प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्र सरकार ने शहरी गरीबों के लिए पिछले तीन साल में 1.65 लाख लोगों को 3559 करोड़ रुपए की सब्सिडी का लाभ देने का दावा किया है।
केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने मोदी सरकार के तीन सालों की तुलना यूपीए सरकार के चार से करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास (शहरी) योजना के तहत मोदी सरकार ने 2015-18 के बीच 1.65 लाख से अधिक लोगों को लाभ दिया है, जिसमें 3,559 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है।
वहीं चालू वित्तीय वर्ष में इस योजना के बजट के अतिरिक्त 31,505 करोड़ रुपए भी जारी किए गए हैं। मंत्रालय के अनुसार इस क्रेडिट लिंक्ड योजना के तहत मोदी सरकार के मुकाबले यूपीए सरकार ने केवल 18,166 लोगों को ही ब्याज सब्सिडी वाली योजना का लाभ दिया था।
मंत्रालय ने सीएलएसएस के लिए पर्याप्त कोष सुनिश्चित करते हुए 31,505 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में 25 हजार करोड़ रुपए से अधिक के कोष के लिए अतिरिक्त प्रावधान भी किया गया है।
इसके अलावा इस वर्ष के बजट में सीएलएसएस के लिए 1900 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ था। हालांकि आवश्यकता पड़ने पर और धन प्राप्त करने की रियायत भी दी गई है।
इस रियायत का मकसद इस महत्वपूर्ण मिशन के लिए धन की कमी की नौबत से बचना है। मिशन ने सीएलएसएस वर्टिकल के तहत एक कारगर रणनीति तैयार की है ताकि इस वर्ष भी लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि की जा सके।
47.5 लाख आवासों की मंजूरी
मंत्रालय के अनुसार मोदी सरकार के इस मिशन की शुरुआत जून 2015 में शुरू हाने के बाद अब तक यानि पिछले तीन सालों में 47.5 लाख आवासों के निर्माण को इस योजना के तहत स्वीकृति दी गई है।
पूर्व की योजना की तुलना में यह संख्या बहुत अधिक है क्योंकि पहले कि योजना में दस वर्षों में सिर्फ 12.4 लाख घरों के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। 27 लाख घरों का निर्माण पूरा होने के विभिन्न चरणों में है, जबकि 8 लाख से अधिक घरों का इस अवधि में निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका हैं।
सरकार को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत घरों की कमी की समस्या से कारगर तरीके से निपटा जा सकेगा।