जम्मू कश्मीर में उभरेगा नया राजनीतिक वर्ग: राम माधव

नयी दिल्ली 7 मार्च। जम्मू कश्मीर में जल्द ही त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली को खड़ा करके वहां एक नये युवा राजनीतक नेतृत्व को प्रोत्साहित एवं सशक्त किया जाएगा तथा विकास एवं निवेश के बड़े एवं महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को क्रियान्वित किया जाएगा। यह बात भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव एवं जम्मू कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने शनिवार को नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया (एनयूजेआई) के पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा अनुच्छेद 370 एवं 35 ए के निष्प्रभावी होने के बाद वहां आंखों देखे हालात पर आधारित एक रिपोर्ट पत्रिका का विमाेचन करते हुए कही। पत्रकारों के संगठन एनयूजे आई की इस रिपोर्ट में ‘कश्मीर का सच’ में घाटी के इतिहास, मंदिरों एवं कश्मीरी पंडितों की स्थिति,आतंकवाद एवं अलगाववाद की जड़ें एवं उनका सामाजिक एवं राजनीतिक प्रभाव,370 के बाद की स्थिति,स्थानीय लोगों एवं युवाओं की आकांक्षाएं आदि विषयों पर आधारित करके लिखी गयी है।
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श्री माधव ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एवं 35 ए हटाये जाने के बाद बीते सात माह में जम्मू कश्मीर के लोगों के व्यवहार ने देश को प्रभावित किया है। केन्द्र शासित प्रदेश में सुरक्षा बलों की तैनाती कम होने के बावजूद लगभग पूरी तरह से शांति कायम रही है। कश्मीर के माई-बाप माने जाने वाले नेताओं की हिरासत के खिलाफ कोई विरोध नहीं है। उन्होंने जता दिया है कि वे 370 के बाद के जीवन को अनुभव करने के बाद उसके समर्थन या विरोध का निर्णय करेंगे। इसलिए देश की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि उन्हें विकास एवं समृद्धि का अवसर मिले।
जम्मू कश्मीर की भावी तस्वीर की चर्चा करते हुए भाजपा महासचिव ने कहा कि जम्मू कश्मीर में संविधान का 73वां एवं 74वां संशोधन लागू होगा। जहां पिछली दफा चुनाव नहीं हो पाये थे, ऐसी छह से सात हजार पंचायतों के चुनाव कराये जाएंगे। ग्राम, ब्लॉक एवं जिला स्तरीय पंचायत प्रणाली का मजबूत ढांचा खड़ा किया जाएगा। विधानसभा सीटों का पुनर्परिसीमन किया जाएगा। वर्तमान में 83 सदस्यीय विधानसभा को 90 सीटों वाली विधानसभा बनाया जाएगा।
राम माधव ने कहा कि स्थानीय राजनीतिक दलों में भी कई अच्छे विचारों वाले लोग हैं। उनको अलग करके नयी पार्टी खड़ी करने का प्रयास किया जा रहा है। लोगों में परिवार राज के खात्मे से खुशी है। उन्होंने जम्मू कश्मीर के दो से तीन हजार युवाओं से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की है। उन्हीं में से नया राजनीतिक नेतृत्व उभारने और एक नया राजनीतिक वर्ग खड़ा करने की योजना है।उन्होंने बताया कि संचार प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है। 2जी नेटवर्क शुरू किया गया है। अगर स्थितियां सामान्य रहीं तो और ढील दी जाएगी। 370 के कारण वहां के लाेग राजनीतिक सामाजिक अधिकारों से वंचित थे। अब वहां अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति आयोगों का गठन किया जाएगा। मई में वहां एक इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाएगा।
पर्यटन को वहां के लोगों के रोज़गार का बड़ा साधन बताते हुए श्री माधव ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों के प्रति अपनत्व का इज़हार करने के लिए देश के लोगों को अधिक से अधिक संख्या में गर्मी की छुट्टियों में पर्यटन के लिए वहां जाना चाहिए। जुलाई अगस्त में अमरनाथ की यात्रा पर भी ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को जाना चाहिए। इससे जम्मू कश्मीर से देश का संबंध मजबूत होगा और राज्य के लोगों का आर्थिक सशक्तीकरण होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा करके ही जम्मू कश्मीर के बारे में देश विदेश में फैली मिथ्या राजनीतिक धारणाओं को तोड़ा जा सकता है।बाद में प्रश्नों का जवाब देते हुए श्री माधव ने कहा कि जम्मू कश्मीर के टूटे हुए 100 से अधिक मंदिरों के जीर्णोद्धार एवं हाशिये पर मंदिरों के रखरखाव के लिए एक तीर्थ क्षेत्र विधेयक विधानसभा में लाया जाना था लेकिन वह नहीं हो पाया। अब एक ट्रस्ट बनाने का विचार किया जा रहा है जिसमें कश्मीरी पंडितों की प्रमुख भूमिका होगी। केन्द्र सरकार भी इसके लिए धन देगी। कश्मीरी पंडितों की वापसी के सवाल पर उन्होंने कहा कि पंडितों की वापसी के स्वरूप के बारे में पंडितों को ही निर्णय करना है। इसमें सुरक्षा एवं सम्मान का प्रश्न जुड़ा है। सरकार उसमें सहायता करेगी। जम्मू कश्मीर पुलिस के बारे में उन्होंने कहा कि प्रदेश की पुलिस पूरी तरह से देशभक्त एवं पेशेवर पुलिस है। दविंदर सिंह जैसे लोग अपवाद मात्र ही हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में तीन चार दशकों में आतंकवाद के पनपने के बाद 60 हजार से ज्यादा लोग मारे गये जिनमें छह से सात हजार अर्द्धसैन्य बलों के जवान थे लेकिन जम्मू कश्मीर पुलिस के 22 हजार से अधिक जवानों ने कुर्बानी दी है।
पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि एनयूजेआई के पत्रकारों ने समाचार संपादन की मेज़ पर व्याप्त पुरानी मिथ्या धारणाओं को तोड़ा और आगे के रास्ते को देखने का प्रयास किया। उन्होंने पलायन के आंकड़ों पर राजनीतिक प्रशासनिक पर्दे की बात की और यह भी बताया कि किस प्रकार से पत्रकारों ने जान हथेली पर रख कर दुस्साहस पूर्ण ढंग से सच्चाई को देखा और परखा।नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव मनोज वर्मा ने कहा कि जम्मू- कश्मीर को लेकर भारत के भीतर और अंतरराष्ट्रीय फलक पर विभिन्न प्रकार की चर्चाएं होती रही हैं। चर्चा होना अच्छी बात है लेकिन चर्चाओं को एक खास रूख देने वाले लोग जो जम्मू-कश्मीर और लदृाख के भूगोल से भी परिचित नहीं हैं जब वे कोई चर्चा करते हैं तो उसे भांपने, परखने और सही तथ्यों को दुनिया के सामने रखने की जिम्मेदारी मुख्य धारा के मीडिया तंत्र की हो जाती है इसलिए इस पुस्तिका के जरिए कश्मीर के सच को दुनिया के सामने रखने की पहल की है। कार्यक्रम का संचालन दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनुराग पुनेठा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के महासचिव सचिन बुधौलिया ने किया। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया  के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राकेश आर्य,वरिष्ठ पत्रकार  प्रमोद मुजुमदार,आलोक गोस्वामी,कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के संपादक अनिल पांडे,प्रेस एसोसिएशन की कार्यकारिणी के सदस्य अमलेंदू भूषण,वरिष्ठ पत्रकार अतुल गंगवार,परिजात कौल, राकेश योगी,राम नारायण श्रीवास्तव,राकेश शुक्ला,सर्जना शर्मा,रजनी नागपाल,रमाकांत पांडे,मनीष ठाकुर,आदित्य भारद्धाज, अरशद फरीदी, उमेश्वर कुमार आदि उपस्थित थे।

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