7 मार्च 2021 सृष्टि के प्रथम देहदानी महर्षि दधीचि की गाथा का अनुपम प्रस्तुतिकरण गायन रूप में परम स्नेही श्री अजय भाई जी की भावपूर्ण संगीतमय शैली में अनिल वाटिका, प्रशांत विहार, रोहिणी में प्रस्तुत किया गया।
देवासुर संग्राम में राक्षसों के वध हेतु अपनी अस्थियों को ही वज्र बनाने वाले महर्षि दधीचि को ही अपना आदर्श और प्रेरणा मानने वाली दधीचि देह दान समिति द्वारा अंगदानी और देहदानी श्री अनिल मित्तल जी की स्मृति में दधीचि कथा का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रान्त के माननीय संघचालक श्री कुलभूषण आहूजा एवम दिल्ली से सांसद पद्मश्री श्री हंसराज हंस तथा विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष व दधीचि देह दान समिति के संरक्षक व संस्थापक श्री आलोक कुमार, इस कथा के यजमान व संयोजक रहे दम्पति भरी सुशील मित्तल व अर्चना मित्तल (जिनके परिवार से 8 देहदान हुए) जिन्होंने अपने बड़े भाई अनिल मित्तल जी को श्रद्धांजलि स्वरूप इस कथा का आयोजन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ समिति के अध्यक्ष श्री हर्ष मलहोत्रा के उद्बोधन द्वारा हुआ जिन्होंने देहदान की आवश्यकता क्यों है इस पर प्रकाश डाला – कार्यक्रम में राष्ट्रीय कवि अनिल अग्रवंशी जी ने स्व. देहदानी पर भावपूर्ण कविता प्रस्तुत की।
स्व. अनिल मित्तल जी अविवाहित थे। पेड़-पौधों को अपने परिवार की तरह बालक की तरह समझने वाले, अपने परिवार के प्रति पूर्ण समर्पित देहदानी के नाम पर ही अनिल वाटिका है, जिस जर्जर पड़ी वाटिका को उन्होंने अपनी निष्ठा पूर्ण सेवा से पल्लवित किया। वैदिक दर्शन पर आधारित भारत की संस्कृति त्याग और तपस्या पर ही आधारित है। अजय भाई जी ने इस अवधारणा को गीतों के माध्यम से प्रस्तुत करते साथ ही वीर हकीकत राय, भगत सिंह जैसे देश धर्म पर मार मिटने वाले शहीदों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम की गरिमा अंगदान और देहदान में अभूतपूर्व सहयोग प्रदान करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सत्यनारायण जटिया और समिति के सहयोगी रहे चार चिकित्सों का भी सम्मान किया गया। जिसमें डॉ संजीव ललवानी, अध्यक्ष ट्रामा सेंटर, एम्स, डॉ दिनेश वर्मा, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, डॉ अनिल गोयल, पूर्व अध्यक्ष IMA, डॉ वी के मोंगा रहें।
इस कार्यक्रम में एक भावपूर्ण क्षण ऐसा भी आया जब 20 माह की अपनी बच्ची के ब्रेन डेड होने पर उसके माता पिता श्रीमती बबिता गुप्ता व श्री आशीष गुप्ता को सम्मानित करने के लिए बुलाया गया। उनके सम्मान में सभी खड़े होकर तालियों से उनका अभिनंदन किया।
श्री आलोक कुमार ने बताया कि हड्डियाँ, लिवर, त्वचा और आंखे कहीं और भी किसी के रूप में जीवित रहती है। जिससे यमराज की आंखों में आंखे डाल मृत्यु पर विजय की घोषणा करते है। अभी महायज्ञ के महायोद्धा व सभी का सम्मान किया।
इस अवसर पर कार्यक्रम का समापन देशभक्ति के गीतों पर झुमते सभी साथियों ने किया व भारत माता की आरती से सम्पन्न हुआ।