पटना : गुरुवार को एसआइटी के हत्थे चढ़े एवीएन स्कूल के निदेशक सह संचालक रामाशीष सिंह समेत छह लोगों ने बीएसएससी की परीक्षा के पेपर लीक करने में अलग-अलग भूमिका निभायी थी. एसआइटी प्रमुख व एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि एवीएन स्कूल सेंटर पर परीक्षा के एक घंटा पूर्व पेपर आने के बाद स्कूल के मैनेजर रामसुमेर सिंह ने ब्लेड से उसकी सील को काटा और फिर मैथ के शिक्षक अटल ने उसका फोटो लिया.
चूंकि अटल वहां का शिक्षक था, इसलिए उसे कोई नहीं रोका और वह पेपर का फोटो लेकर वहां से निकल गया. इसके बाद उसने बेऊर स्थित रैंडम कोचिंग क्लासेज के निदेशक सह संचालक रामेश्वर कुमार को वह पेपर वाट्सएप के माध्यम से दे दिया और फिर रामेश्वर कुमार ने अपने सहयोगी बिहटा के वर्मा आइटीआइ सेंटर के निदेशक नितिन कुमार, कौशल किशोर और रेलवे में लोकाे पायलट आलोक रंजन को भी इसे वाट्सएप से भेज दिया.
इसके बाद रामेश्वर कुमार ने उत्तर तैयार करवाये और फिर पहले से ही तय सेंटर पर अभ्यर्थियों को वाट्सएप के माध्यम से भेज दिये. एवीएन सेंटर पर परीक्षा केंद्र पर वीक्षकों ने उन परीक्षार्थियों को कुछ नहीं टोका और उन्हें मोबाइल अंदर ले जाने की इजाजत दे दी थी, क्योंकि पूरा काम एवीएन के निदेशक की निगरानी में हो रहा था. इसके बाद परीक्षा खत्म हुई और सभी परीक्षार्थी वहां से निकल गये और किसी को कानोंकान भनक भी नहीं लग पायी. फिलहाल इस मामले में स्कूल का मैथ टीचर अटल फरार है.
भूंजे की तरह बांटे प्रश्नपत्र
सेटरों के गिरोह के पास से बरामद मोबाइल से दो हजार छात्रों से अधिक को बांटे गये प्रश्न पत्र व उत्तर की पुष्टि होने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि पैसा कमाने के लिए इन लोगों ने भूंजे की तरह से सभी को बांट दिया था और जिससे जितना पैसा मिला था, उसे रख लिया गया था. इसी में किसी ने उन प्रश्न पत्रों को वायरल कर दिया था.
मान्यता हो गयी थी खत्म
इस मामले में यह बात भी प्रकाश में आयी कि उक्त स्कूल की सीबीएसइ द्वारा संबद्धता खत्म कर दी गयी थी. लेकिन इसके बावजूद उस स्कूल को परीक्षा केंद्र क्यों बनाया गया? हालांकि यह सवाल उठने के बाद एसएसपी मनु महाराज ने जानकारी दी कि वे इस संबंध में जांच करायेंगे और पता करेंगे कि परीक्षा केंद्र बनाये जाने के लिए क्या नियम है. अगर यह नियमानुकुल नहीं होगा तो फिर इस बिंदु पर भी कार्रवाई की जायेगी.
एवीएन स्कूल परीक्षा केंद्र पर 78 छात्रों को पहुंचाये गये थे उत्तर
पटना : एवीएन स्कूल के माध्यम से प्रश्न पत्र को लीक करने के मामले उजागर होने के बाद यह भी खुलासा हुआ है कि उक्त परीक्षा केंद्र से 78 छात्रों को पास कराने की योजना थी. उनको मोबाइल तक ले जाने में रोक-टोक नहीं की गयी थी और वे आराम से परीक्षा के उत्तर ओएमआर शीट पर रंगे और निकल गये. एवीएन स्कूल के संचालक व अन्य को पुलिस ने पकड़ा और मोबाइल व वाट्सअप को खंगाला तो पता चला कि उक्त प्रश्न पत्र का उत्तर दो हजार से अधिक छात्रों को उपलब्ध कराये गये थे.
इसके लिए पहले ही 50 हजार रुपये हर छात्र से ले लिये गये थे और ऑरिजनल शैक्षणिक दस्तावेज जब्त कर लिये थे. फाइनल रिजल्ट के लिए छह लाख रुपये में हर छात्रों से सौदा हुआ था. पूछताछ में उन्होंने संलिप्तता को स्वीकार की और अपनी भूमिका की जानकारी दी. पूछताछ में एवीएन स्कूल के मैनेजर रामसुमेर सिंह ने जानकारी दी कि उसे इस काम के लिए पचास हजार रुपये दिये गये थे. कौशल को हजारों रुपये मिले थे. नितिन ने ही रामाशीष से रामेश्वर की दोस्ती करायी थी. कौशल किशोर रामेश्वर के घर के पास का ही रहने वाला है. नितिन, रामेश्वर व अटल रामनगरी मोड़ पर मिले थे और फिर साजिश रची.
स्कूल का निदेशक पढ़ाता था साइंस और मैथ
स्कूल के निदेशक रामाशीष सिंह के संबंध में पुलिस ने जब छानबीन की तो यह जानकारी मिली कि वह अपने स्कूल में छात्रों को सायंस व मैथ भी पढ़ाता था. लेकिन जब पुलिस ने उससे मैथ व सायंस से जुड़े कुछ सवाल पूछे तो वह जवाब नहीं दे पाया. इसके साथ ही यह भी पुलिस को जानकारी मिली कि उसने एक बार मैट्रिक फेल किया था और फिर उसने दुबारा मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि उसने फिर से जन्मतिथि में परिवर्तन कर मैट्रिक की परीक्षा दी थी.
पटना : बीएसएससी में पेपर लीक कांड का सन्नाटा चार दिनों बाद टूटा तो नयी नौकरी पाने की हसरत के साथ लेकिन उसमें नाउम्मीदी थी. जिस प्रकार एसएससी बदनाम हुआ है, उसमें नाउम्मीदी का स्तर इस कदर हावी था कि एएनएम की इंटरव्यू देने जमुई के गिद्धौर से आयी 48 साल की महिला अपने बेटे माधव के साथ मायूस दिखाई दे रही थीं. उन्होंने कहा कि पेपर में तो इतना कुछ पढ़े हैं कि यहां आने का तो मन ही नहीं था. लेकिन बेटे की जिद के कारण यहां आना पड़ा. नवादा से आयी रेणु कुमारी इंटरव्यू बोर्ड से निकली तो उन्होंने कहा कि बिना मतलब के बीस से पच्चीस क्वेश्चन पूछ रहे हैं.
यहां पहले से ही आने का मन नहीं था, अब तो मुश्किल लग रहा है. यही कुछ हाल बेगूसराय से आये सुरेश कुमार सिंह का था उन्होंने कहा कि पत्नी काफी जिद कर रही थी. अभी तो हम आये हैं. दो बजे से हमारी पत्नी का इंटरव्यू है. कल यहीं पर मरघटी सन्नाटे का आलम था और आज यहां पर फोटो स्टेट की स्थायी दुकानें खुली हुई थी. पास में ही नारंगी, अंगूर भी बिक रहे थे और आइसक्रीम भी मौजूद था ताकि गर्म हो रहे मौसम में लोग ठंडे हो सके.
नालंदा, नवादा और छपरा में भी कनेक्शन ढूंढ़ रही एसआइटी
पटना : पेपर लीक प्रकरण का ताल्लुक पटना के आयोग कार्यालय से लेकर बिहार के कई जिलों तक हैं. छानबीन में जो सबूत और तथ्य एसआइटी के हाथ लगे हैं उसके आधार पर नवादा, नालंदा और छपरा में सेटिंग का कनेक्शन ढूंढा जा रहा है. सूत्रों कि मानें तो इन तीनों जिलों में कुछ प्रभावशाली लोग हैं, जो सेटिंग के खेल को संचालित करते हैं. हर जिले में गैंग है, उनके सरगना और गुर्गे काम करते हैं. ये ऐसे लोग हैं जिन पर एसआइटी शक तो कर रही है पर हाथ डालने से पहले सबूत खंगाल रही है. सबूत मिलेंगे या नहीं ये तो आगे का अनुंसधान और उसकी दिशा पर निर्भर करता है पर इस खेल में ऐसे लोग नहीं बचने वाले हैं जो सीधे तौर पर निचले स्तर पर काम कर रहे थे. मतलब बिहार के अधिकांश जिलों से पेपर लीक और सेटिंग के खेल से जुड़े गुर्गों पर शामत आने वाली है. इन्हें दबोचने के लिए एसआइटी तेजी से काम कर रही है.
24 बैंक खातों में 50 लाख रुपये के लेनदेन का मिला रेकॉर्ड
पटना : बीएसएससी पेपर लीक मामले में आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है. पेपर लीक रैकेट में करीब चार दर्जन बैंक खातों और एटीएम का पता चला है, जिनके जरिये काफी बड़े स्तर पर पैसे का लेन-देन हुआ है. इसमें करीब दो दर्जन बैंक खातों की विस्तृत जानकारी इओयू ने संबंधित बैंकों से जुटा लिया है. 24 बैंक खातों में 50 लाख रुपये के लेनदेन का खुलासा हुआ है. इन सभी बैंक खातों में बीएसएससी की परीक्षा के दौरान या कुछ दिनों पहले बड़े स्तर पर जमा और निकासी हुई है. इन दो दर्जन बैंक खातों में से अधिकतर खाते पटना में ही अलग-अलग शाखाओं के हैं. इनमें दो खातें ऐसे मिले हैं, जिनमें अन्य खातों की तुलना में सबसे ज्यादा 15 लाख रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ है.
इसमें एक खाता मुकेश सिंह और दूसरा दानापुर के शनिचरा स्थान निवासी नीतीश कुमार सिंह का है. इसके अलावा इओयू अन्य बैंक खातों का रिकॉर्ड जुटा रहा है. चार दर्जन बैंक खातों में सबसे ज्यादा बैंक खाते और एटीएम वारिसलीगंज में हुई छापेमारी के दौरान जब्त किये गये थे. अब तक हुई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि इन सभी संदिग्ध बैंक खातों में परीक्षा के पेपर लीक से संबंधित लेनदेन हुए हैं. हालांकि स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये पैसे अंत में कहां गये.
पेपर लीक मामले में अब तक पटना, नवादा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सोनपुर और छपरा शहर के अलग-अलग थानों में एफआइआर दर्ज हो चुकी है, जिसमें 60 से ज्यादा लोग अभियुक्त बनाये गये हैं. अब तक जितनी भी एफआइआर हुई है, उनमें दो बातें सामान्य पायी गयी हैं. तमाम अभ्यर्थियों को ब्लूटुथ या पर्ची से चोरी करते हुए ही पकड़ा गया है.
ब्लूटुथ की मदद से सभी प्रश्नों के उत्तर बाहर से लिखवाने की भी तैयारी थी. इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रश्न-पत्र लीक हुआ था और परीक्षा शुरू होने के काफी पहले ही सेटरों के पास पहुंच चुका था. इसके उत्तर तैयार करवा कर ये लोग संबंधित छात्रों तक भेज रहे थे. कुछ छात्रों ने पर्ची तक बना ली थी. जबकि कुछ एडवांस शातिरों ने ब्लुटूथ के जरिये चोरी करने की हिम्मत दिखायी. सूत्रों का कहना है कि पेपर किसी एक स्थान से ही लीक हुआ है और किसी एक व्यक्ति के पास सबसे पहले पहुंचा, जिसने अलग-अलग स्थानों पर सेटिंग कर रखा था.
पटना : सोशल मीडिया में आखिरकार पेपर कब लीक हुआ है? यह वह सवाल है जिस पर पूरे प्रकरण का खुलासा निर्भर करता है. एसआइटी और इओयू को अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया है. इसके लिए वह मीडिया हाउस से लेकर उन सभी जगहों की खाकर छान रहा हैै, जहां से कुछ सुराग मिल सके. उनके लिए इसका जवाब ढूंढ़ना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि सोशल मीडिया पर पहली बार कब क्वेश्चन पेपर लीक हुआ?
यदि इस सवाल का जवाब मिल गया, तो उसके बाद इस पूरे प्रकरण के सही दोषियों का तुरंत पता चल सकेगा. हालांकि एसआइटी का कहना है कि 29 को ही 5 तारीख का भी पेपर लीक हो गया था, लेकिन एक वरीय जांच अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर यह बताया कि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि यदि परीक्षा के एक दिन पहले पेपर लीक हुआ होगा तो आयोग पर पेपर लीक का दोषी होने की मुहर लग जायेगी. यदि पेपर लीक होने की अवधि 12 घंटे से कम हुई तो संबंधित जिलों के डीएम और एसपी तक जांच का दायरा बढ़ेगा. इस मसले पर फोकस करने के बावजूद पिछले पांच दिनों में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पायी है कि आखिर कहां से पहली बार व्हाट्सएप या ट्विटर पर मैसेज पहुंचा?
दफ्तर नहीं आये बीएसएससी अध्यक्ष
पटना. बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार गुरुवार को दिन भर दफ्तर नहीं आये. सुबह से यहां पर एएनएम का इंटरव्यू चल रहा था इसके बावजूद अध्यक्ष कार्यालय में नहीं आये. वे अपने बीएसइसीइ के दफ्तर में भी नहीं थे और आइएएस अफसर एसोसिएशन के कार्यालय में भी उनकी अनुपस्थिति थी. जब हमने एसो. भवन में इसे लेकर कर्मचारियों से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि सुबह से ही यहां अध्यक्ष नहीं आये हैं. वे भी उनका इंतजार ही कर रहे थे. हालांकि इसे लेकर चर्चा का बाजार दिन भर गरम रहा. लोगों का मानना था कि अध्यक्ष को यहां पर आना चाहिए था.
यूपी, झारखंड और तेलंगाना भागे सेटर
पटना. बीएसएससी पेपर लीक प्रकरण का भंडा फूटते ही कई सेटर बिहार छोड़कर फरार हो गये हैं. एसआइटी ने कुछ लोगों के माेबाइल नंबर से लोकेशन को ट्रेस किया है. अब तक चार राज्यों यूपी, झारखंड, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में सेटरों के छुपे होने की जानकारी मिली है.
एसआइटी ने इन राज्यों की पुलिस से संपर्क साधा है. स्थानीय पुलिस की मदद से ऐसे लोगों को दबोचने की तैयारी चल रही है. गिरफ्तारी के लिए पटना से दूसरे राज्यों में टीम भी भेजी जा सकती है. एसआइटी इस मामले में सभी टेलीकॉम कंपनियों से मदद ले रही है. यह जांच अब तक पकड़े गये लोगों के मोबाइल फोन से मिले लींक के आधार पर हो रही है.
फीस के 71 करोड़ नहीं किये जमा
पटना : सुर्खियों में चल रहे राज्य कर्मचारी चयन आयोग के एक और मामले का खुलासा हुआ है. नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) की ताजा रिपोर्ट में आयोग में वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया है. एक मामला परीक्षा फीस के रूप में मिले 71.85 करोड़ रुपये को कोषागार में जमा नहीं किया जाना है. इसमें पोस्टल आर्डर के रूप में मिली 1. 92 करोड़ की राशि भी शामिल है. मार्च 2016 से लेकर नंवबंर 2012 तक की लेखा की पड़ताल पर आधारित रिपोर्ट में कैग ने कहा है कि कई प्रतियोगी परीक्षाओं की फीस के रूप में प्राप्त 69. 93 करोड़ की राशि को कोषागार में समय पर जमा नही किया गया. इतना ही नही इसे कैशबुक में भी इंट्री नहीं किया. कैग ने जब आयोग से इस बारे में जानना चाहा तो आयोग ने कैग से कहा कि फीस ऑनलाइन ली जाती है. कभी-कभी फीस वापस भी करनी होती है.
पैतृक आवास पर पहुंची एसआइटी, घर बंद मिला
छपरा (सदर)/अमनौर : एसआइटी की टीम ने गुरुवार को छापेमारी के लिए बीएसएससी के सचिव परमेश्वर राम के पैतृक गांव रसूलपुर स्थित घर पर पहुंची. लेकिन वह बंद मिला. यहां परमेश्वर राम के तीन भाइयों में सबसे छोटे धर्मनाथ राम और उनका परिवार रहता है. दूसरे भाई अशोक राम दारोगा हैं. धर्मनाथ राम और उनके परिजन पुलिस के पहुंचने के पहले ही घर में ताला बंद कर फरार हो गये थे. इसके चलते पटना से पहुंची टीम को कुछ भी हासिल नहीं हुआ. एसआइटी ने वहां पर आसपास के लोगों से लगभग तीन घंटे तक जानकारी ली.
सीबीआइ जांच से छात्रों को मिलेगा न्याय: रालोसपा : बिहार एसएससी का प्रश्न पत्र लीक मामले की जांच सीबीआई से करायी जाये, तभी प्रश्न पत्र लीक की अंतिम कड़ी तक का पर्दाफाश होगा और पूरी तरह से छात्रों को न्याय मिलेगा. मुख्यमंत्री से उक्त मांग गुरुवार को छात्र लोक समता के के प्रदेश अध्यक्ष रवि ने उज्जवल ने की है.
स्नातक स्तरीय परीक्षा भी रद्द करे सरकार : छात्र लोजपा : छात्र लोजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजीव सरदार ने स्नातक स्तरीय और इंटर स्तरीय परीक्षा की जांच सीबीआइ से कराने की मांग सरकार से की है. छात्र नेता ने कहा कि स्नातक स्तरीय परीक्षा में भी बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी.
बीएसएससी घोटाला भी व्यापमं न हो जाये : अाप : आम आदमी पार्टी ने पेपर लीक प्रकरण को बिहार का व्यापमं घोटाला बताया है. कहा है कि बिहार में मध्य प्रदेश जैसा ही यह एक बड़ा व्यापमं घोटाला हैं, घोटाले में शामिल बिहार सरकार के मंत्री, विधायक, और आईएएस पदाधिकारीयों के नाम का अविलम्व खुलासा करें और सीबीआइ जांच हो.
सभी परीक्षाओं की हो जांच : संजीव चौरसिया : दीघा विधायक एवं प्रदेश महामंत्री डॉ संजीव चौरसिया ने कहा कि इंटर स्तरीय परीक्षा में गड़बड़ी पर सरकार ने तो एसआइटी जांच गठित कर दिया लेकिन स्नातक स्तरीय परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच नहीं करा रही है इसका भी जांच करानी चाहिए.