बच्चों को अवश्य दिखाइये ‘2.0’

film2.0

फिल्म का नाम : 2.0

डायरेक्टर: एस शंकर

स्टार कास्ट: रजनीकांत, अक्षय कुमार, एमी जैक्सन, आदिल हुसैन और अन्य

अवधि: 2 घंटा 28 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

 स्टार- 3.5/5

 

पेशे से पत्रकार अतुल गंगवार फिल्म लेखन और निर्माता के तौर पर कार्य करते हैं।

rajnikanth 2.0

साउथ के सुपर स्टार रजनीकांत और हिंदी सिनेमा के खिलाड़ी अक्षय कुमार की के अभिनय से सजी निर्देशक शंकर की फिल्म इस सप्ताह प्रदर्शित हुयी है। फिल्म की कहानी को अगरbसमझना हो तो सिर्फ एक लाइन में समझा जा सकता है… मोबाइल विकिरण से पक्षियों को होने वाले नुकसान से नाराज एक पक्षी प्रेमी द्वारा मोबाइल उपभोक्ताओं, नीति निर्माताओं और सर्विस प्रोवाइडर से बदला लेना।

फिल्म में मुख्य पात्र चिट्टी ( रजनीकांत का रोबोट अवतार) और पक्षी राजा ( पक्षी प्रेमी अक्षय कुमार) के बीच लड़ाई है। पक्षी राजा मोबाइल विकिरण के चलते पक्षियों के मरने से परेशान है। उसका कहना है कि इसके चलते पर्यावरण को जो नुकसान हो रहें है उसका असर परोक्ष रुप से इंसानो पर पड़ रहा है। फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। वह चाहता है कि इस विकिरण को नियंत्रित किया जाये जिससे पक्षियों की सुरक्षा हो सके और पर्यावरण का संरक्षण किया जा सके। उसकी इस अपील का किसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, ना ही आम उपभोक्ता पर, ना ही नीति निर्धारकों पर, ना ही सर्विस प्रोवाइडर्स पर। निराश पक्षी राज आत्महत्या कर लेता हैं। लेकिन उसकी आत्मा यहीं रह जाती है और असंख्य पक्षियों की आत्माओं के साथ मिलकर वह शक्तिशाली हो जाता है, फिर खेल शुरू होता है सबसे बदला लेने का। इस लड़ाई में वशीकरण (
रजनीकांत, रोबोट का साइंटिस्ट) शुरूआत करता है और चिट्टी की मदद से वह पक्षी राज को खत्म करने में कामयाब होता है।
इस फिल्म में शंकर ने जो सवाल उठायें हैं, उनके जवाब अगर आज ना ढूंड़े गए तो वह दिन दूर नहीं कि एक दिन फिल्म वास्तविकता में बदल जायेगी। मोबाइल के दुष्प्रभाव आज भी दिखाई दे रहें हैं। याद कीजिए आपने आखिरी बार कब चिड़ियाओं का चहचहाना अपने घर की छत ( यहां मैं शहरों की बात कर रहा हूं) पर सुना था। या कभी आप अपने बच्चों से पूछिये क्या उन्होंने कभी किसी चिड़िया को छत पर देखा था? मोबाइल के अधिक प्रयोग से आम आदमी के जीवन में कई परिवर्तन हो रहें हैं। कभी एकांत में बैठकर सोचिएगा… क्या आप आजकल चिड़चिड़ा तो नहीं रहें हैं, छोटी छोटी बातों पर झुंझला जाते हैं, मोबाइल के चक्कर में आप काम में लापरवाही तो नहीं बरत रहें हैं। आखिरी बार आपने अपने मित्रों, रिश्तेदारों से बात ( मैसेज, वाट्सएप्प के अतिरिक्त) की थी। लोगों में संवादहीनता की स्थिति है। इसलिए संकट के समय लोग अपने को अकेला पा रहें हैं। 10 में से 9 लोग जाने अनजाने इन समस्याओं का शिकार हो रहें हैं। ये समस्याएं आज प्रारंभिक स्तर पर हैं, लेकिन धीरे धीरे एक दिन ये विकराल रुप ले सकती हैं। ये फिल्म उसकी ओर इशारा कर रही है।

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फिल्म में तकनीक हावी है। उसकी वजह भी है। समस्या इतनी विकराल है कि मनुष्य उससे लड़ नहीं सकता। वशीकरण के रुप में रजनीकांत लाचार दिखते हैं, सिवाए कंप्यूटर के आगे बैठकर उंगलियां चलाने के वो फिल्म में कुछ खास नही कर पा रहे हैं। लेकिन रोबोट चिट्टी के रूप में वह लड़ाई लड़ रहें हैं। इसको दिखाने के लिए शंकर ने प्रभावशाली स्पेशल इफेक्ट्स का सहारा लिया है। फिल्म का तकनीकी पक्ष मजबूत है। पक्षी राज के रूप में अक्षय प्रभावशाली लगें हैं। हालांकि इसमें स्पेशल इफेक्टस का अधिक योगदान हैं। संगीत सबसे कमजोर पक्ष है फिल्म का, अगर ये ना भी होता तो कोई फर्क नहीं पड़ता।
एक बात यहां मैं ये भी कहना चाहूंगा कि बाज़ार की ताकतों ने फिल्म को असफल करार देने का काम शुरू कर दिया है। उनके अनुसार फिल्म बकवास है। लेकिन मेरी राय में फिल्म एक बार ज़रूर देखी जानी चाहिए। विशेष रुप से हमें बच्चों को ये फिल्म अवश्य दिखानी चाहिए जिससे वह यह तय कर सकें कि तकनीक को अपने जीवन में हमें किस कीमत पर महत्व देना है। कहीं ऐसा ना हो आने वाले वर्षों में आपस में संवाद बिल्कुल समाप्त हो जाये। पर्यावरण खत्म हो जाये और मानव इस पृथ्वी से विलुप्त हो जाने की स्थिति में आ जाये।

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