26 जुलाई का दिन हर भारतवासी के लिए गर्व का दिन है।यह वह दिन है जिस दिन भारत के वीर सपूतों ने अपनी धरती पर पड़े कुत्सित पाकिस्तानीयों के पैरों को उखाड़ कर कारगिल सहित अन्य पर्वत श्रृंखलाओं को पुनः तिरंगे से सुसज्जित किया था। इस अदम्य सैन्य अभियान में भारत माँ के कितने ही जांबाजों ने अपने वतन की अभिमान और अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे कर वीरता और शौर्य के नए आयाम स्थापित किये थे।
ऐसे ही शूरवीरों की श्रृंखला में जम्मू में पूंछ के वीर जवान औरंगजेब मोहम्मद हनीफ थे। इस जांबाज़ ने मेजर शुक्ला की अगुवाई वाले दल में शामिल हो कर जम्मू कश्मीर की धरती से दर्जनों आतंकियों का सफाया किया था। अपने परिवार के साथ ईद मनाने छुट्टी पर घर जाते वक़्त आतंकियों ने इस सैनिक का धोखे से अपहरण कर कायरतापूर्वक हत्या दिया। इस शहीद सैनिक के वीर पिता जो स्वयं सेना में रह कर देश सेवा कर चुके है, को अपने बेटे की शहादत पर फक्र है। आतंकियों के इन कायराना साज़िश में शहीद हुए राइफल मैन औरंगजेब के साथ देश हर नागरिक खड़ा है।
कश्मीर की धरती को आतंकियों से मुक्त कर पुनः धरती का स्वर्ग कोशिश में लगे औरंगजेब जैसे वीर सैनिक पर हुए ऐसे घृणित और कायराना जानलेवा घटना ने कश्मीर से हज़ारों मील दूर बैठे एक दिव्यांग राष्ट्रप्रेमी के मानस पटल को झकझोर के रख देता है। नीलोत्पल मृणाल जो स्वयं कभी भारतीय सेना में शामिल हो भारत माँ की सेवा करने का सपना देखते थे, जन्म से पोलियो से अभिशप्त होने की वजह से यह सपना कभी पूरा न कर सकें। बिहार की राजधानी पटना से मुम्बई आ कर अपना आशियाना बनाया। मेहनत लगन और चट्टानों जैसी मजबूत इच्छाशक्ति के दम पर उच्च शिक्षोपरांत एक सफल व्यवसाई के तौर पर अपनी पहचान बनाई।
लेकिन मन में देश के प्रति सम्मान और सेवा के भाव ने कभी अपनी आभा नही खोई । समाज के कई वर्गों के लिए निरंतर प्रयत्न करते रहने वाले नीलोत्पल मृणाल को एक सम्माननीय समाजसेवी के तौर पर भी जाना जाता है।भारतीय सैनिकों के प्रति अपनी खास लगाव की वजह से ये हर वर्ष 2अक्टूबर को मुम्बई में मैराथन का आयोजन कर देश और समाज की तरफ से सैनिकों का सम्मान और प्रोत्साहन करते रहे हैं।
26 जुलाई 2018 को जब पूरा भारत कारगिल विजय दिवस पर अभिमान कर रहा होगा और एक शहीद “औरंगज़ेब” के घर उदासी का माहौल बना हो यह निलोत्पल मृणाल को स्वीकार नही था। उन्होंने यह ठाना की इस वर्ष वे इस अवसर पर न सिर्फ इस शहीद के परिवार के साथ खड़े होंगे बल्कि भारत के प्रति दुर्भावना रखने वालों को स्पष्ट और प्रभावशाली सन्देश देंगे।
नीलोत्पल मृणाल फाउंडेशन के माध्यम से देश के विभिन्न प्रांतों से समाज के पिछड़े पर अवहेलना से ग्रसित दिव्यांगों को इकठ्ठा कर कश्मीर की धरती पर इस शहीद के परिवार से मिल कर इनके द्वारा एकतृत सहयोग राशि सौंपेंगे। निलोत्पल मृणाल की इस दूरदर्शी कदम से भारत के वीर सैनिकों ले लिए यह सन्देश है कि देश हर एक नागरिक चाहे वह शारीरिक रूप से असक्षम ही क्यों न हो, मजबूती से उनके साथ खड़ा है। इनके द्वारा एकतृत राशि धन मात्र नही है अपितु एक संदेश है कि हम अपने सैनिकों का सम्मान तन मन और धन से करते हैं। भारत के अभिन्न अंग और अभिमान कश्मीर की धरती पर कुदृष्टि रखने वालों को यह जताना चाहते है की एक वीर की कायरता पूर्वक हत्या कर ऐसे लोग अपने मंसूबो में कभी कामयाब नही होंगे। सैनिको के साथ भारत का अंतिम नागरिक तक मजबूती से खड़ा है। अपने सरहदों को रक्षा करने वालो के प्रति समाज का कमज़ोर और अपेक्षित समझा जाने वाला वर्ग भी पूरी निष्ठा और समर्पण के भाव से तत्पर है।
नीलोत्पल मृणाल के ऐसे अदम्य और अदभुत कदम से समस्त भारत में अपने सैनिकों के प्रति सम्मान गर्व और जुड़ाव का स्पंदन होगा। देशप्रेम की इस अनोखे उदाहरण से सैनिकों के साथ साथ समाज के असक्षम विकलांगो को भी प्रचुर सकारात्मक प्रोत्साहन मिलेगा। ऐसे असाधारण उद्देश्य के लिये श्री निलोत्पल मृणाल का यह आयोजन उन्मुक्तकंठ प्रसंसनीय है और अनुकरणीय है।