युवा मातृभूमि के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निभाए। घर- परिवार ,नौकरी ,समाज सब के बीच तालमेल बिठाते हुए युवाओं को देश और मातृभूमि के प्रति भी अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करना चाहिए ।यह बात प्रोफेसर रूबी मिश्रा( देशबंधु गुप्ता कॉलेज )ने महाविद्यालयीन तरुणी विभाग की ओर से आयोजित विवेकानंद जयंती के अवसर पर कहीं।उन्होंने विवेकानंद जी के नारे उठो ,जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको को गुरु मंत्र कहा कि इस मंत्र को जान कर ही युवा अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर सकते हैं। अगर हम विवेकानंद को जानते हैं तो हम हिंदू धर्म को जान सकते हैं क्योंकि हिंदू धर्म एक विचार है इसे जाने, जानकर माने तभी इस समाज को हम सुरक्षित रख सकते हैं। विवेकानंद युवाओं के प्रतीक हैं इसीलिए विवेकानंद के जन्मदिन को युवा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।आज देश के युवाओं के सामने अनेक चुनौतियां हैं और उसमें भी महिलाओं और तरुणियों के सामने अधिक चुनौतियां हैं । तरुणियों की प्रतीक सुभद्रा कुमारी चौहान ,रानी लक्ष्मीबाई, समिति संस्थापिका लक्ष्मीबाई केलकर के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को उनके आदर्शों पर चलाते हुए आगे बढ़े। डॉक्टर रूबी मिश्रा ने पी. सी .रॉय का उदाहरण देकर बताया कि पर तंत्र भारत में जब उन्हें प्रोफेसर का दर्जा नहीं मिला तो उन्होंने छात्रों को निशुल्क पढ़ाना शुरू कर दिया और अपनी अलग प्रयोगशाला बनाकर देसी दवाइयों पर शोध किया ।ऐसे युवा व ऐसे लोग ही देश और समाज को प्रगति के मार्ग पर ले जाते हैं और समाज इन पर अभिमान करता है।
देश के युवा को दिशा दिखाने में गुरु का महत्व भी है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अपने छात्रों के बीच नरेंद्र अर्थात विवेकानंद की बौद्धिक प्रखरता व बौद्धिक स्तर को समझाऔर इसलिए उन्होंने उन्हें ज्यादा समय दिया क्योंकि उन्हें यह ज्ञात हो गया था कि विवेकानंद ही हिंदू धर्म को आगे ले जायेंगे और विवेकानंद भी अपने गुरु की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं पर खरे उतरे।
महाविद्यालयीन तरुणी विभाग की ओर से विवेकानंद जयंती के अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति कार्यालय, पटेल नगर में एक वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता डॉ रूबी मिश्रा (प्रोफेसर देश बंधु गुप्ता कॉलेज) व रेखा राजे जी (अखिल भारतीय सह कार्यवाहिका) आमंत्रित थे। राष्ट्र सेविका समिति की सेविकाओं ने इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
रेखा राजे जी ने भी विवेकानंद जी के जीवन और उनके परिवार के विषय में सेविकाओं को जानकारी दी ।उन्होंने कहा कि विवेकानंद का परिवार कुलीन परिवार था। पिता वकील थे । रामायण, महाभारत की चर्चा घर में हुआ करती थी ।मकर संक्रांति के दिन विवेकानंद का जन्म हुआ। विवेकानंद जी यह बात जानते थे कि आंतरिक ज्ञान से ही एकाग्रता बढ़ती है इसलिए महिलाएं भी अपने आंतरिक ज्ञान को बढ़ाएं ।महिलाएं ज्यादा जागरूक हैं आंतरिक ज्ञान के कारण वे अच्छा या बुरा जल्दी समझ जाती हैं ।हमें अपनी तरुणाई जीवित रखनी चाहिए। रानी चेन्नम्मा, लक्ष्मीबाई ,भगत सिंह यह सभी युवाओं के प्रतीक हैं और हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम राष्ट्र की भलाई के प्रति सजग रहें ।स्वामी विवेकानंद का जीवन एक आदर्श जीवन रहा जिन्होंने हिंदू धर्म को विश्व भर में प्रसिद्ध किया। उन्हीं के कारण हिंदू धर्म के प्रति लोगों में जिज्ञासा और सम्मान का भाव बढ़ा ।इस कार्यक्रम में राष्ट्र सेविका समिति के अधिकारीगण व सेविकाएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं।