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आज गुरूग्राम से सटे ग्वाल पहाड़ी स्थित गुरू ग्राम नैचुरोपैथी क्योर सेन्टर (GNCC) में ‘डू इट फॉर डॉयाबिटिज्’ (Do it for Diabetes) विषय पर एक संगोष्ठी एवं नि:शुल्क कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर पारंपरिक चिकित्सा पद्तियों से जुड़ी जानी-मानी हस्तियों ने शिरकत की। डॉ. सुनीता कटारिया, निदेशक, गुरूग्राम नेचुरोपैथी क्योर सेन्टर(GNCC),की स्थापना को अपना सपना बतातेे हुए कहा कि दिल्ली एन.सी.आर. के पास कोई ऐसा विश्वस्तरीय नैचुरोपैथी सेन्टर हो जो विश्व स्तरीय हो ताकि लोगों को प्राकृतिक चिकित्सा उपचार लेने के लिये हरिद्वार या ऋषिकेश तक ना जाना पड़े, इसी बात को ध्यान में रखते हुए गुडगांव से सटी अरावली हिल्स में इस सेन्टर को बनाया गया है। योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के इस केन्द्र में स्वच्छ और हरित वातावरण और विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ प्रशिक्षित डॉक्टरों की देखरेख में प्राकृतिक चिकित्सा दी जाती है। लोग ऐलोपैथी को छोड़कर प्राकृतिक चिकित्सा में आना चाहते हैं लेकिन उनके पास विकल्प नहीं है और यह सेन्टर लोगों को ऐसा ही एक बेहतरीन विकल्प दे रहा है। इस सेन्टर की विशेष बात यह है कि यह दिल्ली एन.सी.आर के पास ही स्थित है और यहां स्वच्छ प्राकृतिक वातावरण भी उपलब्ध है जो की प्राकृतिक चिकित्सा के लिए अत्यन्त आवश्यक है। इस अवसर पर जाने-माने योग गुरू सुनील सिंह ने कुछ विशेष आसनों के माध्यम से लोगों को मधुमेह से निजात पाने के तरीकों के बारे में बताया साथ ही उन्होंने कहा कि योग में हमे इस बात का भी ज्ञान होना चाहिए की हम क्या करें और क्या ना करें। संगोष्ठी के दूसरे वक्ता के रूप में योग गुरू उमेश जोशी ने योगासन के साथ-साथ ध्यान के महत्व पर भी बल दिया। संगोष्ठी के दौरान विद्वान प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. सुभाष जैन ने बताया कि यदि हम सही तरीके से प्राकृतिक चिकित्सा लें तो ऐसा कोई मर्ज नहीं है जो ठीक ना हो सके। संगोष्ठी में आयुर्वेद के डॉ. सुनील आर्य ने कहा कि अब आर्युवेद में शोध के बाद जड़ी-बुटियों से कई ऐसी दवायें बनाई गई जो मुधमेह के नियन्त्रण में सहायक सिद्ध हुई हैं। संगोष्ठी में न्यूरोथैरेपिस्ट डॉ. नवल किशोर ने जहां इस पद्ति से मधुमेह के उपचार की विधियों के बारे में बताया वहीं आहार सलाहकार डॉ. आर्यन मित्तल ने मुधमेह के नियंत्रण के लिये संतुलित आहार के महत्व पर बल दिया। इस संगोष्ठी एवं नि:शुल्क कार्यशाल में दिल्ली एन.सी.आर. के दौ सौ से भी ज्यादा लोग जुटे जिन्होंने कार्यशाला में भाग लेने के साथ-साथ प्राकृतिक चिकित्सा से स्वास्थ्य लाभ लिया।