कोरोना से निपटने में नाकाम रही बिहार सरकार पर पूर्व सांसद सह देश के कद्दावर नेता शरद यादव ने जनहित की बातों को छोड़कर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने इस बाबत एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसके जरिये उन्होंने कहा कि वे पहले भी राज्य सरकार को आगाह करते रहे थे, मगर यह सरकार है कि सुधरती ही नहीं है। यही हाल केंद्र की एनडीए सरकार का भी है। इन्हें सिर्फ राजनीति करनी है।
यादव ने कहा कि बिहार प्रदेश में कोरोना बीमारी से निपटने के लिए इंतजामों की स्थिति दर्दनाक और दयनीय है जोकि उमेश रजक उप सचिव गृह विभाग बिहार सरकार की मौत से दिखता है। उसके बाद कितने ही दर्दनाक मामले सामने आए हैं। किस किस का जिक्र किया जाए। परेशानी होती है। प्रदेश में सरकार की नाकामी की वजह से बहुत ही चिंताजनक स्थिति बनी हुई है, जो निंदनीय है। उमेश रजक की स्थिति शब्दों में बयान करना भी बहुत डरावना सा लगता है कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था का इतना बुरा हाल है। जब एक मंत्रालय में काम करने वाले वरिष्ठ अधिकारी के साथ ऐसा हो सकता है तो एक आम इंसान के साथ कैसा हो रहा होगा? आम इंसान तो बिहार में ऐसी बुरी स्वास्थ्य व्यवस्था की वजह से अस्पताल स्पताल तक भी नहीं पहुंच पाता होगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे राज्य में कई मामले मिलेंगे, जिससे मरीजों की मृत्यु कोरोना बीमारी से हुई, क्योकि उनको समय से इलाज और हस्पताल पहुंचाने की सुविधा नहीं मिली। जो अस्पताल हैं भी तो वह अस्पताल नहीं लगते हैं। बिहार सरकार को चाहिए था कि कम से कम कोरोना से निपटने लिए कुछ साफ सुथरे केन्द्र बना देने चाहिए थे पता नहीं ये क्यों नहीं किया गया, जो समझ से परे है।
उन्होंने कहा कि कोरोना बीमारी के लिए बिहार सरकार द्वारा इंतजामों में बिल्कुल अनदेखी की गई है जबकि राज्य को इंतजाम करने के लिए पर्याप्त समय भी मिला है। मेरा मानना है कि इस समय भी बहुत बड़ी संख्या में लोग राज्य में संक्रमित हैं मगर बहुत कम बताए जा रहे हैं क्योकि जांच ही बहुत कम हो रही हैं। मैं समझता हूं कि राज्य में मामले और बढ़ेंगे क्योकि एक तो मानसून आ गया है और ऊपर से राज्य में बाढ़ और सफाई के कार्यों में भी यह सरकार असफल और इस सरकार को ऐसे सुशासन में कोई रुचि नहीं दिखती है। मुझे तो डर है कि स्थिति कहीं नियंत्रण से बाहर ना निकल जाए।
यादव ने आगे कहा कि जो बेदर्दी प्रवासी मजदूरों के प्रति और जो छात्र बाहर पढ रहे थे उनको वापिस लाने के समय इस सरकार में देखी उससे काफी परेशान था कि कोई सरकार ऐसा भी अपने लोगों के साथ कर सकती है मगर बिहार सरकार ने किया था चिंता का विषय है कि बिहार सरकार इस बीमारी से कैसे निपटेगी जिसके पास पूरे इंतजाम ही नहीं है जैसे हस्पतालों में बिस्तर, वेंटिलेटर आदि व्यवस्थाएं नहीं है। जिस इंस्टीट्यूट में जांच की सुविधा है वहां के लोग भी संक्रमित हुए है तो जांच की व्यवस्थाओं में और कमी आ सकती है।