चुनावों की घोषणा के बाद बिहार में राजनैतिक सरगर्मियां जोरो पर है। नए-नए समीकरण बन रहे हैं, नए गठबंधन बन रहे हैं, मांझी ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया, उपेंद्र कुशवाहा तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद में है।
इसी बीच एक दिलचस्प घटना बिहार में घटी। बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने वीआरएस ले लिया और जदयू की सदस्यता ले ली। गुप्तेश्वर पांडेय एक तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारी के रूप में जाने जाते रहे हैं।
वीआरएस लेने के सम्बंध में जब गुप्तेश्वर पांडेय से एक अखबार ने सवाल किया तो उन्होंने बताया कि मैंने पिछले 34 साल की सेवा में जो सम्मान और प्रतिष्ठा हासिल की थी, उसकी रक्षा के लिए ही मैंने रिटायरमेंट लिया है। उनका कहना है कि समाज की सेवा करना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है। अगर अपराधी, असामाजिक तत्व और हिस्ट्रीशीटर राजनीति कर सकते हैं, तो फिर मेरे जैसे लोग यदि राजनीति में जाने का निर्णय लेते हैं, तो इसमें क्या दिक्कत है?
गुप्तेश्वर पांडेय की को रॉबिन हुड या फिर बिहार के चुलबुल पांडेय के रूप में प्रचारित करने का काम कई लोगों ने किया है, इस संदर्भ में सवाल पूछने पर वो बताते हैं कि मैं न तो बिहार का चुलबुल पांडे हूं और न ही राबिन हुडI मैंने कभी किसी को अपनी ऐसी छवि बनाने के लिए नहीं कहा I वे मेरे कामों और सत्यनिष्ठ की इज्जत करते हैं, इसलिए वे सम्मानित तरीके से ऐसा कर रहे हैं।
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कई लोग ऐसे भी हैं जो उनकी छवि को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं, पांडेय जी का इस संदर्भ में साफ कहना है कि कई लोगों को मेरी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से समस्या है। वे मुझ पर हर तरह का कीचड़ उछालने की कोशिश करते हैं। उन्हें ऐसा करने दीजिए, मैं अप्रासंगिक मुद्दों और ऐसे लोगों पर अपना ध्यान केंद्रित करना नहीं चाहता ।
कुल मिलाकर गुप्तेश्वर पांडेय ने बिहार की राजनीति में बड़े ही असरदार तरीके से प्रवेश किया है। चर्चा यह है कि जदयू उन्हें बक्सर से उम्मीदवार बनाने जा रही है। एक गरीब किसान का बेटा जिसने अपनी मेहनत से सिविल सर्विसेज निकाल कर 34 वर्षों तक बिहार की सेवा की। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को महाराष्ट्र पुलिस ने लगभग दबा ही दिया था परन्तु गुप्तेश्वर पांडेय की सक्रियता के कारण आज मामले की जांच सीबीआई कर रही है। बिहार में कई ऐसे मसले हुए हैं जिसे गुप्तेश्वर पांडेय ने अपनी सूझ-बूझ से निपटाया, जब दिल्ली और यूपी सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों से साम्प्रदायिक हिंसा में जल रहा था तब डीजीपी के रूप में गुप्तेश्वर पांडेय ने दिन-रात काम किया और बिहार में एक भी सांप्रदायिक वारदात होने नहीं दीI