता है। यह वर्ष भारत की स्वतंत्र के 75 वर्ष को याद करने का है। इसलिए ‘भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष’ और ‘स्वाधीन भारत के 75 वर्ष’ जैसे विषयों पर भी प्रविष्टियाँ आमंत्रित की गई हैं। फेस्टिवल हेतु 1 सितम्बर से फिल्मकारों ने अपनी फ़िल्में भेजना शुरू कर दिया है।