मनुष्य और प्रकृति अन्योन्याश्रित हैं: डॉ. बजरंग लाल गुप्ता

मनुष्य और प्रकृति अन्योन्याश्रित हैं: डॉ. बजरंग लाल गुप्ता
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नई दिल्ली, 5 जून। विश्व में आज बाहरी पर्यावरण और प्रदूषण की चर्चा हो रही है, जबकि हमारे देश में मनीषियों ने आंतरिक पर्यावरण और प्रदूषण की बात कही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्ता ने यह विचार आज ‘पर्यावरण दर्शन’ पुस्तक के विमोचन के अवसर पर व्यक्त किये।

झंडेवाला मंदिर सभागार में सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित डॉ. ओम प्रभात अग्रवाल की पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने बताया कि स्टॉकहोम में विश्व पर्यावरण सम्मेलन के दौरान दुनियाभर से आये हुए पर्यावरणविदों ने मुनुष्यों द्वारा प्रकृति को हो रहे दुष्प्रभाव पर चिंता जताई थी। लेकिन उसके बावजूद पृथ्वी का तापमान बढ़ा ही है, लेकिन चूक कहां हुई। लेकिन हिन्दू चिंतन में तो प्राचीन काल से मनुष्य और पर्यावरण के संबंधों पर ध्यान दिया गया है। यहां तो पेड़ पौधों को भी देव तुल्य मान कर उनकी उपासना की जाती है।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां पर्यावरण प्रदूषण के स्थान पर विषम स्थिति शब्द का उपयोग किया गया है। पश्चिम की उपभोक्तावादी दृष्टि अपना कर हमने भी प्रकृति को नुक्सान पहुंचाया है। तथाकथित विकसित देश जिनमें विश्व की 20 प्रतिशत आबादी रहती है, विश्व के 80 प्रतिशत प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे है। वे अपनी सुविधा के अनुसार पर्यावरण के संबंध में विश्व की 80 प्रतिशत आबादी पर अपने विचार थोप रहे है। हिन्दू चिंतन में तो समूचा धर्म पर्यावरण से जुड़ा है, इसलिए हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए पश्चिम की ओर न देखते हुए, अपने आवश्यकताओं को सीमित रखकर प्रकृति को सुरक्षित रखना है।

पुस्तक के लेखक डॉ. ओम प्रभात अग्रवाल ने बताया कि पर्यावरण को नुक्सान और मनुष्य पर पड़ने वाले उसके दुष्प्रभाव के बारे में कई तथ्य इस पुस्तक में दिए गये हैं। उन्होंने बताया कि मनुष्य द्वारा कार्बन के अधिक उत्सर्जन से इसका प्रदूषण समुद्र में अधिक मात्रा में इकट्ठा होता जा रहा है जिससे कोरल द्वीप बनाने वाले जीवों पर संकट आ गया है। कोरल चट्टानें न रहने से सुनामी जैसी आपदाओं से तट असुरक्षित होते जा रहे।

इस अवसर पर संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री अशोक बेरी, उत्तर क्षेत्र कार्यवाह श्री सीताराम व्यास, सुरुचि संस्थान के अध्यक्ष श्री शिवकुमार यादव तथा अनेक जीव विज्ञानी, पर्यावरणविद व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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