शरत सांकृत्यायन
माननीय अरविंद केजरीवाल आज फिर सड़कों पर उतरे…छाती पीट पीटकर दिल्ली के लोगों को बताने की कोशिश की कि वे महिलाओं की सुरक्षा के लिए पूरी दिल्ली में सीसीटीवी कैमरा लगाना चाहते हैं लेकिन एलजी महोदय भाजपा के इशारे पर इसमें अड़ंगा डाल रहे हैं और फाइल पर साइन नहीं कर रहे….ऊपर से देखा जाए तो बात बिल्कुल सही है….रेप कैपिटल के नाम से बदनाम हो रही दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा सवाल है और केजरीवाल ने चुनाव के समय पूरी दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगवाने का वादा भी किया था…तो सवाल ये उठता है कि एलजी महोदय इस महत्वपूर्ण कार्य में रोड़ा क्यूं अटका रहे हैं….ये काम तो काफी पहले हो जाना चाहिए था |
अब इस पूरी योजना के अंदर घुसकर समझने की कोशिश करेंगे तो सारा किस्सा आईने की तरह साफ हो जाएगा….सरकार बनने के बाद सत्ता का ऐसा नशा चढ़ा कि दो ढाई साल तक तो केजरीवाल साहब को होश ही नहीं आया कि कुछ काम भी करना है…ये सारा समय इन्होंने एलजी और केन्द्र सरकार से लड़ने भिड़ने में बर्बाद किया…जब अदालतों ने साफ कर दिया कि आपका बॉस एलजी ही है और आप अपनी मनमानी नहीं कर सकते, तब इनको थोड़ा होश आया….जब बात उठी की सीसीटीवी भी लगाना है तो इन्होंने आनन फानन में कैबिनेट में प्रस्ताव लाया और कैबिनेट ने इसे मंजूरी देते हुए 131करोड़ का बजट पास कर दिया…अबतक तो सब ठीक था लेकिन यहां से आगे खेल शुरू हो गया…एलजी की मंजूरी मिलने से पहले ही टेंडर निकाल दिया गया, लेकिन चौंकाने वाला तथ्य ये था कि बजट पास हुआ 131 करोड़ का और टेंडर निकला 571 करोड़ का….वह भी बिना किसी ठोस कार्ययोजना के….खेल समझ रहे हैं न….बस पूरी दिल्ली में कैमरा लगाना है….कहां कहां लगाना है, उसकी निगरानी कौन करेगा, मॉनिटरिंग और कंट्रोल रूम कहां होगा, एक ही होगा या अलग इलाकों में अलग अलग होगा, कैमरे की रिकॉर्डिंग को सुरक्षित कौन रखेगा और रिकॉर्डिंग को देखने का अधिकार किस किस को होगा….इन सभी सवालों के मद्देनजर कोई कार्य योजना थी ही नहीं.
अब इसके पीछे का खेल समझिए….दिल्ली में पहले से ही हजारों कैमरे लगे हुए हैं, जिन्हें अलग अलग एजेंसियों ने लगवाया है…इसमें चारों नगर निकाय प्रमुख हैं….अब सबसे पहले तो आपको ये तय करना होगा कि जहां पहले से कैमरे लगे हैं, उसके अलावा और कहां कैमरे लगें कि शहर का कोई भी कोना कैमरे की आंख से बच न सके…इसके लिए आपको इन सभी एजेंसियों के साथ मिल बैठकर पूरे शहर की मैपिंग करनी होगी….सभी RWA, व्यापार संगठनों और दिल्ली पुलिस को जोड़कर साझा जिम्मेदारी तय करनी होगी तब जाकर कैमरा लगाने की सार्थकता पूरी होगी….एलजी ने मंजूरी देने से पहले केजरीवाल सरकार से इन्हीं सवालों के जवाब मांगे….जवाब इनके पास था नहीं तो ये अपनी थेथरई पर उतर आए कि आप बस मंजूरी दे दो, बाकी हम देख लेंगे….अरे भाई, कैसे देख लोगे वही तो पूछ रहे हैं….जब इनसे जवाब नहीं मिला तब एलजी ने इन सारे सवालों का जवाब ढूंडने और एक एक बेहतर कार्ययोजना तैयार करने के लिए खुद कमिटी का गठन कर दिया….और केजरीवाल साहब का सारा खेल खटाई में पड़ गया….उन्होंने तो सोचा था कि मनमाना बजट पास करवा के अपने किसी खास को मनमानी कीमत पर टेंडर दे दिया जाए….हजारों कैमरे पहले से लगे पड़े हैं इसलिए यहां वहां कुछ कैमरे लगवा कर पूरे शहर के कैमरे का बिल पास कर दिया जाए और करोड़ों का बंदरबांट हो जाए….लेकिन एलजी ने सारा खेल ही चौपट कर दिया….अब तो मैपिंग हो जाएगी और पता चल जाएगा कि कितने कैमरे पहले से लगे हैं और कितने और लगाने की जरूरत है….इससे स्वाभाविक तौर पर बजट अपने आप काफी कम हो जाएगा….ऊपर से सभी RWA, व्यापार संगठनों और दिल्ली पुलिस की साझा निगरानी होने से किसी की मनमानी और गड़बड़ी की आशंका भी नहीं रहेगी….अब भाई केजरीवाल साहब, आपको तो खुश होना चाहिए कि दिल्लीवासियों की सुरक्षा के लिए इतनी ठोस कार्ययोजना के तहत काम हो रहा है…..लेकिन आपको तो मिर्ची लगी हुई है.
दिल्ली की सड़कों पर ऐसे गुलाटियां खा रहे हैं जैसे पिछवाड़े में पेट्रोल डल जाने पर कुत्ता फड़कता है….खैर, आपने गरीबों के राशन में घोटाला कर लिया, श्रमिकों के पैनल में घोटाला कर लिया, सीवर लाइन बनाने में घोटाला कर लिया…..अब तो बाज आ जाओ…..कम से कम महिलाओं की सुरक्षा में तो ईमानदारी बरतो..