बिहार अपडेट: ईशनिंदा के झूठे और फर्जी आरोप में दस साल की कैद के बाद पाकिस्तान की ईसाई महिला आसिया बीबी को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पाकिस्तान में कट्टरपंथी जमातों का सरकार और सेना के विरोध में शुरू हुए धरना-प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। फैसले के दूसरे दिन भी पाकिस्तान के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इस दौरान रास्ता रोकने के साथ लूट-पाट भी की जा रही है।
आसिया बीबी को रिहा करने के फैसले के विरोध में सबसे अधिक उग्रता दिखा रहे संगठन टीएलपी के नेता मौलाना मुहम्मद अफजल कादरी ने खुलेआम कहा कि आसिया को बेगुनाह बताने वाले सुप्रीम कोर्ट के तीनों जजों का कत्ल कर देना चाहिए। यह काम जजों के सुरक्षाकर्मी या उनके ड्राइवर या फिर रसोइए को करना चाहिए। इस दौरान मौलाना कादरी ने पंजाब के गवर्नर सलमान तसीर को मारने वाले उनके सुरक्षा गार्ड मुमताज का जिक्र भी किया।
मुमताज ने सलमान तसीर की हत्या इसलिए की थी, क्योंकि उन्होंने ईशनिंदा वाले उस कानून में बदलाव की मांग की थी जिसके तहत आसिया बीबी को फांसी की सजा सुनाई गई थी। बाद में मुमताज को फांसी की सजा दी गई, लेकिन सजा सुनाने वाले जज ने पाकिस्तान छोड़ दिया था। मुमताज की फांसी के बाद उसके समर्थकों ने उसके नाम पर एक मजार बना दी और अब वहां सालाना जलसा होता है।
मौलाना कादरी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को यहूदी का बच्चा करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार को तुरंत हटा देना चाहिए। कादरी ने सेनाध्यक्ष बाजवा को खरी-खोटी सुनाते हुए मुसलमान सैन्य अफसरों से अपील की कि उन्हें बाजवा के खिलाफ बगावत कर देनी चाहिए। ऐसी खुली धमकियां और भड़काऊ भाषण तब दिए जा रहे हैं जब पाकिस्तानी पीएम इमरान खान यह कह चुके हैं कि आसिया बीबी को रिहा करने के फैसले का विरोध करने वाले सरकार के सब्र का इम्तहान न लें। हम सड़कों को बाधित किया जाना और संपत्ति को नुकसान पहुंचाना बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने सड़कों पर उतरकर हिंसा करने वालों को यह कहकर चेताया भी था कि उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई हो सकती है, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा है।
आसिया बीबी को रिहा करने के फैसले के बाद हालात कितने खराब हैं, इसे इससे भी समझा जा सकता है कि आसिया देश छोड़ने की तैयारी कर रही है। फ्रांस और स्पेन ने पहले ही उन्हें शरण देने की पेशकश की है। सुप्रीम कोर्ट में आसिया की पैरवी करने वाली वकील की भी सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। डॉन अखबार ने सुप्रीम कोर्ट से बाहर निकलते हुए उनका फोटो तो छापा, लेकिन उनका चेहरा ढक दिया ताकि उनकी सुरक्षा के लिए खतरा न पैदा हो। टीएलपी के अलावा कई अन्य कट्टरपंथी संगठन आसिया बीबी की रिहाई के फैसले के विरोध में हैं।