“मेरे बच्चों” शायर : आमिर किदवई की कलम से
मेरे अगवा पे भी ख़ामोश बैठे हो तुम्हारा ख़ून जैसे सर्द होता जा रहा है लहू में अब कोई गर्मी नहीं शायद मुहब्बत अब […]
मेरे अगवा पे भी ख़ामोश बैठे हो तुम्हारा ख़ून जैसे सर्द होता जा रहा है लहू में अब कोई गर्मी नहीं शायद मुहब्बत अब […]
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