4 अप्रैल 2016 को सरकार ने देशी के साथ विदेशी शराब बंद करने का निर्णय लिया और 5 अप्रैल 2016 से विदेशी शराब भी बंद करते हुये पूरे बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गयी। शराबबंदी के बाद हुए प्रभाव को लेकर कई अध्ययन किये जा रहे हैं। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। अपराध, घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटनाओं में कमी आयी है। यह बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को अधिवेशन भवन में नशामुक्ति दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज नशामुक्ति दिवस है। जिस तरह से लोगों ने शराब और नशीले पदार्थों के चलते कष्ट झेला है, वह सबको मालूम है। 1 अप्रैल 2016 से पूरे बिहार में देशी शराब बंद किया गया था, किन्तु जब शहरों में विदेशी शराब की दुकानें खुलने लगी तो दो-तीन दिनों तक दुकान खुलने के विरुद्ध काफी हंगामा हुआ और समाचार-पत्रों में भी खबरें आयी।
उन्होंने कहा कि 2015-16 के आंकड़ों को देखते हैं तो उस समय जो शराब से कुल 5 हजार करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को आता था। लोगों के जेहन में यह बात आती थी कि शराबबंदी के बाद इसकी भरपायी कैसे हो सकती है। हमने कहना शुरू किया कि इससे लोगों की जेब से 10 हजार करोड़ रुपये चला जाता था। ज्यादातर पैसा लोग शराब में गंवाते थे, जो प्रतिदिन 200 रुपये कमाता था, उसमें से 150 रुपये शराब में गंवा देता था। चंद अमीर लोग को तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन आमजन इससे काफी परेशान थे। घर में शाम में झगड़ा होता था और घर की हालत चिंताजनक थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों ने गंभीर चिंतन-मनन के बाद 26 नवम्बर 2015 को ऐलान किया की 1 अप्रैल से नई उत्पाद नीति लागू किया जाएगा। 1 अप्रैल 2016 से पहले हमलोगों ने इसके खिलाफ बड़ा अभियान चलाया। बिहार विधानमण्डल में विधायक/विधान पार्षद ने संकल्प लिया। मुख्य सचिव, डीजीपी सबके नेतृत्व में संकल्प लिया गया, जिसका व्यापक असर पड़ा। गांवों में चलाए जा रहे अभियान का असर शहरों पर भी पड़ा।
कार्यक्रम में ग्रामीण बिहार में महिलाओं और बालिकाओं के जीवन पर पूर्ण मद्य निषेध के आकलन से संबंधित पुस्तिका का विमोचन किया गया। इस पुस्तिका के रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मद्य निषेध के पूर्व जहां महिलाओं में मानसिक हिंसा 79 प्रतिशत थी, वह मद्य निषेध के पश्चात घटकर 11 प्रतिशत पर आ गई। मौखिक हिंसा 73 प्रतिशत से घटकर 14 प्रतिशत, शारीरिक हिंसा 54 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत, आर्थिक हिंसा 70 से घटकर 6 प्रतिशत, यौन हिंसा 15 प्रतिशत से घटकर 4 प्रतिशत तथा शारीरिक प्रताड़ना के साथ यौन हिंसा 17 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत पर आ गई है। इससे पता चलता है कि शराबबंदी का किस तरह का सकारात्मक प्रभाव समाज में पड़ रहा है। जहरीली शराब के बाद कुछ लोगों ने कहा कि शराबबंदी फेल हो गया। कानून का कुछ न कुछ उल्लंघन होता है। उसके लिए कड़ी से कड़ी सजा दी जाती है।
विपक्षियों के बात पर कि शराबबंदी के बाद भी धंधा हो रहा है इसलिये इस कानून को खत्म कर देना चाहिये का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि देश में कानून रहने के बावजूद हर दिन कितनी हत्यायें होती हैं, तो क्या हत्या के कानून को खत्म कर देना चाहिये। अगर भारत सरकार के आंकड़े को देखा जाए तो प्रतिदिन देश में 80 से 90 हत्याएं होती हैं। इसका ये मतलब नहीं है कि कानून अपना काम नहीं कर रहा है। शराबबंदी को सफल बनाने के लिए पुलिस, उत्पाद विभाग मुस्तैद है।
महिलाओं की ओर देखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा आप महिलाओं की आवाज पर ही सामाजिक परिवर्तन की उस मुहिम को हम बढ़ा रहे हैं। 09 जुलाई 2015 को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में पीछे से महिला द्वारा शराबबंद करने की आवाज आयी। मैंने पुनः माइक पर आकर कहा कि अगली बार सत्ता में आयेंगे तो शराबबंदी लागू करेंगे और पुनः सत्ता में आने पर शराबबंदी लागू कर दी। इसी प्रकार लोक संवाद कार्यक्रम के दौरान एक महिला ने ये सुझाव दिया कि आपने शराबबंदी लागू कर बहुत अच्छा काम किया है किन्तु इसके साथ ही दहेज प्रथा बुरी चीज है, इसे बंद कीजिए। मुझे उसका सुझाव अच्छा लगा और इसके बाद शराबबंदी और नशामुक्ति के साथ-साथ दहेज-प्रथा एवं बाल विवाह के खिलाफ हमलोगों ने अभियान चलाया है। हम किसी कीमत पर इसे छोड़ने वाले नहीं हैं, समाज सुधार के इस अभियान को आगे बढ़ाते रहेंगे।