तेजस्वी यादव ने आज जारी एक प्रैस विज्ञप्ति जारी करके नीतीश कुमार पर सवालों की झड़ी लगा दी। उन्होंने कहा COVID-19 पर नीतीश जी अभी तक दिशाहीन नजर आ रहे है। ये मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि कोरोना नियंत्रण का जो पहला कदम है उसी में सरकार विपरीत दिशा में काम कर रही है। ये निर्विवाद तथ्य है की टेस्टिंग इसकी नींव है और आज पांच महीनों बाद भी testing strategy को दुरुस्त नहीं कर पाये। आज भी RT-PCR टेस्ट की क्षमता मात्र 5000 है और प्राइवेट जाँच केंद्रों को जोड़े तो ये 6100 हो रहा है।
कौन सच्चा कौन झूठा-तेजस्वी
बिहार के स्वास्थ्यमंत्री ने 3 अगस्त को सदन में मेरे बार-बार पूछने पर बताया कि बिहार में कुल कोरोना जाँच में से 52.9% RT-PCR, 17.9% TrueNat और 29% Antigen टेस्ट हो रहे है। लेकिन CM नीतीश कुमार ने 11 अगस्त को PM के साथ समीक्षा बैठक में बताया कि बिहार में प्रतिदिन 10% से भी कम RT-PCR जाँच हो रही है। अब बताइए मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री में से कौन सच्चा है और कौन झूठा?
टेस्ट की सटीकता कम- तेजस्वी
पिछले कुछ हफ़्तों से जो जाँच की संख्या बतायी जा रही है वो दर असल वो antigen tests की वजह से है।Antigen test एक प्रकार का स्क्रीनिंग टेस्ट है जिसकी ICMR के अनुसार सटीकता बहुत ही कम है। Screening Test और diagnostic test दोनों अलग चीज़ें हैं। मिसाल के तौर पर एक डॉक्टर आपको physically examine करके, आला (stethoscope) लगाकर एक अनुमान लगा सकता है की आपको typhoid, malaria है की नहीं लेकिन उसकी पुष्टि ब्लड सैंपल देकर (diagnostic test) जाँच में ही की जा सकती |उसी प्रकार कोरोना की पुष्टि RT-PCR से ही होती है जो की diagnostic test है और Antigen Tests stethoscope की तरह Screening Test है।
बिना तैयारी कोरोना से लड़ाई-तेजस्वी
यहाँ तक की ICMR ने भी इसको (Rapid Antigen Test) सिर्फ कन्टेनमेंट जोन और हेल्थ सेटिंग्स तक सीमित करने का दिशा निर्देश जारी किया है और विशेष कर RT-PCR जाँच जो की जाँच का gold standard है उसको बढ़ाया जाने का सुझाव सभी राज्यों को दिया है। और हमारे मुख्यमंत्री RT-PCR को कम करके एंटीजन टेस्ट को बढ़ा रहे। अब आप खुद अंदाज़ा लगा सकते हैं किस तैयारी के साथ वो कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहें।
प्रधानमंत्री एवं बिहार की जनता से झूठ बोला मुख्यमंत्री ने- तेजस्वी
प्रधानमंत्री के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री द्वारा 5 नए मेडिकल कॉलेज में RT-PCR जाँच केंद्रों की स्थापना की बात कही गयी है जबकि 11 अगस्त तक की जारी ICMR की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बिहार से कोई नए लेबोरेटरी की स्वीकृति के लिए कोई आवेदन नहीं दी गयी है। ये बेहद शर्मनाक है की मुख्यमंत्री झूठ बोल प्रधानमंत्री जी और बिहार वासियों को गुमराह करते है।
जांच में झोलझाल- तेजस्वी
मुख्यमंत्री जी ने खुद माना है की RT-PCR जाँच की संख्या बहुत कम है और पिछले एक हफ्ते से औसतन 70 हजार टेस्ट किये जा रहे हैं अगर RT-PCR टेस्ट की बात करें तो वो 10 प्रतिशत से भी कम है।
बिहार देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक अजूबा है जहाँ जब 10 हजार जाँच हो रही थी तो 2500-3000 मरीज मिल रहे थे और आज जब 70 हजार जांच हो रही तब भी लगभग उतने ही मरीज मिल रहे है। इसका सीधा मतलब है जाँच में झोल-झाल हो रहा है ,आंकड़ों की हेरा फेरी हो रही है। नीतीश जी अपनी जगहसाई से बचने के लिए रैपिड एंटीजन टेस्ट की संख्या बढ़ा रहें हैं।
Rapid Antigen Tests performance target को पूरा कर सकती है और ज्यादा टेस्टिंग की हम लोगों की मांग को भी पूरा कर दे लेकिन यह वायरस के फैलाव की वास्तविक हकीकत का पता लगने में नाकाम रहने का जोखिम लाती है।
True Nat machines द्वारा जाँच Antigen Tests से बेहतर रिजल्ट देती है और लगभग RT-PCR पैटर्न पर काम करती है 37 मशीनें होने के बावजूद प्रतिदिन सिर्फ 4400 ही टेस्ट किये जा रहे है। ये साफ़ दर्शाता है की नीतीश जी की मंशा कोरोना संक्रमण रोकने की नहीं बल्कि अपना चेहरा चमकाने की है। वो चाहते हैं की जाँच की संख्या को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाये और ये बताया जाये की सबकुछ ठीक है।
लगभग सभी राज्यों ने RT-PCR जाँच का दायरा बढ़ाने का काम किया है। तमिलनाडु में सभी टेस्ट RT-PCR द्वारा हुए हैं और रोजाना औसतन 67000 जाँच किये जा रहे है उसी प्रकार आंध्र प्रदेश में 27000, गुजरात में 20000 प्रतिदिन RT-PCR जाँच हो रहे |
टेस्ट 50000 किए जायें- तेजस्वी
मैं नीतीश जी से आग्रह करूँगा की वो जाँच में प्रतिदिन कुल RT-PCR tests 50 हजार करने की दिशा में काम करें और कम से कम 50 और TRUENAT मशीन को procure करके इनका capacity utilization करते हुए कम से 10000 जाँच करें। COVID केयर के लिए एक लाख बेड्स का प्रबंध करें |
नीतीश जी बताएं Emergency Response and Health System Preparedness Package में मिले फंड्स का कितना पैसा खर्च हुआ है और दूसरे किश्त में बिहार को क्यों बाहर रखा गया है जबकि बिहार को इसकी सबसे ज्यादा जरुरत है? क्या ड़बल इंजन का यही फ़ायदा बिहार को मिला?
मुख्यमंत्री जी ये भी बताएं की कोरोना रिलीफ फंड्स में कितने पैसे खर्च हुए अभी तक ? क्या बिहार सरकार ने स्वयं वेंटिलेटर्स,जाँच कीटस, और उससे सम्बंधित उपकरण ख़रीदे हैं या केंद्र सरकार पर ही निर्भर है ? 19-20 जुलाई को कोरोना की विस्फोटक हालत को देखते हुए आयी केंद्रीय टीम के सुझावों पर 20 दिनों में क्या प्रगति हुई है ?
RT-PCR labs की संख्या और उनकी क्षमता अविलम्ब बढ़ाएं और प्रतिदिन RT-PCR test संख्या 50 हजार करें।