ध्रुव तारा- नीरज चोपड़ा

Neeraj Chopra. (File Photo: IANS)
डॉ. सुनीता शर्मालेखिका व शिक्षाविद्
डॉ. सुनीता शर्मा लेखिका व शिक्षाविद्

 

ओलंपिक खेल की दुनिया का मक्का है जहां प्रतिभावान खिलाड़ी अपनी योग्यता, क्षमता और लगातार भरपूर दे देने की काबिलियत से इतिहास रचते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ 8 अगस्त की मध्य रात्रि में जब पूरी दुनिया नींद के आगोश में थी तब पैरिस में नीरज चोपड़ा के भाले ने कमाल कर दिया। टोक्या ओलंपिक में 87.58 मीटर दूर भाला फेंक कर स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाले नीरज ने पेरिस में 89.45 मीटर भाला फेंक कर भारतीय खेल जगत में इतिहास रच दिया। वह भारत के इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धा में एक स्वर्ण व एक रजत पदक जीता है। अरशद नदीम ने फाइनल में 92.97 मीटर दूर भाला फेंक कर ओलंपिक रिकॉर्ड स्थापित किया है व स्वर्ण पदक जीता है वहीं ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने 88.54 मीटर के साथ कांस्य पदक जीता।
प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। कई बार ज़िंदगी निकल जाती है और लोग पहचाने भी नहीं जाते लेकिन आत्मविश्वास और मेहनत का दामन जिसने थाम लिया तब सफलता कोसों दूर से भी चलकर आप तक पहुंचती है और आपको शिखर पर पहुंचाती है जिसकी आपने कल्पना भी ना की हो।
140 करोड़ भारतीयों में से एक होना असंभव सा प्रतीत होता है। लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिस्मिल्लाह खान, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी ऐसे नाम हैं जो देश-दुनिया में विख्यात हैं। विश्व पटल पर चमकने वाला ऐसा ही एक सितारा और है जिसने ऐसी धमाकेदार एंट्री की कि लोगों की जुबान पर एक ही नाम था नीरज चोपड़ा। टोक्यो ओलंपिक में जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल अपने नाम करने वाला हिंदुस्तानी एथलीट। सौभाग्य से अभी कुछ दिन पूर्व ओलंपियन नीरज चोपड़ा से उनके गांव खांद्रा पानीपत में मिलना हुआ । दरअसल बहुत समय से मैं नीरज चोपड़ा से मिलकर उनका साक्षात्कार करना चाहती थी लेकिन हमेशा ही पता चलता कि वे देश से बाहर ट्रेनिंग के लिए गए हुए हैं लेकिन इस बार कुछ ऐसा सुअवसर आन पड़ा कि हम उनके घर पहुंच ही गए जहां हमारा स्वागत भीम चोपड़ा (चाचा जी) व सतीश चोपड़ा (पिताजी) ने किया। बैठक में बैठे ही थे कि कुछ ही क्षणों में हमारे समक्ष थे ओलंपियन नीरज चोपड़ा।
सरल, सौम्य, हंसमुख, मासूमियत से भरे, जिंदादिल नीरज चोपड़ा को देखना सुखद था। अपनेपन से भरे नीरज से अगर आप परिचित नहीं भी हैं तो भी उनसे मिलकर आपको अपनेपन का ही एहसास होगा और लगेगा कि इनसे तो हम पूर्व परिचित हैं। थोड़ी ही देर में बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया।
प्रश्न. हिंदुस्तान में क्रिकेट का जुनून सर चढ़कर बोलता है। वर्ल्ड कप, T20 ,वनडे मैचों के साथ हर युवा बड़ी उत्सुकता से मैच देखते हैं। ऐसे में पारंपरिक खेल छोड़कर जैवलिन थ्रो में आने का क्या कारण रहा?

दरअसल जब मैं 11 साल का था तो अपने अंकल सुरेंद्र चोपड़ा के साथ पानीपत स्टेडियम गया। वहां जयवीर चौधरी को जैवलिन थ्रो खेलते देखा। इसे देखकर मन में आया कि मुझे भी यही खेलना है और इस तरह एकदम नए, अनोखे खेल में मेरी एंट्री हुई । चाचा अपने साथ गांव से पानीपत लेकर जाते थे। दिनभर प्रैक्टिस करता और बस पकड़ कर शाम को वापस घर आना होता था। इस रूटीन में मज़ा आने लगा। जर्नी को एंजॉय करता था। एक जोश और मज़े के कारण भाग दौड़ और प्रैक्टिस भी खुशी देती थी। आज भी प्रैक्टिस सेशन में ही सबसे ज्यादा मजा आता है। यह भी लगता है कि अपने बेस्ट रिकॉर्ड से भी आगे जाना है।
परिवार का भी पूरा सहयोग मिला। भरा पूरा संयुक्त परिवार है और पूरे परिवार ने भी मेरे सपने को पूरा करने को अपना धर्म माना है।यह पूरे परिवार का ही त्याग है जिस कारण मैं आज यहां पहुंचा हूं। बचपन से लेकर आज तक मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं । परिवार के साथ के बगैर मैं इन ऊंचाइयों को नहीं छू सकता था। हर बंधन ,जिम्मेदारी से मुक्त होकर उन्होंने मुझे खेलने के लिए खुला आसमान दिया ताकि मैं अपनी उड़ान भर सकूं। पूरे साल में 2 से 3 दिन के लिए ही घर आना होता है लेकिन परिवार में इस बात के लिए कोई नाराजगी नहीं है। पूरा परिवार मेरी इस जर्नी, मेरी सफलता में मेरे साथ है। घर से इतना दूर होने के बावजूद मन में खुशी है कि देश के लिए खेल रहा हूं तथा यही विचार है कि लगातार प्रैक्टिस करते हुए और अच्छा करना है।
प्रश्न.जब आप बड़े इवेंट (कंपटीशन) ओलंपिक, कॉमनवेल्थ खेलों में जाते हैं तो तनाव को कैसे हैंडल करते हैं?

मैं लगातार अभ्यास को अपना मोटो मानता हूं और उस समय अपने आप को एक अलग ही जोन में रखता हूं। प्रयास करता हूं कि नॉर्मल रहूं । काम और अभ्यास को गंभीरता से लेता हूं और आक्रामक रहता हूं ।मुकाबले के समय मेरा व्यक्तित्व बिल्कुल अलग हो जाता है। अब तो कुछ इवेंट्स में परिवार से चाचा और मित्र भी जाते हैं लेकिन इस बात से तनाव नहीं लेता। धीरे-धीरे दबाव को लेने की आदत हो गई है इसलिए परेशान नहीं रहता हूं।

प्रश्न. जब आपने टोक्यो ओलंपिक 2020 में गोल्ड जीता उसके बाद सोशल मीडिया, टीवी, अखबारों में आप छाए हुए थे। क्या उससे काम में ,अभ्यास में कहीं कोई दिक्कत आई?

उस समय मैंने 100 से 200 इंटरव्यू दिए। बहुत ज्यादा मुझे मीडिया की अटेंशन मिली। रोड शो हुए, हर वक्त चारों तरफ लोगों से घिरा हुआ था और मेरी भी ऐसी उम्र थी, भटकने के मौके थे लेकिन मैं सौभाग्यशाली रहा क्योंकि मुझे पता था कि इतनी कवरेज और अटेंशन खेल के कारण मिली है तो इसे दिमाग पर हावी नहीं होने देना है । मैंने उस समय खिलाड़ी के तौर पर अपने आप को प्रैक्टिस में लगाया।
आज मेरा यही मिशन है कि अपने देश के झंडे को और ऊपर उठा सकूं। इसी विचार ने मुझे ज़मीन से जोड़े रखा है।

प्रश्न. जुलाई 2024 में पेरिस ओलंपिक होने वाले हैं और इसमें आपका मुख्य मुकाबला किसके साथ है?
विश्व स्तर पर अगर हम देखें तो कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया है जैसे पाकिस्तान के अरशद नदीम, जर्मनी के जूलियन वेबर, चेक गणराज्य के जाकुव वादलेज और ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स आदि।

दरअसल टोक्यो ओलंपिक में भी देश- दुनिया के महानतम खिलाड़ियों के साथ मेरा मुकाबला था। बड़े खिलाड़ियों से डरने की बजाय अपने प्रदर्शन व अभ्यास पर ध्यान देने की आवश्यकता है। जब आपकी तैयारी शानदार हो, ईश्वर, परिवार और देशवासियों का प्यार आपके साथ हो तो मुश्किल भी अपना रास्ता बदल लेती है और यही मेरी जीत का मूल मंत्र है।

मेरा यही मानना है कि पेरिस ओलंपिक में मुझे अपना बेस्ट देने के लिए हर दिन ट्रैक पर जोश और उत्साह से अभ्यास करना है। इस समय तनाव ,चिंता, असफलता और निराशा का कहीं कोई स्थान नहीं है। मेरा हर दिन इसी आत्मविश्वास के साथ शुरू हो कि मुझे अभ्यास में प्रतिदिन इतना बेहतरीन करना है कि विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ मुकाबले में मैं अपने आप को बेहतरीन साबित कर सकूं। मेरा खराब दिन भी ट्रैक पर दूसरे अन्य सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के प्रदर्शन से बेहतरीन होना चाहिए तभी सफलता प्राप्त होगी और यही जज़्बा मुझे लगातार आगे बढ़ने और बेहतरीन करने की प्रेरणा देता है।

प्रश्न. अभिनव बिंद्रा ने जब व्यक्तिगत स्पर्धा में ओलंपिक में गोल्ड जीता था सबकी नज़रें उनकी और मुड़ी। टोक्यो ओलंपिक के बाद जैवलिन थ्रो और नीरज चोपड़ा जाना पहचाना खेल और नाम है। आप आज के युवाओं को क्या संदेश देते हैं ?

सफलता का कोई भी शॉर्टकट नहीं होता। लगातार अभ्यास प्रैक्टिस ही आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाती है। लोगों को नाम कमाने में सालों लग जाते हैं इसलिए अपने आप को सोशल मीडिया, मस्ती ,ऑनलाइन गेमिंग हर तरह की डिस्ट्रक्शन से दूर कर अपने सपनों को पूरा करने के लिए लगातार अभ्यास और जुनून ही आपको वहां तक पहुंचा सकता है और तब आपके और आपके सपनों के बीच फिर किसी और चीज की गुंजाइश नहीं होती। सफलता के लिए सुखों का त्याग तो करना ही होगा। सोशल मीडिया के माध्यम से लोग आसानी से प्रसिद्ध हो जाते हैं लेकिन यह स्थायी नहीं है।

प्रश्न. स्टडीज के हिसाब से जैवलिन थ्रो के खिलाड़ियों की हैंड ग्रिप, स्ट्रैंथ व मसल्स ग्रोथ की क्या आदर्श आयु रहती है? आप इसे किस तरह देखते हैं।

30 साल की उम्र इस खेल में खिलाड़ी के लिए हर तरह से बेस्ट है।मेरी भी कोशिश है कि इन तीन-चार सालों में जो भी बेहतर किया जा सकता है उसे करूं। अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ू और नए रिकॉर्ड बनाऊं तथा देश के गौरव व मान का कारण बनूं। भारत सरकार हम खिलाड़ियों पर बहुत खर्च कर रही है।हमारी ट्रेनिंग और फिटनेस पर उनका पूरा फोकस है। पेरिस ओलंपिक में रजत पदक जीत कर मैंने देश के प्रति अपना आभार व्यक्त किया है।

प्रश्न. भारत सरकार विगत कुछ वर्षों से लगातार खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने और उनके प्रदर्शन
में सुधार के लिए काम कर रही है। आप इस विषय में क्या कहेंगे ?
वर्तमान समय में भारत सरकार खिलाड़ियों की मेंटेनेंस व प्रैक्टिस पर बहुत ज्यादा खर्च कर रही है। यहां तक की प्रधानमंत्री मोदी हर खेल से पहले खिलाड़ियों से बात करते हैं, उनका हौंसला बढ़ाते हैं, खेल के बाद भी फोन करते हैं, बातचीत करते हैं। मेरी व अन्य अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों की ज्यादातर ट्रेनिंग विदेश में हो रही है। भारत सरकार ने 5.72 करोड रुपए मेरी ट्रेनिंग में खर्च किए हैं।खेलो इंडिया स्कीम शुरू की गई है भारत सरकार की तरफ से जहां गांव- देहात से भी युवा खेलों से जुड़ सकें और देश खेलों में भी आगे बढ़े। एशियाई खेलों में भारत ने अबकी बार सौ पार का जादुई आंकड़ा पार किया था। एशियाई खेल, कॉमनवेल्थ खेल, ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों का दबदबा बढ़ा है और यह देश व खिलाड़ियों के लिए शुभ संकेत है। भारत के चार कांस्य और एक रजत पदक सहित कुल पांच पदक हो गए हैं।यह पदकों की संख्या के हिसाब से भारत का ओलंपिक में संयुक्त रूप से दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

ट्रैक फील्ड एथलीट प्रतिस्पर्धा में जैवलिन थ्रो में रिकॉर्ड बनाने वाले तूफानी एथलीट नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में 87.58 मीटर भाला फेंक कर दुनिया को चौंका दिया था। व्यक्तिगत स्पर्धा में अभिनव बिंद्रा के बाद विश्व चैंपियनशिप स्तर पर नीरज चोपड़ा स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय बने हैं और भारत के इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धा में एक स्वर्ण व एक रजक रजत पदक जीता है। रेशमी बालों वाले भारतीय आकाश में चमकने वाले चमकीले सितारे, सूबेदार नीरज चोपड़ा 2022 में पद्मश्री से सम्मानित हुए हैं।
2020 में टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले, 2023 में विश्व एथलेटिक चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा आज हर युवा का आदर्श हैं।
पेरिस ओलंपिक में जैवलिन थ्रो में रजत पदक जीत का नीरज चोपड़ा ने यह साबित कर दिया कि वर्तमान में वह भारत के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं इससे पूर्व किसी और खिलाड़ी ने व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण और रजत पदक नहीं जीते हैं। देश का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक 2008 बीजिंग ओलंपिक में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने दिलाया था। इससे पहले भारत ने ओलंपिक में 8 स्वर्ण पदक जीते थे जो हॉकी टीम के नाम थे। टोक्यो में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज ने एथलेटिक्स में स्वतंत्रता के बाद भारत को पहला ओलंपिक पदक दिलाया था उससे पहले ट्रैक एंड फील्ड में भारत कभी भी कोई पदक नहीं जीत पाया था।पेरिस ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने रजत पदक जीत कर देश के प्रति अपने आभार को पूरी शिद्दत से अभिव्यक्त किया।
140 करोड़ भारतीयों के स्वप्न को साकार करने वाले नीरज चोपड़ा भविष्य में भी अपने खेल से देश- दुनिया में ऐसे ही नाम कमाए। देश में ऐसे और युवा एथलीट पैदा हों जो उनकी भांति खेल की दुनिया में आगे बढ़े। नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक 2024 में भी शानदार प्रदर्शन कर विश्व पटल पर ऐसी ही चमक बिखेरी है। इस जीत के लिए नीरज चोपड़ा को असंख्य शुभकामनाएं व कोटि-कोटि वंदन।

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