मानवीय कार्यों के लिए समर्पित सेवाओं के 25 साल पूरे होने पर प्रसिद्ध गैर सरकारी संगठन, दधीचि देह दान समिति (दधीचि) देश में देह-अंग-नेत्र दान के लिए जागरूकता फैलाने और निष्पादन के उद्देश्य से एक राष्ट्रव्यापी अभियान का आयोजन करेगी। दधीचि ने औपचारिक रूप से मालवीय भवन, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली में एक प्रेस मीट में अभियान की घोषणा की। इस अवसर पर एडवोकेट आलोक कुमार (डीडीडीएस के संरक्षक), श्री हर्ष मल्होत्रा (डीडीडीएस के अध्यक्ष) और मीडिया एवं चिकित्सा जगत के कई प्रतिष्ठित लोग उपस्थित रहे।
यह कॉन्क्लेव शनिवार, 3 सितंबर 2022 को एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इसका समापन रविवार, 4 सितंबर 2022 को डॉ. अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में एक सम्मेलन के साथ होगा। दधीचि ने सम्मेलन को संबोधित करने के लिए भारत के माननीय उपराष्ट्रपति को आमंत्रित किया है। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती ने भी इस सम्मेलन को संबोधित करने की सहमति दी है।
इस कॉन्क्लेव में महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ मोहन फाउंडेशन, ऑर्गन इंडिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, नोटो, ओआरबीओ, नेशनल आई बैंक, अम्मा आई ऑर्गन, बॉडी डोनेशन प्रमोटर्स ऑर्गनाइजेशन, द फेडरेशन ऑफ ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन और आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया सहित 60 से अधिक संस्थाओं ने भाग लेने के लिए सहमति दी है।
केंद्रीय मंत्री श्री मनसुख मंडाविया, सुश्री मीनाक्षी लेखी, सुश्री भारती प्रवीण पंवार के साथ-साथ पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और श्री सुशील मोदी ने भी भाग लेने के लिए सहमति व्यक्त की है। श्री राजेश भूषण, सचिव, स्वास्थ्य और श्री अतुल गोयल, डीजीएचएस, भारत भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
दधीचि को उम्मीद है कि यह कॉन्क्लेव देह-अंग-ऊतक दान के कारण को लोकप्रिय बनाने के लिए व्यापक राष्ट्रव्यापी अभियान पर विचार करेगा और इसे जन्म देगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं दधीचि देह दान समिति के संरक्षक आलोक कुमार ने कहा, “1997 में गठित, दधीचि देह दान समिति देह-अंग दान पर जागरूकता फैलाने में अग्रणी रही है। हमारा प्राथमिक उद्देश्य लोगों को यह एहसास दिलाना है कि किस प्रकार किसी मृतक/दाता का दान किया गया शरीर/अंग जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए जीवन रक्षक हो सकता है। हमारी समिति के 300 से अधिक स्वयंसेवक अत्यंत विनम्रता के साथ प्रत्येक कदम उठाते हैं और दाता परिवार को बिना किसी परेशानी के दान की एक सहज प्रक्रिया सुनिश्चित करते हैं”
कुमार ने आगे कहा कि समिति दाता के परिवार, सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो दान किए गए शरीर के अंगों का उपयोग अनुसंधान और चिकित्सा आपात स्थितियों में कर सकते हैं। “अब तक 17 हजार से अधिक दाताओं ने अंगदान के पुण्य काम के लिए अपनी सहमति दी है। पिछले 25 वर्षों में दधीचि देह दान समिति ने 353 देह दान, 870 जोड़े नेत्रदान, छह अंग दान, दो अस्थि दान और तीन त्वचा दान की सुविधा प्रदान की है।
दधीचि देह दान समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा, “भारत सबसे बड़ी आबादी में से एक होने के बावजूद अंगदान के मामले में अन्य विकासशील देशों से बहुत पीछे है। इसके पीछे प्रमुख कारण जन जागरूकता की कमी, धार्मिक वर्जनाएं, जटिल कानून और उदासीन सरकार हो सकती है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि इस अभियान के माध्यम से हम अधिक से अधिक लोगों को देह-अंग-नेत्र दान के लिए प्रोत्साहित करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे”