Rise, Roar, Revolt,जनजातीय नायक को मुसलमान दिखा कर क्या बताना चाह रहें हैं राजामोली? महेश काले

महेश काले

इस देश के जनजाति समाज का मुस्लिम समुदाय से क्या संबंध है?
क्या गोंड जनजाति का एक क्रांतिकारक मुस्लिम बनकर रजाकारों से संघर्ष कर सकता है?
क्या जानबूझकर किसी भी फिल्म में मुस्लिम किरदार को लाकर इनको शांतिप्रिय दिखाने का एक नया खेल खेला जा रहा है?

यह वह कई सवाल है जो एक फिल्म के ट्रेलर से उभर कर सामने आ गए हैं।

तेलंगाना के गोंड जनजाति में जन्में प्रख्यात क्रांतिकारक कोमाराम भीम और अल्लूरी सीताराम राजू के ऊपर बाहुबली फिल्म के प्रख्यात डायरेक्टर एस.एस. राजमौली एक भव्य फिल्म बना रहे हैं। RRR ( Rise, Roar, Revolt) इस नाम से बनने वाली यह फिल्म हिंदी के साथ-साथ भारत की लगभग सभी भाषाओं में प्रसारित करने की कल्पना है। कल यानी 22 अक्टूबर को गोंड जनजाति के इस महान क्रांतिकारी भीम का जन्म दिवस था। इस अवसर पर लगभग 350 करोड़ वाली इस फिल्म का ट्रेलर प्रसारित हुआ, जिसे यूट्यूब पर करोड़ों लोगों ने लाइक किया है।

यह अत्यंत हर्ष की बात है कि इन अनामिक जनजाति वीरों की शौर्य गाथा भव्य फिल्म के माध्यम से देश के सामने आ रही है। अगले साल शायद जनवरी में यह फिल्म देखने को मिलेगी। इस माध्यम से जनजाति समाज के ‘जल जमीन और जंगल’ के लिए हैदराबाद के रजाकारों से संघर्ष करने वाले राजू और भीम की यह कहानी सबको प्रेरणा देते रहेगी।

कल इस फिल्म का ट्रेलर काफी लोकप्रिय हुआ। इस फिल्म के नायक भीम के किरदार को जूनियर एनटीआर ने निभाया है। इस रोल के लिए उन्होंने काफी मेहनत की हुई है ऐसा ट्रेलर से तो मालूम होता है। ट्रेलर ही इतना प्रभावी है तो फिल्म कितनी भव्य और प्रभावी होगी इसका अंदाज हम एक ही दिन में लगभग सवा करोड़ लोगों ने इस ट्रेलर को देखा इससे लगा सकते हैं।

लेकिन इस ट्रेलर के अंत में गोंड जनजाति के क्रांतिकारी भीम को मुस्लिम भी दिखाया गया है।

क्या कारण है इसका?

गोंड भारत की एक प्रमुख जनजाति है। जिनमें से बहु संख्य लोगों ने जनगणना में स्वयं को हिंदू लिखा है। ऐसा है तो भीम को मुस्लिम दिखाने का क्या औचित्य है?

क्या जानबूझकर इस फिल्म के नायक को अनावश्यक रूप से मुस्लिम दिखाकर हिंदू समाज को उकसाने का षड्यंत्र तो नहीं चल रहा है?

या हिंदुओं को उकसाकर अपनी फिल्म की मार्केटिंग का नया फंडा तो इन फिल्मकारों ने कही ढूंढ नहीं लिया है?

यह फिल्मकार ऐसा कुछ गलत काम करते हैं और इसके खिलाफ हिंदू समाज ने एक होकर आवाज उठाई तो इनका अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य खतरे में आता है।

मजाक बनाए रखा है यार हिंदू समाज को…!


(लेखक “महेशजी काळे” वनवासी कल्याण आश्रम के क्षेत्र प्रचार प्रमुख हैं)

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