आठ सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकने वाली चुंबकीय ट्रेन ‘मैग्लेव’ की तकनीक को भारतीय वैज्ञानिकों ने भी विकसित कर लिया है। फिलहाल इस किस्म की ट्रेन चीन और जापान में चलती हैं। इसे ‘मैग्लेव ट्रेन’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह ‘मैग्नेट’ यानी चुंबक से बनी पटरी पर चुंबकीय प्रभाव से ‘लेविटेट’ होकर यानी ऊपर उठ कर हवा में चलती है। हाल ही में मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआरकैट) में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस में वैज्ञानिकों ने इस ट्रेन के वर्किंग माॅडल का प्रदर्शन किया।
आरआरकैट की मैग्नेट टैक्नोलाॅजी डिवीजन के प्रमुख वैज्ञानिक डाॅ. आर.एस. शिंदे बताते हैं कि भारत में ‘मैग्लेव’ की तकनीक विकसित करने में 50 लोगों की उनकी टीम पिछले दस साल से काम कर रही है लेकिन पिछले तीन साल में इस काम में तेजी आई और हमने यह माॅडल तैयार किया। शिंदे कहते हैं कि अगर सरकार हमें हरी झंडी दिखाए तो हम इस ट्रेन को वास्तविक रूप देने के लिए तैयार हैं। इस तकनीक को विकसित करने के लिए मैग्नेट भी भारत में ही बनाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के संुदर नगर जिले में स्थित हैक्स मैग्नेटिक इंडस्ट्रियल कंपनी यह काम कर रही है। कंपनी के मुखिया आरुष कुमार कहते हैं कि इस ट्रेन को भारत में विकसित किए जाने से जहां देश विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेगा वहीं बड़ी तादाद में यहां रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।