भाजपा की ओर से आयोजित ‘आपातकालः भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय’ विषय पर आयोजित वर्चुअल परिचर्चा को संबोधित करते हुए जेपी आंदोलन के प्रमुख सहभागी और इमरजेंसी में 19 महीने की जेल यातना झेलनेवाले बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि उन्हें दुख है खुद को जेपी और लोहिया का चेला बतानेवाले लालू प्रसाद यादव आज कुर्सी के लिए इमरजेंसी और जेपी की मौत की जिम्मेवार कांग्रेस की गोद में बैठ गये हैं। अपनी गद्दी बचाने के लिए इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 की आधी रात को संविधान का गला घोंट इमरजेंसी लागू कर पूरे देश पर अपनी तानाशाही थोपी थी।
डिप्टी सीएम मोदी ने कहा कि आजादी की दूसरी लड़ाई के प्रणेता 74 वर्षीय जेपी को आपातकाल के दौरान जेल में इंदिरा गांधी के क्रूर अत्याचार का शिकार होना पड़ा जिसके चलते उनकी किडनी फेल नहीं हुई होती, तो वे 10-12 वर्ष और हमलोगों के बीच रहते।
आपातकाल के काले दिनों को याद करते हुए कहा कि देश के सभी प्रमुख राजनेताओं सहित डेढ़ लाख से ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया गया था। उस दौर में अंग्रेजों से भी ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किया गया। हालात ये थे कि चाह करके भी कोई किसी के साथ खड़ा नहीं होता था। आपातकाल एक ऐसा काला अध्याय है, जिसकी याद मात्र से सिहरन पैदा होती है।
बिहार में जब एनडीए की सरकार ने बिहार में 2,680 जेपी सेनानियों को ‘सम्मान पेंशन’ देना शुरू किया। इनमें छह माह से अधिक जेल में रहनेवाले 1,728 को 10 हजार और छह माह से कम रहनेवाले 952 लोगों को पांच हजार रुपये प्रति महीना पेंशन के तौर पर अब तक 170 करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं।