दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के खेतों में गेंहूँ की बुवाई चल रही है और यहाँ उनके आन्दोलन की सियासी फसल की कटाई के लिए सभी विपक्षी राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, या फिर चंद्रशेखर पप्पू यादव जैसे नेता, यही नहीं खुद मायावती और अखिलेश यादव जैसे नेता भले ही रियल वर्ल्ड में उतर कर समर्थन न कर रहें हों पर अपने अपने एयर कंडीशन कमरों में बैठकर वर्चुअल वर्ल्ड में ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार को घेरने में लगे हुए है.
जी हाँ किसान भले ही अपने आन्दोलन को गैर राजनीतिक रखना चाहता हो पर राजनीतिक दल उनके हिमायती दिखने की कोई भी जुगत छोड़ना नहीं चाहते. दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने तो अपनी पूरी कैबिनेट और पार्टी को ही बुराड़ी मैदान, सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर तैनात कर दिया है यहाँ तक कि खुद सरकार के गोपाल राय, कैलाश गहलोत के साथ ही पार्टी के विधायक राघव चड्ढा, जरनैल सिंह, पवन शर्मा, महेंद्र गोयल, राखी बिड़ला इत्यादि धरना स्थल पर पहुंच रहे हैं। सहित सभी वरिष्ठ मंत्री आन्दोलन स्थल का रोज दौरा कर रहे है. दरअसल आम आदमी पार्टी की ये सक्रियता अनायास नहीं है, आम आदमी पार्टी को किसान आन्दोलन के रूप में पंजाब में वोटों की फसल दिखाई दे रही है. आप के निशाने पर पंजाब में 2022 के चुनाव हैं, पंजाब में २०२२ की शुरुआत में चुनाव होने है इसलिए केजरीवाल किसान आन्दोलन की इस लहलहाती फसल को अपने पक्ष में पूरी तरह से काट लेना चाहते है.
केंद्र सरकार और मोदी विरोध के नाम पर छोटे दल और नेता भी इस मौके को छोड़ना नहीं चाहते, बिहार से जन अधिकार पार्टी नेता पप्पू यादव व आजाद समाज पार्टी नेता चंद्रशेखर भी किसानों के बीच पहुंचकर अपनी राजनीति को खाद पानी देने में लगे हुए है.
इन सबसे इतर उत्तर प्रदेश के नेता फिलहाल तो वर्चुअल वर्ल्ड के सहारे ही किसानों का मसीहा बनने की कोशिश में है, प्रमुख विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके कार्यकर्ताओं ने भले ही अभीतक आन्दोलन के समर्थन में सक्रिय भागीदारी न दिखाई हो पर ट्विटर के जरिये उन्होंने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, इतना ही नहीं सोशल मीडिया में नई नई सक्रिय हुई बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती और उनकी पार्टी भी बहुत सक्रिय रूप से ट्विटर पर किसान आन्दोलन को समर्थन देने में लगीं हुई है.
हालांकि किसानों की पूरी कोशिश है उनका ये आन्दोलन किसी भी तरह किसी भी राजनीतिक दल द्वारा हाईजैक न होने पाए इसलिए उन्होंने अपने मंच पर किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति को जगह देने से मना कर दिया है और अभी तक वो इस पर कायम भी दिख रहे है,