सुशील मोदी ने अशोक चौधरी के समर्थन में बड़ा ट्वीट कर एक बात तो साफ़ कर दिया है कि बीजेपी और जदयू सभी अशोक चौधरी के वेलकम के लिए उत्साहित है. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्वीट में लिखा है-
राहुल गांधी ने लम्बी कवायद के बाद जिस व्यक्ति को बिहार प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया, उसके पहले ही कार्यक्रम से पार्टी के 27 में से 26 विधायकों ने परहेज किया. उधर जिस दलित नेता को अनुशासनहीनता के आरोप में हटाया गया, उसके प्रति एकजुटता प्रकट करने के लिए 15 एमएलए और एमएलसी पहुंच गये. कांग्रेस को आंख मूंदकर लालू प्रसाद का साथ देने की कीमत चुकानी पड़ेगी.
अपने पद से हटाए जाने के बाद अशोक चौधरी ने मीडिया के सामने जमकर अपनी भड़ास निकाली. उन्होंने कहा कि पार्टी ने सेफ एक्जिट का मौका नहीं दिया. इसे उन्होंने दलितों का अपमान बताया. अशोक चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस कर जब अपनी बात रखी, वहां बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर भी दिखी. बिहार विधान परिषद के सदस्य अशोक चौधरी इधर प्रदेश की राजनीति में दलित चेहरा बनकर उभरे हैं. प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपने दलित होने की दुहाई देते हुए उन्होंने राहुल गांधी के दलितों के घर भोजन करने पर तंज कसते हुए अपने को पार्टी द्वारा अपमानित करने की बात कही.
अशोक चौधरी ने कहा है कि वे दशहरा बाद कोई फैसला करेंगे। स्पष्ट है कि कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई दशहरा के बाद अभी और गहराएगी. राजनीति के जानकारी कह रहे हैं कि अशोक चौधरी कांग्रेस में दलितों के प्रताड़ित होने वाला कार्ड खेल सकते हैं.
अशोक चौधरी के सामने कई विकल्प मौजूद है. बीजेपी ने पहले ही सॉफ्ट कार्नर दिखा दिया है तो वहीं जदयू प्रवक्ता पहले ही जदयू में शामिल होने का न्योता दे चुके है. कांग्रेस विधायकों के समर्थन के साथ वे जहां चाहें जा सकते हैं. कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी के 27 में से 18 विधायक अशोक चौधरी के साथ हैं. कहीं ऐसा न हो कि दलबदल कानून की सीमा के अंदर ही सही, वे जदयू को समर्थन कर दें.