बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि की घोषणा होने ही वाली है, चुनाव आयोग किसी भी दिन नोटिफिकेशन जारी कर देगा। ऐसे में बिहार में राजनैतिक गर्माहट बढ़ गई है। विपक्ष आरोप पर आरोप लगाए जा रहा है और सत्ता पक्ष 15 सालों के कार्यों के साथ जनता के बीच में है। कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस चुनाव के मद्देनजर पहली वर्चुअल रैली को सम्बोधित किया। नीतीश ने जहां राजद और लालू प्रसाद पर कई आरोप लगाए, वहीं अपनी सरकार की उपलब्धियों का बखान किया। नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार क्राइम, करप्शन और कम्यूलिज्म से समझौता नहीं करेगी । वहीं नीतीश ने लालू यादव पर बहू ऐश्वर्या राय की प्रताड़ना के भी आरोप लगाए।
निश्चय संवाद नाम से हुई इस वर्चुअल रैली में नीतीश कुमार ने बाढ़ पीड़ितों और कोरोना महामारी से निपटने में सरकार के कदमों के बारे में बढ़-चढ़ कर बात की। वो अपने भाषण में सुशांत सिंह राजपूत की मौत का ज़िक्र करना बिल्कुल नहीं भूले, उन्होंने कहा, “सुशांत सिंह राजपूत के परिवार को न्याय ज़रूर मिलेगा, इसका हमें भरोसा है।”
वहीं विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सीएम पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने 15 वर्षों में युवाओं को काल्पनिक और बनावटी इतिहास का झुनझुना पकड़वाया है लेकिन अब युवा वर्ग उनके खोखले दावों से परिचित हो चुका है और इस चुनाव में उनके विरुद्ध वोट करेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से 10 सवाल भी पूछा, जो बिहार में बेरोजगारी, गरीबी, पलायन, अशिक्षा, कानून व्यवस्था, दलितों के खिलाफ अत्याचार, हत्या, लूट बलात्कार से सम्बंधित था।
हालांकि नीतीश ने अपने भाषण में उनके सवालों का जबाब भी दिया और लालू-राबड़ी के 15 सालों के शासन काल को लेकर बड़ा हमला बोला।
नीतीश कुमार की वर्चुअल रैली को फ्लॉप बनाने के लिए कल राजद ने सोशल मीडिया पर व्यापक अभियान चलाया, राजद कार्यकर्ताओं ने #BiharRejectsNitish ट्रेंड भी चलाया और उनके लाइव कार्यक्रम डिसलाइक करने का अभियान भी चलाया। हालांकि इसको बहुत ज्यादा सफलता तो नहीं मिली परन्तु जिस तरह से प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम और फिर कल नीतीश कुमार के रैली के खिलाफ प्रोपगेंडा चलाया गया, उससे साबित होता है कि आने वाले समय में सोशल मीडिया ही चुनावी अखाड़ा बन जाएगा।
बिहार चुनाव में सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को भुनाने की तैयारी चल रही है, सत्ताधारी दल भाजपा ने बाकायदा इसके लिए पोस्टर भी जारी किया है, हालांकि हमारे वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि ऐसा करना शायद भाजपा के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है, क्योंकि सुशांत को राजनैतिक मुद्दा नहीं बनाया जा सकता, वो लोगों से आत्मिक रूप से जुड़े हैं।
इसी बीच बिहार में सरकार की साझीदार लोजपा और उसके अध्यक्ष चिराग पासवान चुनाव को लेकर काफी सक्रिय हो चुके हैं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विभिन्न मुद्दों पर पत्र लिखने के साथ साथ लोजपा के संसदीय दल की बैठक में तय किया गया है कि लोजपा कुल 143 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिन सीटों पर जदयू चुनाव लड़ेगी, उन सीटों पर लोजपा भी अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी।
कुल मिलाकर बिहार की राजनीति काफी इंटरेस्टिंग होती जा रही है, एक तरफ मांझी नीतीश के पाले में आ चुके हैं, दूसरी तरफ चिराग बगावती मूड में हैं, आने वाले दिनों में किस गठबंधन की क्या स्थिति रहेगी, उसके आधार पर ही बिहार का भविष्य तय होगा।