अपने समाज के अनजाने नायक-नायिकाओं की कहानियों को बड़े पर्दे पर उतारने का चलन जोर पकड़ रहा है। मशहूर हस्तियों के साथ-साथ ऐसे लोगों पर भी अब फिल्में बनने लगी हैं जिन्होंने काम तो बहुत उल्लेखनीय किए लेकिन उनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। ऐसी ही एक नायिका हैं दया बाई जिन्होंने मध्य भारत के आदिवासी इलाकों में बहुत प्रशंसनीय काम किए। 1940 में केरल के एक संपन्न परिवार में जन्मी मर्सी मैथ्यू ने 16 साल की उम्र में चर्च में नन बनने का फैसला किया और बाद में वह आदिवासियों की बेहतरी के कार्य करने लगीं। लोगों ने उन्हें नाम दिया-दया बाई। अब उनके जीवन पर निर्देशक श्री वरुण ‘दया बाई’ नाम की फिल्म लेकर आ रहे हैं जिसमें शीर्षक भूमिका बिदिता बाग ने निभाई है। ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ और ‘द शोले गर्ल’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं बिदिता एक मुलाकात में कहती हैं कि उनके लिए इस किरदार को निभाना बिल्कुल भी आसान नहीं था क्योंकि दया बाई ने जिस माहौल में काम किया वह मेरे लिए बिल्कुल अनजाना था। इस किरदार के लिए बिदिता ने नंगे पैर चलना और आदिवासियों के बीच रहना भी स्वीकार किया। ‘मैं नही चाहती कि लोग पर्दे पर मुझे किसी भी रोल में देख कर यह कहें कि यह किस को पकड़ लाए। बतौर एक एक्टर, अपने हर किरदार को अंदर तक समझ कर उसे निभाना मेरा फर्ज है,’ बिदिता कहती हैं। ‘दया बाई’ अप्रैल, 2020 में बड़े पर्दे पर रिलीज होगी।