सांस्कृतिक धरोहरों के संवर्धन एवं संयोजन की परिकल्पना “कला संकुल” द्वारा दिल्ली को बनाया जायेगा “कला नगर”
नयी दिल्ली 26 मार्च 2021: संस्कार भारती पद्मश्री हरिभाऊ वाकणकर जयंती की पूर्वसंध्या पर कला संकुल (परिसर) का लोकार्पण कर रहा है, जिसका लोकार्पण आगामी २ अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख श्री मोहन भागवत करेंगे। इस अवसर पर विज्ञान भवन में लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमे कला साहित्य रंगमंच के लगभग 1000 कलाकार, संस्कृतिकर्मी, कलागुरु एवं अन्य विद्वतजनो के उपस्थित रहने की सम्भावना है।
कला संकुल मूलतः कला-संस्कृति गतिविधि परिसर है जिसमे कला साहित्य रंगमंच सहित अनेको विधाओं का संयोजन एवं संवर्धन किया जायेगा। कला संकुल में कला-संस्कृति की पुस्तकों से सुसज्जित एक समृद्ध पुस्तकालय, आर्ट गैलरी, सभागार, स्टूडियो एवं कांफ्रेंस रूप की सुविधा उपलब्ध है। संस्कार भारती आगामी भविष्य में दिल्ली को एक ‘कला नगर’ का रूप स्थापित करना चाहता है, जिसकी सांस्कृतिक सुगंध से पूरा देश सुवासित हो और भविष्य में ‘कला संकुल’ कला-संस्कृति के बड़े केंद्र के रूप में जाना जायेगा।
आगामी लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता परेश रावल चेयरमैन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय कर रहे है जिसके मुख्य अतिथि संघ प्रमुख डॉ मोहनराव भागवत है एवं संस्कार भारती के संरक्षक पद्मश्री बाबा योगेंद्र, संस्कार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष वासुदेव कामत, राज्यसभा सदस्य पद्मविभूषण डॉ सोनल मानसिंह, लोकगायका पद्मविभूषण तीजनबाई, लेखक चिंतक पद्मश्री नरेंद्र कोहली , मणिपुरी नर्तक पद्मभूषण राजकुमार सिंहजीत सिंह एवं गायक पद्मभूषण पडित राजन मिश्र का विशेष सानिध्य रहेगा। कार्यक्रम के संयोजक अनुपम भटनागर, एवं सहसंयोजक भूपेंद्र कौशिक जी है
संस्कार भारती परिचय:
संस्कार भारती एक राष्ट्रवादी सांस्कृतिक संगठन है, जो भारत की परम्परागत शास्त्रीय, लोक और आधुनिक कलाओं के माध्यम से लोक जीवन में राष्ट्रीय मूल्यों के बीजारोपण के लिए कृत संकल्प एवं प्रयत्नशील है। मूल्य आधारित कला मनोरंजन द्वारा व्यक्ति का विकास ही संस्कार भारती का लक्ष्य है। प्राचीन और आधुनिक के समन्वय और प्रतिभाशाली युवा कलाकर्मियों को नए प्रयोग की भूमि प्रदान करने में हमारा विश्वास है ताकि भारत की कला धरोहर नित आगे बढती रहे और नए क्षितिज प्राप्त करे।
संस्कार भारती ‘सा कला या विमुक्तये’ की संकल्पना को लेकर कला एवं संस्कृति के उन्नयन में बीते चार दशकों से नित्य निरत है। अपने इन्हीं उदेश्यों को मूर्त रूप देने के लिए ‘कला संकुल’ की स्थापना की जा रही है।