भारत में चीन का आर्थिक निवेश पड़ोसी देशों पाकिस्तान ,श्री लंका ,म्यांमार बांगलादेश के मुकाबले ना के बराबर दिखता है जिस पैमाने पर चीन ने इन देशों की योजनाओं में निवेश किया है वो दिखायी देता है जबकि भारत में ठोस योजनाओं के बजाए टेक्नोलॉजी के जरिए चीन ने मजबूती और गहराई से पांव पसार रखे हैं । चीन भारत को बेल्ट एंड रोड संधि के लिए नहीं मना पाया लेकिन उसने सीधा कान न पकड़ कर दूसरे तरीके से अपनी पैठ बना ली । चीन के टेक निवेशकों ने भारत में अब तक 400 करोड़ डॉलर का पूंजी निवेश किया है । भारत के लगभग 92 स्टार्ट अप में चीनी कंपनियों ने निवेश कर रखा है इसमें पेटीएम , बीवाईजेयू लर्निंग एप और ओला भी शामिल हैं । इनमें से 75 कंपनियां ई-कॉमर्स , फिनटेक, मीडिया ,सोशल मीडिया, एग्रीगेशन और उपभोक्ता वस्तुओं में निवेश पर ही केंद्रित हैं । इसका मतलब है चीन का निवेश प्रत्यक्ष रूप से दिखायी नहीं देता है । लेकिन भारत के समाज , टेक्नोलॉजी और इको सिस्टम में इसने अपनी जगह बना ली है । ये निवेश चूंकि छोटे पैमाने पर होता है मात्र सौ लाख डॉलर और चीन की निजी कंपनियां निवेश कर रही है इसलिए अभी भारत के लिए तात्कालिक खतरा नहीं माना जा रहा है । चीन में भारत के कुल पूंजी निवेश का ये मात्र 1.5 फीसदी हिस्सा है । पिछले एक दशक में 2010 से 2020 तक चीनी कंपनियों ने भारत में बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश किया है । भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र में चीन ने 575 लाख डॉलर का निवेश किया है । हांलांकि भारतीय आटोमोबाइल कंपनियों ,सुजुकी हुदें और ट्योटा से चीन को कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है ।
जो सबसे ज्यादा चिंता का विषय है वो है पिछले पांच वर्ष में चीन ने भारत में अपने लिए टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है । उद्यम निवेश ,स्टॉर्ट अप निवेश , अपने स्मार्ट फोन्स और एप्स के माध्यम से ऑन लाईन इको सिस्टम में चीन ने भारतीय बाज़ार में अपनी पैठ बना ली है । निजी चीनी टेक निवेशकों ने भारतीय स्टार्ट अप में लगभग 5 अरब डॉलर निवेश किया है । मार्च 2020 तक 30 में से 18 स्टार्ट अप कंपनियों में चीन ने पूंजी निवेश किया है । अली बाबा , बाइट डांस ,टेनसेट और टिकटॉक वीडियो एप अमेरीकी फेसबुक , अमेजन , गुगल और यू ट्यूब को चुनौती दे रहा है । टिकटॉक वीडियो एप ने भारत में यू ट्यूब को पछाड़ दिया है आजकल 20 करोड़ से ज्यादा लोगों ने टिक टॉक एप डाऊनलोड कर रखा है । चीन में बने स्मार्ट फोन ओपो और ज़ियोमी एप्पल और सेमसंग को पछाड़ कर भारतीय बाज़ार में लगभग 72 फीसदी के हिस्सेदार बन गए हैं । इसके तीन कारण है एक भारत में स्टॉर्ट अप के लिए उद्यम निवेशक नहीं है चीन ने इसका लाभ उठाया और अलीबाबा कंपनी ने पेटीएम में 2015 में ही 40 फीसदी निवेश किया । जब 2016 में डिमोनेटाईजेशन हुआ तो इसका सबसे ज्यादा लाभ पेटीएम को ही मिला दूसरा बाकी देशों के लिए ये घाटे का सौदा है लेकिन चीन दूर की सोच कर निवेश कर रहा है । भारतीय बाज़ार में अपने पांव जमाने और अपना हिस्सा बढ़ाने के लिए चीन इतनी सी कीमत चुकाने को तैयार है । तीसरा भारतीय बाज़ार चीन के लिए रिटेल और रणनीतिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है । इसलिए अलीबाबा और टेनसेट जैसी कंपनियां जब भारत में निवेश करती हैं तो उनकी सोच अलग तरह की होती है । तुरंत लाभ नहीं बल्कि एक लंबी सोची समझी रणनीति । स्मार्ट फोन कंपनी शियामी ने भारत की हंगामा डिजिटल मीडिया एंटरटेनमेंट में 2016 में 25 लाख डॉलर निवेश किए । टाईम्स मीडिया की संगीत सर्विस गाना में चीन की इंटरनेट कंपनी टेनसेट ने 2018 में 115 लाख डॉलर निवेश किए ।
चीन अपने मीडिया पर कड़ा नियंत्रण रखता है । पश्चिमी सोशल मीडिया और दुनिया के अनेक बड़े समाचार माद्यम चीन में प्रतिबंधित हैं । बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां चीन के बाज़ार में बने रहना चाहती थीं । चीन के प्रतिबंधों का विरोध न करके चुपचाप प्रतिबंध सहती रहीं । चीन से वही सूचनाएं बाहर आती हैं जो चीन चाहता है । लेकिन अपनी टेक्नोलॉजी के जरिए चीन भारत की सारी सूचनाएं और डॉटा हासिल करता रहा है । हाल ही में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने चीन के जूम एप को प्रयोग न करने की एडवायजरी जारी की थी । बताया था कि इसके कारण डॉटा लीक हो सकता है । टिकटॉक पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग भारतीय लोगों की ओर से उठायी जा रही है । जबकि चीन से सब कुछ सेंसर हो कर आता है ।
इंटरनेट भी दुनिया में दो बड़े हिस्सों में बंटा है । एक है सबके लिए खुला सबको उपलब्ध जिन पर पश्चिमी कंपनियों फेसबुक अमेजन नेटफिलिक्स और गुगल का कब्जा है । और दूसरा है चीनी इंटरनेट या कहें इंटरानेट ये विदेशी इंटरनेट की अपने देश में एंट्री नहीं होने देते । और अपनी देशी इंटरनेट कंपनियों पर भी कड़ी निगरानी रखते हैं । कोई विदेशी इंटरनेट कंपनी न तो उनके देश में जा सकती है ना ही मुनाफा कमा सकती है । चीन चाहता है अलीबाबा और टेनसेंट ही रहें ताकि मुनाफा देश के देश में ही रहे और सूचनाओं पर कब्जा रहे । । लेकिन अब ये कंपनिया भारत में पांव पसार कर पश्चिमी कंपनियों को चुनौती दे रही हैं और भारत के लिए खतरा बन रही है । ये निजता और डॉटा के लिए खतरा भी हैं
चीनी स्मार्ट फोन और एप भारत के दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में भी तेज़ी से पांव पसार रहे हैं । स्मार्ट फोन प्रयोग करने वालों की संख्या 2024 तक बहुत बढ़ने का अनुमान है । स्मार्टफोन आयेंगें तो एप भी निश्चित रूप से आयेंगें । एप एनी नामक कंपनी की पिछले साल मार्च में दी गयी रिपोर्ट के अनुसार 2016 से 2018 के बीच भारत में एप डाउनलोड करने में 165 फीसदी का इजाफा हुआ । इसमें यूसी ब्राउज़र , शेयर इट , टिकटॉक और विगो वीडियो भी शामिल थे । चीनी एप्स में बाकी एप्स के मुकाबले ज्यादा डाटा क्षमता होती है । और युवा पीढ़ी उसी से खुश रहती है जो पैसे कम ले और डॉटा ज्यादा दें । लेकिन इनके खतरों से वो आगाह नहीं है । भारत की सुरक्षा भी इन एप्स के कारण खतरे में पड़ सकती है ।
भारत में डिजीटल उपभोक्ताओं की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है । भारत के डिजिटल सेक्टर में चीन ने सबसे ज्यादा निवेश किया है । ये भी भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है । चीनी एप्स उपभोक्ताओं से बाकी देशों के एप्स के मुकाबले कहीं ज्यादा व्यकितगत सूचनाएं और अनुमति मांगते हैं । एक शोध के अनुसार दुनिया के 50 लोकप्रिय एप्स के मुकाबले चीनी एप्स भारत में 45 फीसदी अधिक अनुमति मांगता है जिनकी ना ज़रूरत है ना आवश्यकता है । ये एप्स बहुत ज्यादा व्यक्तिगत सूचनाएं जुटाते हैं जैसे कि लोकेशन व्यवसाय , मित्र सूची , मित्रों की रूचियां , उनके सैल फोन नंबर , फोटो रूचियां आदि । यदि किसी ने एक बार भी चीनी एप को डॉउनलोड किया और फिर खतरे देखते हुए डिलीट कर भी दिया तो कोई लाभ नहीं क्योंकि जो डॉटा एक बार उनके पास चला गया वो चला गया और उनकी संपत्ति हो गया ।
भारत की सॉफ्ट पावर योजनाओं , आर्टिफिशयल इंटेलिजैंस में अलीबाबा. बेयडू और टेनसेंट का निवेश जिन्हें बीएटी कंपनी कहा जाता है खतरे के सूचक हैं । क्योंकि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का बीएटी कंपनियों से गहरा नाता है। माना जाता है ये सारा डॉटा चीन सरकार और सेना को देती हैं । इनके पूंजी निवेश पर भारत को सतर्क रहने की ज़रूरत है ।
चीनी एप्स साईबर जासूसी और भारत की सुरक्षा को खतरे के कारण हमेशा से संदेह के घेरे में रहे हैं । इलेक्ट्रोनिक और सूचना तकनीक मंत्रालय ने टिकटॉक , बाइट डांस और हैलो एप को उपभोक्ताओं का डॉटा गुप्त रखने के लिए एक नोटिस भी भेजा था । यहां तक कि इन एप्स पर भारत विरोधी गतिविधियों और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के आरोप भी लगे थे ।गृह मंत्रालय ने 2017 में चीनी एप्स की सूची बनायी और पाया कि 42 में से 25 चीनी एप्स में भारत के खिलाफ साइबर एटैक करने के सभी तत्व मौजूद हैं । टोरेंटो विश्व विद्यालय ने चीन के अलीबाबा के यूसी ब्राऊज़र पर शोध किया और पाया कि इसमें निजी और देश की सुरक्षा के खतरे हैं । यूसी उपभोक्ता की हर गतिविधी पर नज़र रखता है और उसकी निजता का हनन भी करता है ।