ज़मी की जन्नत कश्मीर पिछले कुछ दिनों से छावनी में तब्दील हुआ है । वैसे तो इन खूबसूरत वादियों में पिछले कई दशकों से खूनी होली आम बात है । घाटी दशकों से आतंक के गिरफ्त में है और शहादत मानो रोजमर्रा की ज़िंदगी । मगर पिछले कुछ दिनों से इस जमीन का रंग थोड़ा ज्यादा ही लाल हुआ पड़ा है । सीमा पार पाकिस्तान से तो गोलियों की बौछार हो ही रही है , इधर पाकिस्तान प्रेरित आतंकवाद भी बारूदी सुरंग बिछाए किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए घात लगाए बैठा है । मगर इन सब के बीच अच्छी बात ये है कि इस बार भारत की तैयारी जबरदस्त है, सेना मुस्तैद है और जवाबी कारवाई में चाहे आतंकवादी हों या पाकिस्तान की स्पेशल फ़ोर्स सारे ढेर हुए पड़े हैं । 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि में पाकिस्तान की स्पेशल फ़ोर्स BAT कुछ आतंकियों को कवर देते हुए जब भारतीय सीमा में घुसाने की कोशिश की तो चौकन्नी भारतीय सेना ने सभी को मौत के घाट उतार दिया। मगर पाकिस्तान सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश तो कर ही रहा था साथ ही अंदरूनी दहशत फैलाते हुए आतंकी गतिविधियों को भी अंजाम देने की फ़िराक में था ।मगर भारतीय फौज की तैयारी जबरदस्त थी , भारतीय सेना ने लगातार जैश के चार आंतकियो को ढेर कर दिया । पाकिस्तान ने बड़ी ही शातिर चाल चलते हुए पवित्र अमरनाथ यात्रा को भी क्षति पहुँचाने की पूरी तैयारी कर रखी थी । बालटाल रास्ते में यात्रा पर आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए बारूदी सुरंग भी बिछाए गए थे । बड़ी मात्रा में असला, बारूद और बम बरामद हुए जो पाकिस्तान निर्मित थे ।
सूत्र बता रहे हैं कि जब से इमरान खान की अमेरिका यात्रा हुई, भारत सरकार के इंटेलिजेंस तभी से किसी बड़ी घटना की इनपुट्स दे रही थी । यही वजह रही कि खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्थिति का जायज़ा लेने जम्मू-कश्मीर पहुँचे थे । और स्थिति को भांपते हुए फ़ौरन बड़ी संख्या में सेना को कश्मीर में डिप्लॉय किया गया । दस हज़ार फौज की एक साथ आनन फानन में तैनाती को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। और ऐसा माना जा रहा है कि भारत सरकार जम्मू कश्मीर को लेकर अहम फैसला ले सकती है। खबर ये भी आ रही है कि कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने की अपनी प्रतिबद्धता को लेकर सरकार सदन के अंतिम 2 दिनों में बड़ी घोषणा कर सकती है, या फिर परिसीमन के माध्यम से जम्मू कश्मीर को 3 हिस्सो में बांट सकती है । जम्मू को एक अलग राज्य का दर्जा मिल सकता है और कश्मीर और लद्धाख को अलग अलग कर के यूनियन टेरीटरी के तहत रखा जा सकता है । मगर इस फैसले को लेने में टेक्निकल कई अड़चने हैं और जम्मू- कश्मीर के राज्यपाल भी ऐसी किसी भी खबर से इनकार कर रहे हैं ।
रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल पी.के सहगल का इस पूरे मसले पर कहना है कि क्योंकि बीजेपी की मौजूदा सरकार एक मजबूत सरकार है इसलिए कश्मीर में शांति बहाल करने , उसे आतंकमुक्त करने और विकास को ध्यान में रखते हुए किसी भी तरह के सख्त फैसले को लेने के लिए प्रतिबद्ध है । आज़ादी के बाद ये पहला मौका है जब कश्मीर को लेकर इतनी हलचल बढ़ी हुई है और अहम फैसले की खबर आ रही है । जनरल सहगल का कहना है कि पकिस्तान एक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला देश है और वो भरसक कोशिश कर रहा है कि कश्मीर को अंतरास्ट्रीय पटल पर ले जाये मगर पाकिस्तान की ये कोशिश बेकार है । कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और भारत कश्मीर को लेकर कोई भी फैसला लेने को स्वतंत्र है । जनरल सहगल की माने तो उनके पास ये इनपुट भी है कि फिलहाल नज़रबंद कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों और अलगाववादी नेताओं को किसी भी अहम फैसले के अनाउंसमेंट के बाद गिरफ्तार कर लिया जाएगा ताकि किसी भी तरह के आतंकी गतिविधि को वो बढ़ावा नही दे सकें । पाकिस्तान अगर कोई भी गड़बड़ी करता है तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके और लोकल स्तर ओर शांति बहाल की जा सके ।
अपने बात चीत में जनरल सहगल ने ये भी बताया की कश्मीर रियासत के राजा डॉक्टर कर्ण सिंह कहीं न कहीं सरकार के इस फैसले के समर्थन में हैं । कर्ण सिंह जब मंत्री थे और जब यूपीए की सरकार थी तो उन्हीने ये सुझाव सरकार को दिए थे मगर उस वक़्त की सरकार कश्मीर को लेकर संजीदा नही थी और किसी भी कड़े फैसले से उनका इनकार था ।
इन सब के बीच एक कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि इस बार स्वतंत्रता दिवस पर कश्मीर घाटी में गृह मंत्री अमित शाह झंडारोहण कर सकते हैं ।
कयासों के इन बाज़ारो के बीच , दिल्ली से लेकर इस्लामाबाद तक बैठकों का दौर जारी है । बैठकें कश्मीर में भी जोर शोर से चल रही हैं। कश्मीर में आल पार्टी मीट के बाद, महबूबा मुफ्ती और फ़ारुख अबदुल्लाह ने हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों देशों से अपील की है कि शांति बनाए रखें ।
लेकिन पिछले 3 कुछ दिनों से चल रहे इस पूरे प्रकरण से जो बात साफ नजर आ ही है वो ये कि बीजेपी की मोदी सरकार कश्मीर मसले का हल तीन सूत्री कार्यक्रम के तहत जरूर निकलेगी जिसमें कश्मीर को विश्वपटल पर एक पीस लैंड साबित करना , शांतिपूर्ण कश्मीर के लिए कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से मिटाना और आतंकवाद से मुक्त कश्मीर के लिए धुंआधार काउंटर टेररिज़्म ऑपरेशन चलाना साथ ही इन सब के बीच इस साल के अंत तक शांतिपूर्ण वातावरण में कश्मीर में फ्री एंड फेयर विधानसभा चुनाव करवाना।
बहरहाल कश्मीर पर क्या फैसला लेने वाली है मोदी सरकार ये सोमवार को इमरजेंसी कैबिनेट मीटिंग के बाद साफ हो जाएगा ।
मगर जिस तरह से गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल के बीच रविवार को भी अहम बैठक हुई उससे ये साफ है कि कश्मीर को लेकर मोदी सरकार में कुछ खिचड़ी जरूर पक रही है ।
इन सब के बीच एक कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि इस बार स्वतंत्रता दिवस पर कश्मीर घाटी में गृह मंत्री अमित शाह झंडारोहण कर सकते हैं ।
कयासों के इन बाज़ारो के बीच , दिल्ली से लेकर इस्लामाबाद तक बैठकों का दौर जारी है । बैठकें कश्मीर में भी जोर शोर से चल रही हैं। कश्मीर में आल पार्टी मीट के बाद, महबूबा मुफ्ती और फ़ारुख अबदुल्लाह ने हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों देशों से अपील की है कि शांति बनाए रखें ।
लेकिन पिछले 3 कुछ दिनों से चल रहे इस पूरे प्रकरण से जो बात साफ नजर आ ही है वो ये कि बीजेपी की मोदी सरकार कश्मीर मसले का हल तीन सूत्री कार्यक्रम के तहत जरूर निकलेगी जिसमें कश्मीर को विश्वपटल पर एक पीस लैंड साबित करना , शांतिपूर्ण कश्मीर के लिए कश्मीर से आतंकवाद को जड़ से मिटाना और आतंकवाद से मुक्त कश्मीर के लिए धुंआधार काउंटर टेररिज़्म ऑपरेशन चलाना साथ ही इन सब के बीच इस साल के अंत तक शांतिपूर्ण वातावरण में कश्मीर में फ्री एंड फेयर विधानसभा चुनाव करवाना।
बहरहाल कश्मीर पर क्या फैसला लेने वाली है मोदी सरकार ये सोमवार को इमरजेंसी कैबिनेट मीटिंग के बाद साफ हो जाएगा ।
मगर जिस तरह से गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल के बीच रविवार को भी अहम बैठक हुई उससे ये साफ है कि कश्मीर को लेकर मोदी सरकार में कुछ खिचड़ी जरूर पक रही है ।
अनिता चौधरी वरिष्ठ पत्रकार हैं।