प्रसिद्ध समाजसेवी और एनडीए के वरिष्ठ नेता राजा चौधरी ने आज लगातार 14वां दिन भी निःशुल्क कोरोना जांच शिविर का आयोजन किया। आज इन शिविरों ने तिहरा शतक लगाया। आज की कुल संख्या 304 रही। बिहार के विभिन्न जिलों में आयोजित इन शिविरों में आरटीपीसीआर और एंटीजन दोनों तरह के जांच हो रहे हैं। कोविड पोसिटिव मिलने पर दवाओं की किट भी निःशुल्क दी जा रही है। इन शिविरों की विधि व्यवस्था स्थानीय स्वयंसेवी संस्था, समाजसेवी और जनप्रतिनिधि देख रहे हैं। चौधरी के गृह नगर पटना में दर्जनों स्थानों पर ऐसे शिविर लगे हैं। स्थानीय विधायक, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच के सदस्यगण, स्थानीय पार्षद, समाजसेवी इन शिविरों को मॉनिटर कर रहे हैं। इन शिविरों की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि कोरोना पोसिटिव केस नगण्य मिल रहे हैं। आज अल्पसंख्यक समुदाय के क्षेत्रों में भी इन शिविरों का आयोजन हुआ। पटना शहर में हुए हजारों लोगों के जांच में आज सिर्फ दो पोसिटिव केस मिले। पटना के बाहर भी अब कुछ ही पोसिटिव केस मिल रहें हैं। सभी को दवाइयों की पूरी किट निःशुल्क दी जा रही है।
राजा चौधरी ने सभी के सभी वर्गो से इस जनकल्याणकारी, सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर मुहिम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील की है। सबसे सकारात्मक बात यह है कि जहाँ भी ऐसी शिविरों का आयोजन हो रहा है, वहाँ सकारात्मकता का माहौल बन रहा है जो कोरोनाकाल के संकट में बने भय का मायाजाल को समाप्त करने में असरदार साबित हो रहा है। चौधरी के शिविर के लिए अपना नंo सार्वजनिक करने के बाद काफी संख्या में बिहार और बिहार के बाहर रहने वाले समाजसेवी और जनप्रतिनिधि उनसे लगातार संपर्क भी कर रहे हैं। सभी आपने क्षेत्र में ऐसी शिविर लगवाना चाहते हैं।
राजा चौधरी ने बताया कि अब उनका अगला लक्ष्य एक दिन में 500 शिविर लगाने का है। वे ऐसी शिविरों को पूरे बिहार के हर कोने में लगाने की व्यवस्था कर रखे हैं, जो लगातार चलती रहेंगी। प्रतिदिन नए समाजसेवी और जनप्रतिनिधि उनसे ऐसी शिविरों को अपने क्षेत्र में लगवाने के लिए संपर्क कर रहें हैं। स्वास्थ्य केंद्रों पर भीषण भीड़ और निजी जाँच एजेंसियों के महंगे होने के कारण आम नागरिक इन शिविरों को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं। बिहार सरकार ने स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से ऐसी व्यवस्था पूरे बिहार में कर रखी है, परंतु समाजसेवीयों के सहयोग के साथ हो रहे इन शिविरों से आम जनता खास कर समाज के मध्यम और निचले पायदान पर आसीन नागरिकों को ज्यादा सहुलियत मिल रही है। साथ ही लोगों के मन से कोरोना का भय भी समाप्त हो रहा है।
चौधरी ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद जनता के हर एक समस्याओं पर पैनी नजर रखे हुए हैं। बिहार सरकार के पास कोरोना मरीजों के इलाज के लिए भरपूर समुचित संसाधन मौजूद हैं, जनता किसी अफवाह पर कतई विश्वास न करे, न ही हतोत्साहित हो, न ही पैनिक हो, सबकी उचित इलाज और जीने का समुचित व्यवस्था होगी।
राजा चौधरी ने देश के सभी नागरिकों से यह अपील भी की है कि सभी नागरिक कोरोना के साथ जीने की कला को सीखें। सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता के नियमों का कड़ाई से पालन करें। अगर सभी आम नागरिक कोरोना के साथ जीने के लिए मेरे द्वारा बनाए गए चार मानसिक सिद्धांत चुस्त रहें, व्यस्त रहें, मस्त रहें, स्वस्थ रहें के साथ साथ तीन शारिरिक सिद्धांत सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता के नियमों का कड़ाई से पालन, नंo आने पर टीका लेना और टीकाकरण के पहले दिन से दूसरे टीका लेने के बाद बनने वाले एंटीबॉडी तक सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का दुगुनी कड़ाई से पालन करेंगे तो कोरोना किसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगा। कोरोना आप में आएगा भी और जाएगा भी। इन सातों सिद्धान्तों को अपने जीवन में चरितार्थ करें और सकारात्मक परिवर्तन को महसूस करें। वैसे भी कोरोना सदैव था, सर्वत्र है और सदैव रहेगा। कोरोना की दूसरी लहर सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग के इन सिद्धांतों को नहीं मानने और इलेक्ट्रॉनिक तथा सोशल मीडिया द्वारा लगातार प्रचारित होने वाले भ्रामक और नकारात्मक संदेशों के कारण आई थी। जब सभी नागरिक कोरोना के साथ जीने के इन नियमों का कड़ाई से पालन करेंगे तो पूरे भारतवर्ष में जनजीवन सामान्य हो जाएगा। विदेशों और भारतवर्ष में सबसे बड़ा मूल फर्क यह है कि यहां की जनसंख्या का घनत्व बाकी सभी जगहों से काफी ज्यादा है, इसलिए यहां सोशल डिस्टेंसिंग का बहुत महत्व है। सभी अपना नंबर आने पर टीका अवश्य लें और दूसरी डोज लेने के बाद के एंटीबॉडी बनने के समय तक सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को दोगुनी कड़ाई से पालन करें।
चौधरी ने मुख्यमंत्री से यह आग्रह भी किया है कि 25 तारीख के बाद लॉकडाउन को खत्म करने के तैयारी पर विचार शुरू किया जाए और उसके बाद सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए नए नियमों पर विस्तार पूर्वक गहन अध्ययन कर, बना कर उन नियमों को कड़ाई से लागू किया जाए। कोरोनाकाल के संकट का लॉकडाउन कोई इलाज नहीं है, इलाज अगर है तो सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करवाना। लॉकडाउन लगाने से सभी बाजार कम समय के लिए खुल रहे हैं और उस समय में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना असंभव ही नहीं नामुमकिन भी है। इस समस्या के समाधान के लिए लॉकडाउन के समय बाजार सुबह-शाम दो बार खोले जाएं साथ ही बाजार खुलने का कुछ समय भी बढ़ा दिया जाए। निम्न वर्ग के लिए लॉकडाउन से उत्पन्न होने वाले परेशानियों के समाधान का बिहार सरकार समुचित व्यवस्था कर चुकी है और उच्च आय वर्ग खुद ही उन परिस्थितियों से निपटने में सक्षम है। परंतु मध्यमवर्ग जो संकोचवश सरकारी सुविधाओं का लाभ भी नहीं उठा सकती और न ही खुद में सक्षम है, वह काफी परेशानियों में है। पिछले एक सालों में मध्यमवर्ग की कमर बिल्कुल टूट चुकी है और चूँकि समाज में मध्यम वर्ग के लोग ही ज्यादा हैं, इसलिए उनका ख्याल रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के पालन पर नए नियमों को बनाने एवं कड़ाई से लागू करने के लिए विस्तृत चर्चा और कार्य किए जाएं तथा लॉकडाउन को खत्म कर जनजीवन सामान्य करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए।