केंद्र सरकार के कलाकारों को सरकारी घर खाली किए जाने के नोटिस के बाद संस्कार भारती के अखिल भारतीय महामंत्री श्री अमीर चंद ने पहल की। उन्होंने पदम् विभूषण पंडित बिरजू महाराज, पदमभूषण श्री भजन सोपोरी एवं पदमश्री वसिफुद्दीन डागर आदि कई गणमान्य कलाकारों से भेंट की। कलाकारों ने श्री अमीर चंद के सामने अपनी बात रखी और बताया कि आवंटित सरकारी आवासों को खाली करने का नोटिस शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जारी की गई है।
कलाकारों से मिलने के बाद श्री अमीर चंद ने उनकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कहा कि सरकार को कलाकारों के राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक योगदान, आयु की उनकी वरिष्ठता, उनकी वास्तविक आवश्यकता सहित मानवीय तथा संस्कृति धर्म को ध्यान देते हुए सहानुभूति पूर्वक पुनर्विचार करना चाहिए । साथ ही नई पीढ़ी के कला साधकों हेतु एक आवास नीति पर भी विचार करना चाहिए। वैसे भी भारत सरकार ने अपनी नई शिक्षा नीति में कला को विशेष स्थान दे करके संस्कृति के महत्व को रेखांकित किया है।
सरकार की यह नीति है कि इस संकट में आवश्यक सहायता दी जाए । इसलिए सरकार द्वारा कलाकारों को इतने लम्बे समय से प्रदत सहायता को संकट के समय वापस लेना मानवीय दृष्टिकोण अनुरूप नहीं है । पूर्व में यदि कुछ गलत आवंटन हुए है या कुछ लोग नियमों की आड़ में गलत फायदा उठा रहे हैं तो सरकार को उन पर कार्यवाही जरूर कारनी चाहिए। किन्तु योग्य कलाकारों को इससे वंचित नहीं किया जाना चाहिए । वर्तमान करोना संकटकाल मे भारत सरकार ने सभी वर्गों के लिए कल्याणकारी सहायता का प्रावधान किया है।
संस्कार भारती की ओर से जारी अपील में कहा गया है कि करोना की लगातार बदलती परिस्थितियों से शीघ्र वातावरण सामान्य होता दिख नहीं रहा है । समाज को सहज होने में तो लंबा समय लगने की संभावना भी है। ऐसी परिस्थिति में कलाओं के प्रदर्शन की संभावनाएं भी दूर-दूर तक नहीं दिख रही है, जो कलाकारों के लिए एक बहुत बड़ा संकट है। ऐसे में सरकार के किसी निर्णय से कलाकारों के सामने और कोई नया संकट पैदा ना हो यह ध्यान रखना आवश्यक है । लॉकडाउन में समाज के मनोबल को बनाए रखने के लिए कलाकारों ने सबसे ज्यादा बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया । यह अनुभव भी हम सबका है।
माननीय केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने भी 6 माह पूर्व क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के माध्यम से कलाकारों के लिए सहायता संबंधी बात कही थी, उस पर शीघ्र संज्ञान लेकर सहायता की व्यवस्था की जानी चाहिए ।
इस संकट की बेला से शीघ्र बाहर आने हेतु संस्कार भारती कला, साहित्य संस्कृति के साधकों के साथ अपने को संबद्ध करती है ।