राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद का परिवार लगातार मुश्किलों में घिरता चला जा रहा है. लालू प्रसाद के छोटे पुत्र और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी मुश्किलों में घिरे हुए नजर आ रहे हैं. दरअसल बेनामी सम्पत्ति के मामले में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी की मुश्किल बढ़ सकती है जिससे उनकी विधानसभा सदस्यता पर भी खतरा मंडरा रहा है.
बेनामी तरीके से अर्जित दिल्ली की करोड़ों की संपत्ति को जब्त किया है, साथ ही धोखाधड़ी को भी पकड़ा गया है. दरअसल तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री रहते एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड में लाभ का पद संभाला है जिसके कारण उनकी विधानसभा की सदस्यता भी जा सकती है. इस सम्बन्ध में आठ सितंबर 2017 की आयकर विभाग के अन्वेषण निदेशालय की करीब अस्सी पन्नों की जांच रिपोर्ट में विस्तार से इस संबंध में चर्चा है. इस जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि लालू प्रसाद के रेल मंत्री कार्यकाल में बड़े-बड़े ठेकों को हासिल करने के खेल में शामिल देश की नामी गिरामी रियल इस्टेट कंपनी के साथ ही दर्जनों छोटी बड़ी कंपनियों की गड़बडिय़ों का विवरण है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के 98 प्रतिशत शेयर हासिल करने वाले तेजस्वी यादव ने विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले 9 नवंबर 2015 को कंपनी के डाइरेक्टर पद से इस्तीफा दिया. 98 प्रतिशत शेयर के मालिक होने के नाते वो डाइरेक्टर 10 जनवरी 2011 से ही थे. खासा बात यह है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री का पद संभालने के दौरान भी बतौर कंपनी निदेशक चेक जारी करते रहे.
गौरतलब है कि तेजस्वी के हस्ताक्षर से 9 फरवरी 2016 को मेसर्स ओलिव ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स नक्षत्र बिजनेस लिमिटेड और मेसर्स यश वी ज्वेल लिमिटेड को दिए गए चेक लालू के करीबी राज्यसभा सांसद प्रेम गुप्ता के एक कर्मचारी विजयपाल त्रिपाठी के आवास पर हुई छापेमारी में मिले हैं. इससे यह स्पष्ट है कि तेजस्वी इस कंपनी के डाइरेक्टर पद से इस्तीफा देने के बाद भी वह कंपनी का कामकाज करते रहे और लाभ लिया. ऐसे में तेजस्वी लाभ के पद पर बने हुए थे. इससे नेता प्रतिपक्ष की विधानसभा सदस्यता पर कनकट के बादल मंडराने लगे हैं.