आज महेन्द्र सिंह धोनी का जन्मदिन है। कैप्टन कूल, माही देश के क्रिकेट प्रेमियों के लिए महानायक है। अपने शानदार खेल से उसने कई बार असंभव को संभव किया है। क्रिकेट के तीनों प्रारुपों में उसने भारत को शिखर पर पहुंचाया है। खेल को समर्पित धोनी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। एक छोटे से राज्य से आकर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी उपलब्धियों से धोनी ने देश को गौरवांवित किया है। धोनी आपको आपके जन्मदिन पर हार्दिक बधाई। आज अभी फेसबुक पर मेरे एक मित्र ने मेरी पुरानी तस्वीर को शेयर किया जिसमें माही के साथ मेरा परिवार है। उस तस्वीर से मेरी भी कई पुरानी यादें ताजा हो गई।
धोनी से मेरी पहली मुलाकात कराई थी मित्र-भाई अरुण पांडेय ने। मुझे आज भी याद है अरुण सहारा के नोएडा कैंपस में मुझसे मिलने आये थे। मेरे बार बार इसरार करने पर कि आप ऊपर गेस्ट रुम में आ जाइये, अरुण ने मना करते हुए कहा कि भैय्या आपका इंतज़ार मैं यहीं कर रहा हूं, जब आप फ्री हों तो नीचे ही मिलते हैं। मुझे काम खत्म करने में पन्द्रह बीस मिनट का समय लग गया। मैं नीचे पहुंचा तो नीचे अरुण गाड़ी में बैठे मेरा इंतजार कर रहे थे। मुझे देखते ही वो बाहर आये, गाड़ी में उनके साथ कोई ओर भी बैठा था। अरुण ने मुझे कहा भैय्या गाड़ी में माही है और उन्होंने माही को आवाज देते हुए कहा माही अतुल भैय्या आये हैं। जब तक मैं कुछ रिएक्ट करता गाड़ी से बाहर निकले और मुझे प्रणाम किया। माही पाकिस्तान से चर्चित सीरिज खेल कर अभी देश के नायक बन चुके थे। मुझे बड़ा बुरा लगा कि उन्हें सहारा के गेट पर बैठना पड़ा। मैं अरुण पर गुस्सा हुआ कि वो माही को अंदर लेकर क्यों नहीं आये। माही ने मुस्कुराते हुए कहा भैय्या मैंने ही मना किया था। थोड़ा थके हुए थे इसलिए गाड़ी में सो रहे थे। इस पहली मुलाकात के बाद माही के साथ कई मुलाकातें ओर हुई। मित्र हरीश शर्मा के माध्यम से कई फिल्में साथ देखी गई। अप्पू घर में ओएस्टर वाटर पार्क में उछल कूद की गयी। कुछ अच्छे पल साथ बिताये गए। फिर धोनी व्यस्त होते गए और फुर्सत के पल कम होते गए।
धोनी कितने बड़े इंसान है वो मैं आपको इस घटना के माध्यम से बताना चाहता हूं। एक दिन मेरे पास राजेश जी का फोन आया। राजेश जी सहारा में मेरे सीनियर थे। उन्होंने मुझे कहा अपना एक मित्र है विमल वो धोनी से मिलना चाहता है। धोनी नोएडा में एक बिल्डर के कार्यक्रम में आया है तुम उसे ले जाकर मिलवा दो। तब तक धोनी क्रिकेट के शिखर पर जा बैठे थे। टी-20 विश्व कप जीतकर आये थे। मुझे लगा कि पता नहीं धोनी मुझे पहचानेंगे भी या नहीं। एक लंबा अर्सा हो गया था उनसे मिले। मैंने अरुण को फोन लगाया, अरुण ने कहा भैय्या कहां हैं आप तो मैंने उन्हें बताया ऐसी बात है। तो उन्होंने कहा तो परेशान होने की कोई बात नहीं है आप शाम को आ जाइये, माही से आपकी मुलाकात हो जायेगी। मैं शाम को पहुंचा। तो देखा वहां तो लोगों का हुजूम लगा हुआ है। किसी तरह से मैं जहां कार्यक्रम हो रहा था वहां पहुंचा। अंदर के हालात भी बाहर जैसे ही थे। अरुण को फोन लगाया तो उनका फोन नॉट रीचेबल आ रहा था। बड़ी अजीब सी स्थिति थी मेरी। कैसे धोनी से मिलूं। अचानक देखा कि एक ओर से धोनी लोगों से घिरे चले आ रहे थे। मैंने हिम्मत जुटाते हुए उन्हें आवाज़ लगाई माही…। मेरी किस्मत अच्छी थी कि मेरी आवाज उन तक पहुंच गयी और उन्होंने मेरी तरफ देखते हुए पूछा भैय्या कैसे हैं आप? जब तक मैं कुछ ओर कह पाता बिल्डर महोदय उन्हें अपने कमरे में ले गए। कमरे के बाहर पूरी सिक्योरिटी थी अंदर जाना नामुमकिन था। हैरान परेशान मैं सोच रहा था कि मैं क्या करूं कि अंदर से अरुण बाहर निकल कर आये। मुझे देखते ही बोले भैय्या अंदर आइये माही आपको बुला रहें हैं। हुआ ये था कि माही को बिल्डर साहब अंदर तो ले गए, अंदर जाते ही माही अरुण को बोले कि बाहर अतुल भैय्या आये हुए हैं उन्हें अंदर ले आओ। अंदर माही वैसे ही मिले जैसे वो पहले मिलते थे। वहीं विनम्रता, वहीं यथोचित सम्मान। एक नायक से महानायक बनने का सफर उन्होंने तय किया था लेकिन अपनी पांव जमीन पर ही रखे थे। उसके बाद तो फिर मुलाकातें ओर होती रहीं। मैं अरुण पांडेय का शुक्रगुजार हूं कि उनकी वजह से मेरी मुलाकात माही से हुई।
माही देश में आपके करोड़ों प्रशंसकों की तरह मैं भी आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं देता हूं। आप सदैव अपने जीवन में आगे बढ़ते रहें।