विपक्ष ने सोमवार को देश की “समग्र संस्कृति” को बचाने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा की है. समिति में जेडी (यू) के नेता शरद यादव को 14-पक्ष समूह के संयोजक के रूप में शामिल किया गया, जिसमें लेफ्ट और कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं.
कमेटी में कांग्रेस से आनंद शर्मा, सपा से रामगोपाल यादव, सीपीआई(एम) से सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस से सुखेंदु शेखर राय, जेवीएम के बाबूलाल मरांडी, जेएमएम के हेमंत सोरेन, एनसीपी से तारिक अनवर, गुजरात के जेडीयू विधायक छोटू लाल वासवा, सीपीआई के डी. राजा, आरएलडी से जयंत चौधरी, बीएसपी से वीर सिंह, आरजेडी के मनोज झा, बीबीएम के प्रकाश अम्बेडकर, बिहार के पूर्व मंत्री रमई राम, जेडीएस से दानिश अली शामिल हैं.
उधर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज खुलासा करते हुए कहा कि महागठबंधन टूटने के पंद्रह दिन पहले से ही जदयू विधायकों को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा था. हालांकि इस दौरान उन्होंने किसी दल का नाम नहीं लिया. लेकिन, राजनीतिक जानकारों की मानें तो उन्होंने बिना नाम लिये राजद पर निशाना साधा है. वहीं गुजरात में कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार अहमद पटेल के पक्ष में जदयू विधायक द्वारा वोटिंग किये जाने की खबरों का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खंडन करते हुए कहा – पार्टी विधायक ने अहमद पटेल को वोट नहीं दिया था.
मालूम हो कि महागठबंधन से अलग होने का फैसला लेते हुए 26 जुलाई को नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. साथ ही उन्होंने मीडिया से बातचीत में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को निशाने पर लिया और कहा था कि धन-संपत्ति गलत तरीके से अर्जित करने का कोई मतलब नहीं है. कफन में कोई जेब नहीं होती है. इसके बाद नीतीश कुमार ने एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर बिहार में नयी सरकार के गठन का ऐलान किया. नीतीश कुमार के इस फैसले के खिलाफ राजद सुप्रीमो लालू यादव समेत उनका पूरा परिवार मुख्यमंत्री पर लगातार हमलावर है.