बिहार अपडेट- तमाम एक्ज़िट पोल्स को धता बताते हुए कड़े मुकाबले में एक बार फिर नीतीश के सर बिहार के मुख्यमंत्री का ताज सज गया। एक्ज़िट पोल्स में जहां महागठबंधन को एतिहासिक जीत बताई जा रही थी वहीं बिहार की जनता ने अपना निर्णय देते हुए एन डी पर भरोसा जताया। हालांकि नीतीश की जीत में जदयू का हिस्सा कम है और भाजपा का अधिक लेकिन गठबंधन धर्म का पालन करते हुए भाजपा नीतीश को ही मुख्यमंत्री बनायेगी ऐसा तय है। अंतिम परिणाम के अनुसार एन डी ए के 125 विधायक जीते हैं और महागठबंधन शुरूआती तेजी दिखाने के बाद 110 सीटों पर ही ठहर गया।
चुनावों मे किस दल को कितनी सीट मिलीं-
जदयू को 43 सीटों पर विजय हासिल हुई, ये आकड़ा पिछली बार से 28 कम है। 2015 में जदयू को 71 सीटों पर विजय हासिल हुई थी।
भाजपा का प्रदर्शन शानदार रहा। जनता ने पूरा भरोसा उस पर दिखाया। उसे 74 सीटों पर विजय मिली जो की 2015 की 53 सीटों से 21 अधिक है।
राजद का प्रदर्शन बुरा नहीं रहा। 76 सीटों पर विजय पाकर वह बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है। हालांकि उसे 2015 के मुकाबले 5 सीटों का नुकसान हुआ है। 2015 में उसको 80 सीटों पर जीत मिली थी।
कांग्रेस को इस बार 19 सीटों से ही संतोष करना पड़ा पिछली विधानसभा में उसके 27 विधायक चुनकर आये थे। उसे 8 सीटों का नुकसान हुआ है।
इस चुनाव में सबसे ज़्यादा अगर किसी को फायदा हुआ है तो वो वाम दल हैं। बिहार में हाशिए पर जा पहुंचे वाम दलो को संजीवनी मिल गई है उसे इस बार 16 सीटों पर विजय मिली है। ये आंकड़ा पिछली बार से 13 अधिक है। 2015 में वाम दलों के पास केवल 3 सीटें थीं।
इसके अलावा एन डी ए के घटक वी आई पी को 4, हम को 4 सीटों पर विजय मिली है।
इन चुनावों में गेमचेंजर माने जाने वाले चिराग पासवान की लोजपा को एक सीट पर विजय मिली है उसे 1 सीट का नुकसान हुआ है। इस हार से उनके राजनीतिक भविष्य पर भी खतरा मंडराने लगा है। नीतीश को जेल भेजने का दावा करने वाले चिराग का एन डी ए में क्या होगा ये भी देखना होगा। क्या रामविलास पासवान जी की विरासत वो सहेज पायेंगे या नीतीश उन्हें एन डी ए से बाहर का रास्ता दिखाने में कामयाब होंगे, ये देखना दिलचस्प होगा।
अन्य 7 स्थानो पर जीते हैं। रालोसपा का खाता भी नहीं खुला है।
इन चुनावों में कुछ चर्चित चेहरों पर इस बार जनता ने विश्वास नहीं जताया है। राजद के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्दकी केवटी से चुनाव हार गए हैं। बिहार में राजनैतिक बदलाव की बात करने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी दो जगह से चुनाव लड़कर दोनों जगहों से हार गई। शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा वह भी चुनाव हार गए हैं। बाहुबली नेता पप्पू यादव भी चुनाव हार गए हैं। राजद के उदय नारायण चौधरी इमामगंज से चुनाव हार गए हैं।
एन डी ए पर महिला वोटरों के भरोसे ने सौंपी उसे सत्ता की चाबी।
जिस समय देश के तमाम एक्ज़िट पोल महागठबंधन की जीत की बात कर रहें थे उसी समय बिहार अपडेट पर वरिष्ठ पत्रकार एस एन द्विवेदी ने हमारे खास कार्यक्रम कैसे बनेगी एन डी ए की सरकार में बिहार की महिलाओं की बढ़े मत प्रतिशत को ध्यान में रखते हुए कहा था कि ये गेमचेंज करेंगी। नीतीश के शासन में उनका भरोसा है और एन डी ए की सरकार वहीं बनवायेंगी। जो की सच साबित हुआ। आप पूरा कार्यक्रम नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं।