नई दिल्ली: राष्ट्र के विकास में एन.जी.ओ. का योगदान विषय पर विज्ञान भवन में सेमिनार का आयोजन किया गया. स्वामी विवेकानंद के 156वें जन्मदिवस व श्री गुरुगोविंद सिंह जी के 352वें प्रकाशोत्सव को समर्पित इस सेमिनार में राष्ट्र के विकास में प्रमुखता से योगदान देने वाले एन.जी.ओ. को सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के नाते आमंत्रित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र संघचालक डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने स्वामी विवेकान्द के कथन को याद दिलाते हुए बताया कि एन.जी.ओ. का कार्य चलाने के लिए भी सबसे अधिक आवश्यक चरित्र बल है. ईमानदारी, प्रमाणिकता, सेवाभाव से रहित एन.जी.ओ. केवल फण्ड लेने का काम करते हैं सेवा का नहीं, ऐसे एन.जी.ओ. के सहारे समाज का काम नहीं हो सकता. इस क्षेत्र में अपने काम का बखान करना भी एक तरह का सौदा है, सेवा नहीं. स्वामी विवेकानंद के रास्ते पर चलने के लिए संगठित होकर कार्य करने की आवश्यकता है. भारत का कल्याण राजसत्ता व सरकारों से नहीं होने वाला भारत का कल्याण एक सामजिक संगठन के माध्यम से ही होने वाला है जिसे विवेकानंद ने अपनी दूरदृष्टि से इसकी भविष्यवाणी कर दी थी.
स्वामी विवेकानंद का सन्दर्भ बताते हुए डॉ. बजरंग लाल गुप्त ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण के लिए विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय होना चाहिए. विज्ञान के क्षेत्र में आज चाहे पश्चिम ने अधिक उन्नत्ति कर ली हो लेकिन अध्यात्म का रास्ता भारत से होकर ही जाता है, अध्यात्म के धरातल से दूर विज्ञान विनाशकारी हो जाएगा. विज्ञान को अगर रचनात्मक, कल्याणकारी बनाना है तो उसे अध्यात्म का सहारा लेना पड़ेगा.
राष्ट्रीय सिख संगत के अ.भा. सगठन महासचिव श्री अविनाश जायसवाल ने कहा कि सर्वंशदानी गुरु गोविन्द सिंह जी के प्रकाशोत्सव पर आयोजित इस सेमिनार से हम संकल्प लेकर जाएं कि उनकी तरह हम भी अपनी आने वाली संतान को देश, धर्म की रक्षा के लिए ऐसे संस्कार देंगे कि जब-जब देश, धर्म, समाज पर विपत्ति आए तो हमारे युवा देश, धर्म, समाज की रक्षा के लिए मृत्यु को गले लगाने से पीछे न रहें. सिख गुरु परंपरा और दशम गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना के कारण आज हिन्दुस्थान हिन्दुस्थान है, सूफी कवि बुल्ले शाह को लिखना पड़ा ‘ना कहूं अबकी, ना कहूं तबकी, होते न गोविन्द सिंह तो सुन्नत होती सबकी.
श्री बद्रीनाथ धाम से आये के स्वामी योगानंद ने बताया कि विज्ञान ने नया काम नहीं किया केवल यंत्रों का सहारा लेकर पौराणिक विज्ञानं को ही आगे बढ़ाने का काम किया है. नासा के वैज्ञानिकों ने भी माना है कि सूर्य में जो स्पंदन है वह ओंकार का है और यही स्पंदन हमारा जीवन है. आज विज्ञान उस कसौटी पर नहीं पहुंचा जो राम और कृष्ण के काल में था. पुष्पक विमान रामायण काल में था, विमान आज आया, यंत्र के युग में आया. आज का केवल यंत्र युग है इस कारण मनुष्य का ह्रदय भी यंत्र की तरह हो गया, मानवता संस्कृति विलुप्त होती जा रही है.
इस अवसर पर उत्कृष्ट उत्थान सेवा मंडल के अध्यक्ष डॉ. रचना बाजपाई, सीएनआई के महासचिव विजय खुराना, संकल्प के अध्यक्ष श्री संतोष तनेजा, सीएनआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुदर्शन सरीन, दिल्ली उच्च न्यायलय के जस्टिस एम. सी. गर्ग, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य लोकायुक्त जस्टिस एसएन श्रीवास्तव, भारत सरकार पूर्व के सचिव आईएस डॉ. कमल ताओरी तथा सेवा के कार्य में लगे एनजीओ के संचालकों ने अपनी बात रखी.