बिहार के कुछ जिलों में स्कूल शिक्षकों को खुले में शौच को लेकर लोगों को समझाने और न मानने वालों की तस्वीरें लेने का काम सौंपे जाने के निर्देश पर विवाद शुरू हो गया है.
प्रखंड विकास अधिकारियों (बीडीओ) ने शिक्षकों से सुबह और शाम के समय विभिन्न वार्डों और पंचायत इलाकों में चक्कर लगाने और लोगों से शौचालय का इस्तेमाल करने का अनुरोध करने का आदेश दिया है.
#Bihar: Block Education Officer orders High School teachers to keep an eye on open defecation at 5 am & 4 pm, click selfie with defaulters. Principals appointed as supervisor.
— ANI (@ANI) November 21, 2017
समाचार न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक प्रखंड शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों को कहा है कि सुबह 5 बजे और शाम को 4 बजे इलाके का चक्कर लगाकर लोगों को समझाना है और न मानाने वालों की तस्वीर खींचना है. सरकार के इस आदेश पर नजर रखने के लिए स्कूल के प्रिंसिपलों को पर्यवेक्षक बनाया गया है.
आदेश में समझाने के बावजूद खुले में शौच करने वालों को शर्मिंदा करने के लिए फोटो खींचने की भी बात कही गई है. हालांकि, शिक्षक इस काम के अतिरिक्त बोझ को लेकर खुश नहीं हैं.
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बताया, ‘शिक्षकों पर पहले से ही काम का बोझ बहुत अधिक है. जनगणना, मतदाता सूची तैयार करने जैसे गैर शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों को लगाया जाता है. खुले में शौच जांच का आदेश न केवल अतिरिक्त कार्य है बल्कि यह उनके सम्मान को भी ठेस पहुंचाता है.’
हालांकि, राज्य शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा ने इस पहल का बचाव करते हुए कहा, ‘शिक्षक बौद्धिक होते हैं और दूसरे लोगों की तुलना में वे लोगों को खुले में शौच नहीं करने को लेकर समझाने में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.’
एनडीटीवी के मुताबिक शुरुआत में स्वच्छता को राष्ट्रीय अभियान बताकर राज्य के शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा ने आदेश को सही बताया था, लेकिन बाद में आलोचना के चलते उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि इस आदेश की जांच हो रही है.
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने आदेश को लेकर कहा कि राज्य सरकार की तरफ से ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है और हो सकता है जिला स्तर पर ऐसा किया गया हो जिसकी जांच की जा रही है.