बिहार के नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन के मसले पर सर्वोच्च न्यायालय में बुधवार को भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। अदालत गुरुवार को भी राज्य सरकार का पक्ष सुनेगी। समान काम, समान वेतन के मसले पर कोर्ट फिलहाल राज्य सरकार का पक्ष जान रही है। सरकार का पक्ष सुनने के बाद शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को मौका दिया जाएगा। इस मुकदमे पर बिहार के 3.70 लाख नियोजित शिक्षकों की उम्मीदें टिकी हैं।
सरकार के अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी ने मंगलवार को अधूरी रही अपनी बात से आज की कार्रवाई आगे बढ़ाई। उन्होंने कोर्ट को नियोजित शिक्षकों की बेहतरी के लिए बनाई गई नीति की जानकारी दी। अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी के बाद सरकार का पक्ष दूसरे अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने रखा।
सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार की दलील जारी
तकरीबन दो घंटे चली बहस के दौरान अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे और उदय उमेश ललित को बताया कि बिहार के नियोजित शिक्षक समान काम समान वेतन के दायरे में नहीं आते हैं। उनकी नियोजन इकाई पंचायत है। इस दौरान अधिवक्ता ने कोर्ट को बिहार की आर्थिक स्थिति का हवाला भी दिया। बिहार में शिक्षकों की संख्या और उनके वेतनादि पर होने वाले खर्च की जानकारी भी कोर्ट को दी गई।
कोर्ट ने सरकार का पक्ष सुनने के बाद पहली पाली समाप्त होते ही सुनवाई स्थगित कर दी। गुरुवार को यह सिलसिला पुन: प्रारंभ होगा।
आज राज्य सरकार की ओर से नियुक्त अधिवक्ता श्याम दीवान और मुकुल रोहतगी कोर्ट में राज्य सरकार का पक्ष रखेंगे। इसके बाद शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा।
हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है सरकार
यहां बता दें कि पटना हाईकोर्ट द्वारा पिछले वर्ष नियोजित शिक्षकों को समान काम समान सुविधा देने के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है।