हस्तरेखा ज्ञान – आज हम बात करेंगे हमारे हाथों की रेखाओं के बारे में। कहते है ना हाथों की चंद लकीरों का खेल है ये सब तकदीरों का। तो क्यों ना इससे पहले हम लकीरों की गहराई में जाएं क्यो ना अपने हाथों की लकीरो से परिचय कर लिया जाए। तो आज हम बात करते हैं हाथ की मुख्य रेखाओं के बारे में। आमतौर पर हम सभी हाथ की चार रेखायें तो जानते ही है।
1 जीवन रेखा, 2 मस्तिष्क रेखा, 3 ह्रदय रेखा, 4 भाग्य रेखा
इन चार महत्वपूर्ण रेखाओं के साथ 10 अन्य महत्वपूर्ण रेखाएँ होती है उनको भी जानना जरूरी है लेकिन आज हम चार रेखाओं की ही बात करते है।
1 जीवन रेखा को पितृ रेखा और कुल रेखा भी कहते है यह रेखा अँगूठे और हाथ की पहली उँगली जिसे तर्जनी कहते है के बीच से निकल कर अर्धचंद्राकार रूप लेकर हथेली के बीच से होती हुई हथेली की जड़ तक जाती है। जितनी अधिक गोलाई और साफ सुथरी जीवन रेखा उतना ही साफ सुथरा जीवन।
2 मस्तिष्क रेखा को शीर्ष और मानस रेखा भी कहा जाता है लेकिन मस्तिष्क रेखा ही प्रचलित है। यह रेखा अँगूठे और तर्जनी के बीच से जीवन रेखा के साथ निकल कर ह्रदय रेखा के नीचे और जीवन रेखा की तरफ थोड़ा सा झुकाव लिये होती है। जितनी सुन्दर साफ सुथरी और लम्बी मस्तिष्क रेखा होगी व्यक्ति उतना ही बुद्धिमान और शुद्ध मन होगा।
3 ह्रदय रेखा नाम से प्रचलित इस रेखा को आयु रेखा नाम भी दिया गया है। मुख्य रेखाओं में हथेली में सबसे ऊपर वाली रेखा जो सबसे छोटी उँगली के नीचे से निकल कर पहली उँगली तर्जनी के नीचे तक जाती है ह्रदय रेखा कहलाती है। रेखा की स्पष्टता देखकर आप अंदाज लगा सकते है कि हरेक ह्रदय कुछ कहता है।
4 भाग्य रेखा जिसे शनि रेखा भी कहते है में हरेक व्यक्ति की रुचि सबसे अधिक होती है। शनि यानि कर्म, मेहनत, गाना है न जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान यह है गीता का ज्ञान। भाग्य और कर्म एक दूसरे के पूरक है। लेकिन अच्छे कर्म बेहतर भाग्य बनाते है यह निश्चित है।
इन रेखाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे क्या कहती हैं ये रेखाएं और कैसा होता है उनकी फल।
सलाह – ध्यान शुरू कीजिए बहुत आसान है सुबह उठने के बाद और रात सोने से पहले बिस्तर पर बैठ कर सिर्फ एक मिनट आँखे बंद कीजिये। आने दीजिये अच्छे बुरे विचारों को बस आँखे मत खोलिये, धीरे धीरे समय बढ़ता जायेगा विचार कम होते जायेंगे।
शुरू कीजिये शीघ्र ही आनन्द आने लगेगा।
सभी चित्र सौजन्य पुस्तक हस्तविचार से।