दिनांक 01 मई 2022 को जहां जहां सभी ने अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया वहीं दधीचि देह दान समिति की फरीदाबाद शाखा ने इस दिवस पर एक कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें सभी कार्यकर्ताओं और मौजूद अतिथियों को नेत्रदान, अंगदान, देहदान से संबंधित जानकारियाँ दी गईं। इसमें फरीदाबाद, पलवल, मथुरा से पहुंचे कार्यकर्ता|
कार्यक्रम का शुभारंभ मंजु प्रभा जी ने ‘जीवेम शरद: शतम’ मंत्र गा कर सभी के उत्तम स्वस्थ रहते हुए 100 वर्ष जीने की कामना के साथ किया| तत्पश्चात केंद्र से उपाध्यक्षा मंजू प्रभा, महामंत्री कमल खुराना, उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता और फरीदाबाद क्षेत्र से राकेश माथुर, विकास भाटिया, गुलशन भाटिया, अर्चना गोयल, ने सभी को समिति के उद्देश्यों से अवगत कराया व सभी के प्रश्नों की जिज्ञासा भी शांत की। समिति के इन कार्यकर्ताओं ने बताया कि देह-अंग दान क्यों ज़रूरी है, समिति कैसे करी करती है, पंजीकरण की प्रक्रिया क्या है, किन किन दस्तावेजों की जरूरत पढ़ती है, रजिस्ट्रेशन करने से लेकर के मृत्यु उपरान्त तक एक कार्यकर्ता को क्या क्या सेवाएं देनी चाहिए।
बता दें कि दधीचि देह दान समिति को 30 नवंबर 2019 को डॉक्टर हर्षवर्धन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सर्वश्रेष्ठ एन0 जी0 ओ0 का अवार्ड भी मिल चुका है।अब तक अकेले ई एस आई सी मेडिकल कालेज फरीदाबाद में समिति ने 39 देह दान करवाए हैं। समिति की तरफ से पहला त्वचा दान 85 वर्षीय स्वर्गीय रतीश मोहन जी का किया गया। प्रश्न उतर पश्चात श्री कमल खुराना अध्यक्ष और श्री सुधीर उपाध्यक्ष ने संक्षेप में समिति के उद्देश्यों, क्रियाओं, उत्सवों, रक्तदान, नेत्रदान अंगदान देहदान बाबत जानकारी दी। कमल खुराना ने बताया कि समिति अब स्टेम सेल दान पर भी अपना समर्थन देती है। राजीव मैखुरी जो कि एम्स के ओर्बो में गत 20 वर्षो से कार्यरत है उन्होंने एनाटोमी एक्ट, मृत्यु के प्रकार, अंगो के समय संबंधित संरक्षण, अंगदान समन्वय, ओर्बो की कार्यप्रणाली की विस्तार से जानकारी दी।
डॉक्टर शाचि श्रीवास्तव जो की ईएसआईसी मेडिकल कालेज में नेत्र चिकित्सा की विशेषज्ञ है, उन्होंने भी नेत्रदान संबंधित विस्तृत जानकारी दी। उन्होने बताया कि नेत्रदान से पहले पंखा बंदकर एयरकंडिशनर चालू कर दें, और आखोंपर गीली रुई रख दें जिससे आखें सूखें नहीं| सिर को तकिया लगाकर ऊपर कर दें| सिर्फ कोर्नियल अंधता ही नहीं, आँख में चोट से पुतली फट जाने पर भी प्रत्यारोपण किया जाता है| पहले नेत्रदान में पूरी आँख निकाल लेते थे पर अब सिर्फ कॉर्निया ही निकालते हैं|
डॉक्टर विमल भंडारी जो की नोट्टो के भूतपूर्व डायरेक्टर हैं, वर्तमान में ई एस आई अस्पताल में शल्य चिकित्सा में प्रोफेसर हैं और जिन्हें सफदरजंग अस्पताल में 32 वर्षीय अनुभव है, उन्होंने भी अंगदान बाबत जानकारी दी। उन्होने बताया कि दधीचि देह दान समिति से उनका नाता काफी पुराना है| प्राक्रतिक म्रत्यु और मस्तिष्क म्रत्यु में किन किन अंगों का दान हो सकता है और अंगदान में क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए|
अंत में डॉक्टर नेने जो कि ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज फरीदाबाद और अलवर में एनैटॉमी प्रमुख हैं, उन्होंने सभी का स्वागत किया व देहदान के बारे में विस्तृत जानकारी दी। देह दान से पहले और देहदान के समय क्या सावधानियाँ ज़रूरी हैं जिससे बाद में कोई कानूनी परेशानी न हो | अर्चना गोयल जी ने सभागार में ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ से कार्यशाला की समाप्ति की।