स्वस्थ जीवन शैली है कोरोना से बचाव-योग गुरु सुनील सिंह

कोरोना काल में लोगों को लॉक डाउन के दौरान जीवन जीने की एक नयी पद्धति का अनुभव हुआ। अपने घरों में रहना। समाज के दूसरे लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना। अपने परिवार के साथ रहनाय़ साथ ही उसे उतना वक्त भी मिला कि वो ठहर कर अपने बारे में अपने परिवार के बारे में एक बार सोच सके। इसके कुछ लोगों पर सकारात्मक प्रभाव पड़े और कुछ लोग अवसाद का शिकार भी हुए। हमारे मेनेजिंग एडिटर अतुल गंगवार ने प्रसिद्ध योग गुरु सुनील सिंह जी से इस विषय में बात की कि लॉक डॉउन का लोगों पर प्रभाव और किस तरह से योग के माध्यम से इस काल के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।

अतुल गंगवार:- कोरोना का आम लोगों की मानसिक स्थिति पर क्या प्रभाव पडेगा।

सुनील सिंह:- आज जो कोरोना का संकट हमारे सामने आया है वो हमारी पीढ़ी एवं हमारे मां-पिता जी की पीढ़ी के लिए एकदम नया है। इससे पहले किसी ने इस तरह का अनुभव नहीं किया है। इससे पहले आज से लगभग 100 साल पहले देश ने ऐसी महामारी का सामना किया था। इस कोरोना ने अचानक हमें ग्लोबल से लोकल बना दिया है। सोशल डिस्टेंसिंग की जब हम बात करते हैं तो जाने अनजाने एक डर पैदा करते हैं। तो ये जो डर हैं अनिश्चितता का वह लोगों के मन को अवसाद से भर रहा है। कल क्या होगा? क्या अब जीवन ऐसे ही चलेगा? काम धंधा ऐसे ही रहेगा। तो ये सब बातें उसको परेशान कर रहीं हैं।

अ.गं.:- सुनील जी इस काल में ये भी देखने में देखने में आया है कि लोगों में शारीरिक समस्याओं के साथ मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है जिसके कारण परिवार में झगड़े बढ़ रहे हैं।

सु.सिं.:- जी बिल्कुल आपने ठीक कहा। इस समय क्योंकि आप लगातार घर में रह रहें हैं आपकी शारीरिक गतिविधियां खत्म होती जा रही हैं, इसका सीधा प्रभाव शरीर पर पड़ता है। आप लथार्जिक होते जाते हैं। आलस आपको घेर लेता है। जिसके चलते आपको वजन बढ़ना, कब्ज़ आदि की समस्याएं भी होने लगती हैं। साथ ही जब शरीर स्वस्थ नहीं रहता तो दिमाग में चलने वाली बातें, परेशानियां कहीं ना कहीं आपके व्यवहार में परिवर्तन लाती हैं। घर के दूसरे सदस्य भी कहीं ना कहीं इन्हीं परेशानियों से दो-चार हो रहे होते हैं। इसके चलते आपस में झड़प हो जाना सामान्य सी बात है। इसलिए इस दौरान महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के कई मामले सामने आये हैं। घर के सारे सदस्य अब घर में ही हैं। महिलाओं पर घर के कामकाज का बोझ बढ़ गया है। घर में रहने वाली बाई का सहयोग अब उसको मिल नहीं पा रहा है। उसकी परिवार के अन्य सदस्यों से मदद की अपेक्षा है जो उसे अधिकांश परिवारों में नहीं मिल पा रही है। पुरुष सामान्यतः घरेलू कामों में सहयोग नहीं करते हैं इसलिए ये समस्या कुछ जगह झगड़ों में बदल गयी है। रिश्तों को अच्छे तरह से निभाने के लिए जो एक स्पेस होना चाहिए वह इस लॉक डॉउन में खत्म हो गया हैं।

अ.गं.:- इसका क्या हल है। लॉक डॉउन से तो अभी जल्दी मुक्ति मिलती नहीं दिख रही। काम करने के तौर तरीकों में भी परिवर्तन हो रहा है, वर्क फ्राम होम का कल्चर विकसित हो रहा है तो क्या ये समस्याएं बढ़ती रहेंगी?

सु.सिं:- आप सही कह रहें हैं। लॉक डॉउन अगर खत्म भी हो जाए तो भी जीवन को जीने की नयी शैली विकसित हो रही है उसके अनुरूप अब जीवन को जीने की आदत डालनी होगी। वर्क फ्रॉम होम के दौरान अब पुरुष और यदि महिला भी कामकाजी हैं और उनको भी घर से काम करना पड़ता है तो एक नई समस्या खड़ी होने वाली है। जैसा कि मैने पहले भी कहा है कि जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए जो स्पेस रिश्तों में चाहिए होता है वो खत्म होने से या कम होने से तनाव बढे़गा।

अ.गं.:- तो आपको क्या लगता है, क्या योग एवं ध्यान इस समस्या से निपटने में सहायक हो सकता है?

सु. सिं.:- देखिए इसका केवल एक ही हल है और वो है अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाना। जीवन में नये अनुशासन से काम करना। योग एवं ध्यान एक अनुशासन के तहत अगर आप अपने जीवन में अपनाते हैं तो आप अपने शारीरिक स्वास्थ्य के साथ अपने मानसिक स्वास्थ्य को भी ठीक कर सकते हैं। सबसे पहले तो मैं आपको ये सलाह दूंगा कि आप अपनी दिनचर्या तय करें। योग एवं ध्यान को अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाएं। इससे आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा और अगर शरीर ठीक रहेगा तो मन ठीक रहेगा और मन ठीक रहेगा तो जीवन में नकारात्मक विचार नहीं आयेंगे। साथ ही अपने साथी को थोड़ा स्पेस भी दें। ये मैं दोनों से कह रहा हूं, पुरुष महिलाओं के साथ उनकी मदद करें और महिलाएं भी ये समझें कि अगर अब पुरुष निरंतर घर पर ही है ( वर्क फ्रॉम होम की स्थिति में) तो वह हैं तो घर में लेकिन काम उसके लिए ऑफिस का है। साथ ही अगर पति पत्नी दोनों वर्किंग हैं और वर्क फ्रॉम होम कर रहें हैं तो बच्चों को भी मिल जुल कर सम्हालना होगा, हां अगर बच्चे नहीं है तो कोई बात नहीं। तो अब वक्त है रिश्तों को नए अंदाज में जीने का, थोड़ा अगर एक दूसरे को समझेंगे तो आसानी होगी।

अ.गं.:- तो योग कैसे इस नई जीवन शैली में उपयोगी हो सकता है?

सु.सिं.:- अतुल जी योग एक संपूर्ण जीवन शैली है। जो ना केवल तन को बल्कि मन को भी स्वस्थ बनाता है। अगर हम अपने जीवन में योग को स्थान देते हैं तो ना केवल हमारा वर्तमान सुरक्षित होता है भविष्य भी सुरक्षित होता है। कोरोना का फिलहाल कोई उपचार नहीं है। योग के माध्यम से हम अपने शरीर का इम्यून सिस्टम ठीक कर सकते हैं और यही इम्यून सिस्टम हमें कोरोना के हमले से बचाने में सहायक होगा। आप नियमित सूर्य नमस्कार करें, आगे झुकने वाले, पीछे झुकने वाले आसन करें। योग मुद्रा, शशांक आसन, जानू शीर्ष आसन है इन सबको भी अपनी दिनचर्या में शामिल करें। अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भस्त्रिका प्राणायाम बहुत लाभकारी होते हैं। स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए आप भ्रामरी प्राणायाम भी कर सकते हैं। ओउ्म मंत्र ध्यान भी आप कर सकते हैं। शाम को 15 से 20 मिनट ध्यान अवश्य करें। विटामिन डी के लिए सूर्य स्नान करें। वर्ष में 40 दिन अगर आप आधे घंटे भी सूर्य स्नान करते हैं तो आपका शरीर स्वस्थ रहता है। विटामिन सी के लिए आप आंवला पाउडर को प्रतिदिन एक चम्मच लें, या फिर एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस मिलाकर सेवल करें। मौसमी फलों का सेवन अवश्य करें। इसके साथ ही अपने खान-पान को भी सुधारे। क्योंकि हो सकता है अब आपकी शारीरिक गतिविधियां कम हो रहीं हो तो खान-पान में भी सुधार आवश्यक है। गरिष्ठ भोजन के स्थान पर पौष्टिक भोजन को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। पानी ज़रूर 10 से 15 गिलास अवश्य पीना चाहिए। आपकी पेट की तमाम समस्याओं का समाधान इससे हो सकता है। तो एक बदली हुई जीवन शैली आपकी सभी समस्याओं को सुलझाने के काम आयेगी।

अ.गं.:- जी धन्यवाद सुनील जी। उम्मीद है आपके सुझाव हमारे पाठकों को अपनी समस्या से मुक्ति दिलाने में कारगर साबित होंगे। आपमें से जो लोग सुनील जी से कुछ ओर जानना चाहते हैं तो वह उनसे सीधे भी बात कर सकते हैं। उनसे संपर्क स्थापित करने के लिए आप उन्हें मेल कर सकते हैं, फेसबुक पर संपर्क कर सकते हैं। इनकी जानकारी अंत में दी गई है।

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