बिहार में सियासी घमासान चरम पर है. तेजस्वी यादव को जेडीयू-आरजेडी का तेज बढ़ता जा रहा है. दोनों पार्टियों की खींचतान के बीच
तेजस्वी यादव मंझधार में खड़े नजर आ रहे हैं. जेडीयू जहां उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने का मन बना चुकी है, वहीं आरजेडी किसी कीमत पर तेजस्वी की फेयरवैल नहीं चाहती. इस सबके के बीच सवाल ये आ खड़ा है कि बिहार सरकार की नैय्या आखिर कब तक डूबने से बचेगी. या फिर तेजस्वी का इस्तीफा होने के बावजूद भी नीतीश कुमार की महागठबंधन वाली सरकार चलती रहेगी?
अब नीतीश के फैसले की घड़ी भी करीब है. मंगलवार को जेडीयू नेताओं की मीटिंग के बाद लालू यादव को तेजस्वी पर कार्रवाई के लिए 4 दिन का वक्त दिया गया था. ये मियाद शनिवार को खत्म हो जाएगी. मगर इससे पहले ही आरजेडी ने अपना स्टैंड बिल्कुल साफ कर दिया है. आरजेडी बार-बार ये कह चुकी है कि तेजस्वी के इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता. गुरूवार को इससे आगे बढ़कर आरजेडी विधायक ने नीतीश कुमार को अपने पास 80 विधायक होने की बात कहते हुए खुद की मजबूती का एहसास करा दिया. यानी जनता दल यू और आरजेडी अपने-अपने रुख पर कायम हैं. ऐसे में अब फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को करना है. ये भी जगजाहिर
है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नीतीश कुमार कोई समझौता नहीं कर सकते. आरजेडी सूत्रों का कहना है अगर तेजस्वी का इस्तीफा भी होता है तो वो खुद को शहीद की तरह पेश कर सकते हैं.
ये है आरजेडी की रणनीति
वहीं, आरजेडी के रणनीतिकार ये भी मान कर चल रहें है कि नीतीश कुमार ज्यादा दिन तक तेजस्वी पर कार्रवाई टाल नहीं सकते. ऐसे में वो अपने विकल्प के बारे में भी रणनीति बना रहे हैं. रणनीति के मुताबिक तेजस्वी यादव को अगर बर्खास्त किया जाता है तो आरजेडी के सभी मंत्री भी इस्तीफा दे सकते हैं. मगर, ऐसा करने के बावजूद भी आरजेडी नीतीश सरकार से समर्थन वापस नहीं लेगी.
समर्थन जारी रखेगी आरजेडी
आरजेडी सूत्रों का कहना है कि आरजेडी जनता दल यूनाइटेड सरकार को समर्थन देती रहेगी ताकि वो फिर से बीजेपी के साथ न चली जाये. दूसरी तरफ आरजेडी ये भी नहीं चाहती कि इस नाजुक मौके पर वो सरकार से बाहर हो. क्योंकि लालू प्रसाद यादव का परिवार सीबीआई और ईडी के केस में फंसा है. ऐसे में बगैर सरकार के रहना उन्हें कमजोर कर सकता है. हालांकि, आरजेडी कांग्रेस के साथ कुछ निर्दलीय या फिर जेडीयू में यादव विधायकों के भरोसे सरकार बनाने के विकल्प पर भी विचार कर सकती है.
ऐसे में नीतीश कुमार को भी सोचना होगा कि वो किधर जायें और किस पर भरोसा करें. हालांकि, बीजेपी ने पहले ही बाहर से समर्थन देने का संकेत दिया है. वैसे ही अब आरजेडी भी बाहर से समर्थन देने की रणनीति पर काम कर रही है. ऐसे में नीतीश कुमार की कुर्सी घर वापसी किए बिना भी खिसकने से बच सकती है.
संवाददाता, ऋषभ अरोड़ा