साल था 1976 । इस साल महान गायक मुकेशजी की मृत्यु हुई थी। मुकेश जी की मृत्यु से कुछ पहले बीबीसी के हिमांशु भादुड़ी ने उनका एक इंटरव्यू किया था।
इंटरव्यू सुनते हुए मुकेश जी की आवाज़ के दर्द को महसूस किया जा सकता है। उनके जीवन के ख़्वाब क्या और कैसे थे, इंटरव्यू सुनने पर भी पता चलता है। एक फिल्म के लिए उन्हें प्लेबैक सिंगिंग करवाई गयी। वह रिलीज नहीं हुई। बाद में एक और फिल्म के लिए उनसे गीत गवाया गया। जिसके हीरो मोतीलाल थे। फिल्म रिलीज की डेट करीब आयी तो उन्हें सूचना दी गयी कि फिल्म में आपका गाया गीत नहीं रहेगा। आपके गीत बोर करते है। मोतीलाल के अभिनय से आपका गीत मेल नहीं करता। तब मुकेश जी स्वयं फिल्म से जुड़े तमाम किस्म के प्रभावशाली लोगों के पास पहुँचे कि फिल्म में उनके गाने रखे जाए। उनकी फरियाद किसी ने नही सुनी। अंत में फिल्म में पैसा लगाने वाले प्रोड्यूसर के पास गये। प्रोड्यूसर ने उनकी मनुहार सुनी और कहा कि गाने को फिल्म में एक हफ्ते के लिए रखते है और यदि दर्शकों को अच्छा नही लगा तो हटा दिया जाएगा। मुकेश इस बात पर राजी ही गये।
आरम्भ में के एल सहगल के गाने मुकेश गाया करते थे। एक घरेलू फक्शन में लड़के पक्ष को इंटरटेन करने के लिए गाने का रहे थे। तीसरे दिन फिल्म से सबन्धित लोग उनके पिता के पास पहुँचे। बताया कि साहब आपका बेटा तो बड़ा शानदार गाता है, गायेगा तो के एल सहगल से ज्यादा बड़ा नाम कमायेगा। उनके वालिद ने मुकेश से पूछा कि ये कौन लोग है। उन्होंने बताया कि फिल्म वाले है। बड़े लोग है। मुकेश के वालिद ने सहगल का नाम सुना था। लेकिन उन्हें गाने के लिए नहीं भेजा। बाद में निर्दोष फिल्म बन रही थी। तब फिर खबर आयी। गाने आइये। वे पहुँचे। और गाना गाया।
बीबीसी के हिमांशु भादुड़ी ने मुकेश से पूछा कि आपके अनेकों गीत बेहद लोकप्रिय हुए । लेकिन आपको कौन सा अच्छा लगता है ? उन्होंने बड़े साफगोई से जवाब दिया और कहा कि “मुझे पता नही जी कौन से गीत लोकप्रिय हुए और कौन से नहीं । लेकिन हां एक गीत मेरे दिल के बहुत करीब है और जिसे पूरा गाकर आपको सुनाता हूँ- “
कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे
तड़पता हुआ जब कोई छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा
तुम्हारे लिये, कोई जब …
यह गीत फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ का है। जिसके बोल इंदीवर ने लिखे है और संगीत तैयार किया है- कल्याण जी आनंद जी ने।
उन्होंने बताया कि फिल्म में एक्टिंग के बारे में ख्याल आया। नाकायामबी की कड़ी में यह जुड़ा। फिर सोचा कि एक सेकेंड क्लास एक्टर बनने से अच्छा है कि फर्स्ट क्लास सिंगर बना जाए।
‘पहली नज़र’ के आह सितारपुरी के शब्दों को राग दरबारी कांगड़ा में अनिल विस्वास ने सजाया था और मुकेश ने गाया था। वह गीत काफी मकबूल हुआ-
दिल जलता है तो जलने दे
आँसू ना बहा फ़रियाद ना कर
तू परदा नशीं का आशिक़ है
यूं नाम-ए-वफ़ा बरबाद ना कर
दिल जलता है तो जलने दे …
मुकेश ने कहा था कि उनके सामने दस लाइट गीत के लिए ऑफर आये और एक उदासी भरे गीत का ऑफर तो वे उदासी भरे गीत ही गायेंगे।
आज गायक मुकेश की 100वीं जयंती है। दिल्ली में 22 जुलाई 1923 में जन्मे मुकेश का पूरा नाम मुकेश चंद्र माथुर था । मुकेश! एक ऐसी आवाज, जिसने हर दिल को छुआ। वो सिर्फ एक आवाज नहीं थी, बल्कि जादू थी, जो अपनी ओर लोगों को खींचे चली आती थी । उनके गाने आज भी सदाबहार हैं । हिंदी सिनेमा को जिसने अपनी अद्भुत आवाज में कई गाने दिए, वह कोई और नहीं, बल्कि मुकेश हैं । आज वह हमारे बीच नहीं हैं, पर इनके गुनगुनाए गीतों को हर दिल याद करता है ।
हैप्पी बड्डे मुकेश साहब । शत शत नमन