वाजिद भाई नहीं रहे… विश्वास ही नहीं हुआ ये सुनकर। लेकिन सच तो सच ही होता है। ना तो ये कोई वक्त था जाने का ना ही उम्र। अभी तो बहुत कुछ बाकी था जीवन में करने के लिए। बहुत से जैज़िम आपके साथ काम करके अपनी मंज़िलों का पाने का ख्वाब देख रहें हैं। और आप अचानक यूं हम सबको छोड़कर चल दिए। उनके ख़्वाब अधूरे छोड़कर।
वाजिद भाई एक शानदार संगीतकार होने के साथ एक बहुत ही प्यारे इंसान भी थे। ये बात मेरे जैसा व्यक्ति जो पंजाब के एक छोटे शहर भटिंडा से मुंबई की चकाचौंध भरी दुनिया में अकेला संघर्ष करने के लिए आया हो बहुत अच्छे से जानता है। मेरे साथ उनकी बहुत सी यादें जुड़ी है लेकिन मैं दो बातें आपको बताना चाहूंगा।
सारेगामापा को शूट खत्म हुआ था। वाजिद भाई ने एक दिन हम सारे प्रतियोगियों को अपने स्टूडियों में बुलाया और कहा अब तुम लोग इस इंडस्ट्री में उतरने के लिए तैयार हो। मैंने आज तुमको इसके तौर तरीकों से परिचित कराने के लिए बुलाया है। वहां कुछ देर में सोनू निगम जी और प्रसून जोशी जी भी आ गए। स्टूडियों में ‘मिल गया मुझको ख़्वाजा का इशारा’ गाने की रिकार्डिंग हुई और हम सब लोगों के लिए ये एक दिलचस्प अनुभव रहा। ये एक यादगार रिकार्डिंग रही जिससे मिला अनुभव आज भी मेरे बहुत काम आता है।
इंसान कितने बड़े थे ये आपको इस बात से पता चल जायेगा। एक दिन मैं बहुत ही मायूस था। घर से दूर, काम की अनिश्चितता मुझे परेशान कर रही थी। मुझे कुछ नहीं सूझा तो मैंने वाजिद भाई को फोन लगा दिया। उन्होंने ध्यान से मेरी परेशानी सुनी और मुझे समझाया। मैं उस समय चकित रह गया जब बीस मिनट बाद वाजिद भाई का फोन मेरे पास आया। मैंने फोन उठाया तो वो बोले चल अपनी बिल्डिंग के नीचे आ जा। मैं नीचे गया तो वाजिद भाई अपनी गाड़ी में बैठे मेरा इंतज़ार कर रहे थे। उन्होंने मुझे अपनी गाड़ी में बैठाया और हम शहर की सड़के नापने लग गये। वो मुझे घुमाते रहे ओर बताते रहे कि कैसे मैं अपनी परेशानियों से बाहर निकल सकता हूं। उनकी पॉज़िटिव सोच ने मुझे हिम्मत दी और एक नये तरह से संघर्ष करने की उर्जा भी मुझे मिली। घर पर छोड़ते हुए बोले, कभी अपने को अकेला मत समझना- तेरा भाई है यहां। उनके ये शब्द मेरे संघर्ष को आसान बनाने में बहुत काम आये। आज मैं जो भी हूं, जहां भी हूं उसमें वाजिद भाई का बहुत योगदान हैं। मेरी दुआ है ऊपरवाला आपको जन्नत बख्शे।