बोल बिंदास-
नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश के साथ संबंधो के नए युग की शुरूआत करते हुए बिना नाम लिए अपने पड़ोसी देश की आतंकवाद को संरक्षण देने के लिए आड़े हाथो लिया है. मोदी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में मारे गये भारतीय सैनिकों को सम्मानित करने को लेकर आयोजित एक समारोह में बोल रहे थे.
मोदी ने बहुत ही करीने से आतंकवाद से जूझते भारत व बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति की तुलना वर्ष 1971 में अपने पड़ोसी की उस मानसिकता से की जो बांग्लादेश को दबाने की कोशिश कर रहा था. मोदी ने कहा कि भारत और बांग्लादेश की विकास की विचारधाराओं के उलट दक्षिण एशिया में एक मानसिकता आतंकवाद की प्रेरणा व उसकी पोषक है. इस मानसिकता के पोषकों को विकास से बड़ा विनाश लगता है और सृजन से बड़ा संहार लगता है। इसके बाद उन्होंने कहा कि ”आज बांग्लादेश की त्रासदी के पीछे की मानसिकता तो नकारने का भी दिन है.”
भारत ने पड़ोसी सबसे पहले की नीति पर चलते हुए बांग्लादेश के साथ मिल कर यह दिखाया है कि दक्षिण एशिया में दो देशों के बीच एक दूसरे के हितों को ध्यान में रखते हुए किस तरह से आगे बढ़ा सकता है. अब यह दूसरे देशों पर है कि वह इससे कुछ सीखते हुए आगे बढ़े। विदेश मंत्रालय के अधिकारी मानते है कि जिस तरह से उड़ी हमले के बाद और सर्जिकल स्ट्राइक के बाद या सार्क बैठक रद्द करने के मामले में बांग्लादेश ने जिस तरह से आगे बढ़ कर भारत की कूटनीतिक मदद की उससे पाकिस्तान पर दबाव बनाने में मदद मिली है. यह स्थिति भारत सरकार की तरफ से लगातार दस वर्षो की कोशिश का नतीजा है. दस वर्ष पहले तक ढाका पाक की खुफिया एजेंसी आइएसआइ का गढ़ बनता जा रहा है. वहां से भारत में न सिर्फ आतंकी भेजे जा रहे थे बल्कि उल्फा उग्रवादियों को वहां पनाह भी दिया जा रहा था। अब यह सब खत्म हो चुका है.