बोल बिंदास, नई दिल्ली, 13 अप्रैल। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण ने देश के सभी पर्व और त्योहारों पर ग्रहण लगा दिया है। लॉक-डॉउन के चलते लोगों में त्योहारों और पर्वों को लेकर उत्साह कायम रहे इसके लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अच्छी पहल की है। आज के तकनीक भरे युग में संघ की शाखाएं विभिन्न वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग एप्प के माध्यम से लगाई जा रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इन ऑनलाइन माध्यमों से संचालित अपनी शाखाओं में बैसाखी का पर्व भी धूमधाम के साथ मनाया। इसके अंतर्गत दिल्ली के उत्तरी विभाग, रोहिणी जिले में “शहीद सुखदेव नगर” ने आज सिख समुदाय के प्रमुख व्यक्तियों को लेकर सायं 5 बजे बैशाखी के निमित्त शाखा लगाई। जिसमें निष्काम सिख वेलफेयर कांउसिल, के नगर व मंडल श्रेणी कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे। इस दौरान यहाँ के नगर कार्यवाह नंदकिशोर ने सिख धर्म के महान इतिहास व गुरुओं की बोध कथा और उनकी महान गाथाओ को बताया। उसके बाद सभी सिख बंधुओं ने अपने अपने विचार भी रखें। सभी इस प्रयास से प्रभावित थे और सभी ने बड़ी आत्मीयता के साथ शाखा में अपने शब्द रखें।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सिख संगत के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सरदार इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि देशभर में लॉक-डॉउन के चलते सभी धार्मिक स्थान बंद है ऐसे में इस दिन गुरुव्दारों में दीपक जरूर जलाएं जाएं और जो लोग अपने-आसपास के गुरूव्दारों तक न जा सकें वह अपने घर पर ही दीपक जला कर पर्व को मनाएं। अपने घर के आसपास स्थित गुरुव्दारे जाते समय सोशल डिस्टेंस का जरूर ध्यान रखे। वक्ताओं ने कहा की बैसाखी पर जो रौनक देशभर में रहती थी वह कोरोना संकट की वजह से दिखाई नहीं दे रही। ऐसे वक्त में सभी लोगों को सादगी के साथ अपने घरों पर ही जपुजी साहिब का पाठ करना चाहिए और गुरुगोविंद सिंह जी के दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।
यहाँ टैगोर शाखा के सरदार हरभजन सिंह ने बताया कि बैसाखी के महत्व का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता हैं कि इसी दिन 13 अप्रैल 1919 के दिन अमृतसर के जलियावाला बाग में हजारों की संख्या में लोगों और किसानों ने एकत्र होकर अंग्रेजी हुकुमत को ललकारा था। जिसके बाद अंग्रेजों ने निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसा कर नरसंहार को अंजाम दिया था। जलियांवाला बाग के नरसंहार के उपरांत ही देश से अंग्रेजी हुकुमत को उखाड़ फैंकने के लिए सारे भारतवर्ष के लोग एकजुट हुए थे।
स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि वास्तव में वैसाखी भगवान और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व भी है। इसी दिन असम के लोग बिहू, बंगाल के लोग नबा वर्षा और केरल के लोग पूरम विशु नाम से इस पर्व को मनाते है। मगर लॉक-डॉउन के चलते अधिकांश जगहों पर यह पर्व सादगी के साथ घरों पर ही मनाया जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि आज के दिन ही बद्रीनाथ धाम में भगवान बद्रीनाथ की यात्रा की भी शुरूआत होगी। देश में यह पहला मौका है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी वर्चुअल शाखाओं के माध्यम से वैसाखी का पर्व मनाया और लोगों से आग्रह किया कि अपने पर्वों को सादगी और प्रेम के साथ मनाना ही सच्ची ईश्वरीय भक्ति है।
बैसाखी उत्तर भारत का प्रमुख पर्व माना जाता है। उत्तर भारत के किसान अपनी सर्दी की फसल की कटाई के बाद नए वर्ष की खुशी मनाते है। बैसाखी मनाने की शुरुआत 1557 में गुरु अमर दास जी ने की थी। जिसके बाद दशम पादशाह गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की सर्जना करके पंच प्यारों को बनाया था। उस दौर में मुगलों का आतंक चरम पर था जो हिदुओं पर अत्याचार करते थे। हिंदु धर्म की रक्षा के लिए ही गुरु गोविंद सिंह जी ने पंच प्यारों के नेतत्व में बड़ी सेना का गठन किया था। जिसके बाद आज के ही दिन यह पर्व मनाने की शुरूआत हुई। शाखाओं में वक्ताओं की बातों को बड़े धैर्य और उत्साह के साथ सुना गया।