हिमाचल के CM का नाम लगभग तय, गुजरात पर सस्पेंस बरकरार

नई दिल्ली | गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की शानदार सफलता के बाद कौन होंगे मुख्यमंत्री? यह चर्चा राजनीतिक गलियारों से लेकर आम लोगों में चल रही है। क्योंकि हिमाचल में बीजेपी के सीएम उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार चुके हैं। जबकि गुजरात में विजय रुपानी फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं कुछ स्पष्ट नहीं है। वैसे बीजेपी जिस भी राज्य में चुनाव जीतती हैं वहां ऐसा चेहरा सीएम के रूप में सामने आता है जिसे के बारे में कोई कल्पना भी नहीं करता है। सूत्रों ने बताया कि जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बन सकते हैं। हो सकता है दोनों राज्यों में बीजेपी भी सरप्राइज दे सकती है। बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा, पार्टी फैसला करेगी गुजरात और हिमाचल में कौन मुख्यमंत्री बनेंगे।

हिमाचल….
हिमाचल में बीजेपी को सीएम तय करने के लिए काफी माथापच्ची करनी होगी। धूमल तो चुनाव हारे ही, साथ ही प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती, पूर्व मंत्री रवींद्र सिंह रवि, गुलाब सिंह ठाकुर (धूमल के समधी), इंदू गोस्वामी और रणधीर शर्मा भी जीत नहीं पाए। ऐसे में पार्टी के पास विकल्प कम बचे हैं। इस बीच चुनाव जीते नेताओं ने अपनी दावेदारी पेश करनी शुरू कर दी है। वरिष्ठ नेता जयराम ठाकुर ने कहा कि पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, वह उसे पूरा करने को तैयार हैं। केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा की दावेदारी भी स्वाभाविक है, लेकिन चर्चा यह भी है कि हरियाणा की तर्ज पर बीजेपी यहां बैकडोर से अजय जम्वाल पर दांव खेल सकती है। जम्वाल संघ से जुड़े रहे हैं और फिलहाल पूर्वोत्तर में पार्टी संगठन का काम संभाल रहे हैं। बताया जा रहा कि हिमाचल में अगले दो दिन में बीजेपी की विधायक दल की बैठक होने वाली है। पार्टी आलाकमान ने तीन वरिष्ठ नेताओं जयराम ठाकुर, डॉ. राजीब बिंदल और विपिन परमार को दिल्ली बुलाया है। सोमवार देर शाम संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद बीजेपी ने घोषणा की है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर हिमाचल का दौरा करेंगे और वहां नेताओं की राय जानने की कोशिश करेंगे। उसके बाद सीएम के नाम की घोषणा होगी।

गुजरात…
गुजरा में मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलों का दौर तब शुरू हुआ जब नतीजे आने से पहले उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री का फैसला विधायक दल की बैठक में होगा। उनके इस बयान को उनकी मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी के रूप में देखा गया। हालांकि नेता चुनने की औपचारिकता विधायक दल की बैठक में ही पूरी की जाती है, लेकिन चूंकि चुनाव रुपाणी के सीएम रहते लड़ा गया, ऐसे में यह माना गया था कि जीत हासिल होने पर वही सीएम बनेंगे। सूत्र बता रहे हैं कि इस बार पार्टी शुरू से कोई मजबूत और प्रभावी चेहरा मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करना चाहती है। अटकलें यह भी हैं कि किसी बड़े नेता को केंद्र से गुजरात भेजा सकता है। हालांकि सोमवार को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी की ओर से ऐसा कोई संकेत नहीं मिला।

गुजरात में बीजेपी की मुश्किल यह है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात में कोई उनका विकल्प नहीं बन पाया। मोदी ने आनंदीबेन पर भरोसा जताया था, लेकिन जिस तरह एक के बाद राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन हुए, उसे आनंदीबेन संभाल नहीं पाईं। खास तौर पर पटेल आंदोलन उनकी विदाई का सबब बना। उनके विकल्प के तौर पर लाए गए विजय रुपानी भी कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए। यही वजह रही कि चुनाव में बीजेपी की हालत कमजोर नजर आने लगी। ऐसे में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमान संभाली और पार्टी की चुनावी नैया पार लगाई।

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